गंगधारा की तरह ही विचारों की अविरलता भी आवश्यक है। विचारों का प्रवाह आदमी को थकने नहीं देता और मंजिल तक पहुंचा देता है। यह बातें सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दून विश्वविद्यालय में आयोजित हिमालयी क्षेत्रों की चुनौती और विकास को लेकर देवभूमि विकास संस्थान का दो दिनी गंगधारा: विचारों का अविरल प्रवाह, व्याख्यानमाला में कहीं। CM DHAMI ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में परिवर्तन लाने के वाहक बनते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में विचारों के आदान-प्रदान की परंपरा रही है। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों का जिक्र करते हुए कहा कि यहां पर इकोलाजी और इकोनोमी का संतुलन बनाना जरूरी है। उन्होंने विकल्प रहित संकल्प पर जोर देते हुए प्रदेश सरकार की तमाम उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने जल्द ही भू-कानून लाने और जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता लागू करने की बात को दोहराया। साथ ही सीएम ने पहाड़ी उत्पादों पर आधारित पहाड़ी स्टालों का अवलोकन किया।
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गंगधारा व्याख्यानमाला में प्रख्यात धर्म गुरु जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को सुविचार दिए हैं। जब व्यक्ति सत्य की ओर यानि यर्थात की ओर बढ़ता है तो तब उसकी बहुत सी दुविधाएं, न्यूनताएं, उसके भीतर के दुराग्रह उसी समय ध्वस्त हो जाते हैं। असत्य से सत्य की ओर चलूं, मैं अंधकार से प्रकाश की ओर चलूं, मैं मृत्यु से अमृत्व की ओर चलूं, दुनिया को यह ज्ञान भारत ने दिया है।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों और विकास विषय के साथ ही पारिवारिक मूल्यों पर भी मंथन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेंडिंग का चलन तेज हो रहा है, लेकिन आवश्यक यह है कि हम अपने मांगलिक कार्यों के लिए गांवों का रुख करें। बतादें कि दो दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के दौरान पलायन, शिक्षा, संस्कृति, पर्यावरण जैसे विषयों के साथ हिमालयी क्षेत्रों की धारण क्षमता पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
अच्छे विचार कहीं से भी आएं…उनका स्वागत है : त्रिवेंद्र सिंह रावत
कार्यक्रम में शामिल पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए एक दिव्य अनुष्ठान का बीड़ा उठाया गया है। जो समाज में बदलाव लाने के लिए है। भारतीय जीवन के मूल में परमार्थ है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता की तरह ही विचारों की अविरलता भी स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोचने के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। आवश्यक यह है कि हम यर्थाथवादी रहें। उन्होंने कहा कि जो सत्यनिष्ठ होता है, वो ही प्रतिष्ठित भी होता है।
प्री वेडिंग काउंसिलिंग पर हो रहा विचार
देवभूमि विकास संस्थान के संरक्षक, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कार्यक्रम की प्रस्तावना को सामने रखा। हिमालयी सरोकारों को लेकर एक अविरल चलने वाले कार्यक्रम का उनका सपना था, जिस पर काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि लोगों के सहयोग से इसके लिए कारपस फंड तैयार किया गया है, जिससे इसके लगातार आयोजन में आर्थिक दिक्कत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि लोगों के सुझाव जानने के लिए पांच पर्यवेक्षकों को भी जिम्मेदारी दी गई है, ताकि कार्यक्रम भविष्य में और बेहतर हो। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज विवाह जैसी संस्था प्रभावित हो रही है और रिश्ते बहुत जल्द टूट रहे हैं, उसे देखते हुए प्री वेंडिंग काउंसलिंग के कार्यक्रम करने पर भी विचार किया जा रहा है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों को लेकर विचार बहुत किया जाता है, लेकिन इसे गंगधारा के रूप में क्रियान्वित किया जाना महत्वपूर्ण है। इससे पहले, अतिथियों का स्वागत करते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कहा कि दुनिया तमाम समस्याओं के समाधान के लिए भारत की तरफ देख रही है, इसलिए हमारा चिंतन दुरूस्त होना चाहिए।
दून विश्वविद्यालय में सेंटर फार हिंदू स्टडीज पर कोर्स जल्द होगा शुरू
देहरादून के दून विश्वविद्यालय में जल्द ही सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज कोर्स की शुरुआत की जाएगी। सीएम धामी ने दून विवि में आयोजित व्याख्यान माला में कहा कि सरकार की कोशिश है कि कोर्स की शुरुआत जल्द हो। बतादें कि कोर्स शुरू होने के बाद दून विवि उत्तराखंड का पहला विश्वविद्यालय होगा जहां छात्र हिंदू धर्म का अध्ययन करेंगे। देश में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में ही हिंदू धर्म का अध्ययन किया जाता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने वर्ष 2021 में सर्वप्रथम हिंदू अध्ययन में दो वर्षीय पाठ्यक्रम, एमए (हिंदू स्टडीज) शुरू किया था। वहीं, वर्ष 2023 से डीयू ने हिंदू स्टडीज में पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी प्रोग्राम शुरू किया। दरअसल, नया कोर्स होने के कारण अभी कई चुनौतियां विश्वविद्यालय के सामने आ रही हैं। विवि को इस विषय के प्रशिक्षित प्रोफेसर नहीं मिल पा रहे हैं। बीएचयू व दिल्ली यूनिवर्सिटी में यह कोर्स संचालित होने के कारण बनारस व दिल्ली से प्रशिक्षित स्टाफ बुलाने का प्रयास किया जा रहा है
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