Cloudburst In Uttarkashi : धराली में युद्धस्तर पर बचाव अभियान जारी है। बचाव अभियान में सेना के 125 अधिकारी और जवान, आईटीबीपी के 83 अधिकारी और जवान भी लगे हुए हैं। बीआरओ के 6 अधिकारी, 100 से अधिक मजदूरों के साथ बाधित सड़कों को खोलने में जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी और नेतृत्व कर रहे हैं। खीर गंगा के साथ आया मलबा 10 से 20 फीट तक जमा है। ऐसे में राहत और बचाव कार्य, मलबे में दबे लोगों को निकालना भी बड़ा चुनौतीपूर्ण है। इसके अलावा रास्ते भी टूटे हुए हैं और धराली पहुंचना आसान नहीं है। राज्य सरकार, जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन विभाग, ITBP, NDRF एवं अन्य सभी एजेंसियां पूरी तत्परता के साथ रेस्क्यू एवं राहत कार्यों में जुटी हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने आपदा में घायलों को उपचार प्रदान करने के लिए दून मेडिकल कॉलेज, कोरोनेशन जिला अस्पताल और एम्स ऋषिकेश में बेड आरक्षित किए हैं, साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी उत्तरकाशी के लिए रवाना किया गया है। विशेष रूप से मनोचिकित्सक भी आपदाग्रस्त क्षेत्र में भेजे गए हैं। उत्तरकाशी प्रशासन ने इंटर कॉलेज हर्षिल, जीएमवीएन और झाला में राहत शिविर प्रारंभ किए हैं। इसके साथ ही क्षेत्र में बिजली और संचार नेटवर्क को बहाल किए जाने के प्रयास भी युद्धस्तर पर किए जा रहे हैं। एनआईएम और एसडीआरएफ लिम्चागाड में अस्थायी पुल निर्माण में भी जुट गई है।
इस आपदा में अब तक छह लोगों के शव बरामद किए गए हैं। 100 से ज्यादा लापता हैं। वहीं, स्थानीय लोगों की मानें तो यह संख्या और हो सकती है। मलबा हटाना बड़ी चुनौती है। क्योंकि घर-दुकान, होटल, होमस्टे मलबे में दब गए हैं। भटवाड़ी से आगे भूस्खलन के खतरे को देखते हुए करीब एक दर्जन मकानों को खाली कराया गया है।
सड़कें अवरुद्ध और क्षतिग्रस्त होने से धराली नहीं पहुंची टीम
उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे बचाव कार्यों पर एनडीआरएफ के डीआईजी गंभीर सिंह चौहान ने कहा कि हमारे पास चार टीमें हैं, लेकिन सभी सड़कें अवरुद्ध और क्षतिग्रस्त होने के कारण वे धराली नहीं पहुंच सके। कल 35 कर्मचारी हेलिकॉप्टरों के माध्यम से पहुंचने में सक्षम थे। हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू होने के साथ ही कर्मचारियों और निकाले गए लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है। संचार संबंधी समस्या भी थी, लेकिन आज सुबह से हमारे सैटेलाइट फोन काम कर रहे हैं। राज्य प्रशासन, सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ और यहां तक कि स्थानीय लोग भी खोज और बचाव कार्यों में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।
वाडिया संस्थान की टीम करेगी अध्ययन
उत्तरकाशी जिले के खीर गंगा क्षेत्र में आई आपदा को लेकर वाडिया संस्थान भी अध्ययन करेगा। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक विनीत गहलोत ने बताया कि धराली आपदा को लेकर संस्थान ने भी अध्ययन कराने का फैसला किया है। इसको लेकर संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ चर्चा भी हुई है। टीम को मौके पर भेजने की योजना है। संस्थान की टीम को मार्ग के खुलने और स्थितियां कुछ सामान्य होने के बाद भेजा जाएगा। संस्थान तकनीकी माध्यम से आपदा के कारणों को जानने का प्रयास करेगा।
हेलिकाप्टर से पहुंची टीम, बनी झील का किया निरीक्षण
आपदा के बाद हर्षिल में भागीरथी नदी में बन गई झील के निरीक्षण के लिए सिंचाई विभाग की टीम पहुंची है। टीम के अनुसार झील से पानी की निकासी हो रही है, चिंता जैसी कोई बात नहीं है। अवरोध को हटाने के लिए भी योजना बनाई गई है। आपदा के दौरान तैलगाड गधेरे से मलबा आने से भागीरथी नदी में झील बन गई। इस झील के पानी से हर्षिल से जाने का वाला मार्ग भी प्रभावित हुआ है। इस झील को हटाने और पानी का प्रवाह को सामान्य करने के लिए सिंचाई विभाग की टीम को भेजा गया था। इसमें विभागाध्यक्ष सुभाष कुमार, अधीक्षण अभियंता संजयराज के साथ अन्य अधिकारयों की टीम पहुंची। अधिकारियों के मुताबिक झील की लंबाई करीब 1200 और चौड़ाई 100 मीटर है। इस झील से पानी की निकासी हो रही है, पर मलबे को हटाने की योजना बनाई गई है। इसमें मार्ग खुलने के बाद चार पोकलेन मशीन के माध्यम से मलबा हटाया जाएगा। पोकलेन की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।