Cloudburst In Uttrakhand : मंगलवार दोपहर में धराली में आई तबाही का पैटर्न 2013 में केदारनाथ में आए जलप्रलय की तरह ही था। ढाई घंटे में तीन बादल फटे थे। बुधवार सुबह भी सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस-प्रशासन की टीमें बचाव कार्य में लगी हैं। 130 से ज्यादा लोगों को अब सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। जबकि, जिला प्रशासन के मुताबिक चार लोगों की मौत हो चुकी है। अब भी 100 से अधिक लोग लापता हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मलबा इतना अधिक है कि बचाव कार्य में समय लग सकता है। भारी बारिश और लगातार हो रहे लैंडस्लाइड के कारण बचाव दल को कई जगहों पर रुकना पड़ रहा है। वहीं, धराली के पास हर्षिल में भी तेलगाड में बादल फटने से हर्षिल हेलीपैड और सेना के कैंप को भारी नुकसान पहुंचा है। सेना की ओर से बताया गया है कि चौकियां और कुछ बंकर मलबे में दब गए हैं। 11 जवान लापता बताए जा रहे हैं। आपदा के पास धराली के आसपास के इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है।
वहीं, हर्षिल व गंगनानी के मध्य निकट सुक्की टाप व आर्मी कैंप हर्षिल में भी आपदा जैसे हालात उत्पन्न हो गए। जलशक्ति मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, बादल फटने की पहली घटना दोपहर एक बजे घटी, जिसके चलते खीरगंगा नदी में मलबा व पानी के साथ बाढ़ आ गई। इससे 15 आवासीय घर तबाह हो गए, जबकि 6 से 7 दुकानों को भी नुकसान पहुंचा। दर्जनों की संख्या में लोग लापता बताए जा रहे हैं। बादल फटने की दूसरी घटना हर्षिल व गंगनानी के बीच सुक्की टाप के निकट तीन बजे घटी, जिसमें जानमाल के नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। इसके बाद तीसरे घटना साढ़े तीन बजे शाम को घटी, जो कि हर्षिल आर्मी कैंप के निकट तेल गाड़ में हुई। इससे बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए। भागीरथी नदी का प्रवाह रुकने से बनी झील के कारण हर्षिल हेलीपैड जलमग्न हो गया।
उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में तीन बादल फटने से धराली और हर्षिल के बीच एक अस्थाई झील बन गई है जिससे भागीरथी नदी का प्रवाह रुक गया है। नदी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है जिसके कारण पुलिस प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है। पुलिस प्रशासन ने भी नदी के आसपास खतरे वाले स्थानों पर रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। बता दें कि नदी व नालों में बादल फटने के बाद बड़ी मात्रा में आने वाले मलबे से नदियों का प्रवाह अवरुद्ध होने का खतरा होता है। बीते 28 जून को यमुनाघाटी के सिलाई बैंड क्षेत्र में बादल फटने सहित कुपड़ा गाड अतिवृष्टि के कारण उफान पर आ गई आई थी। कुपड़ा गाड में आए मलबे के चलते यमुना नदी का प्रवाह अवरुद्ध होने से स्यानाचट्टी में झील बन गई थी, जिसके चलते कई होटल व आवासीय भवनों की निचली मंजिल में पानी घुस गया था। वर्तमान में वहां पर नदी के चैनलाइजेशन का काम चल रहा है।
अब गंगाघाटी की हर्षिल घाटी में तीन जगह बादल फटने से भागीरथी नदी का प्रवाह अवरुद्ध होने से झील बनने की तस्वीरें सामने आई है। इस झील के कारण हर्षिल का हेलीपैड में भी मलबे व पानी से जलमग्न हो चुका है। वहीं, नदी का जलस्तर बढ़ने से लगातार निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
उत्तरकाशी में आपदा प्रभावित क्षेत्र का हवाई निरीक्षण किया।#Uttarkashi pic.twitter.com/IFnrxRkegD
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 6, 2025
सड़कें और एक पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण घटनास्थल तक पहुंचना मुश्किल : सीएम धामी
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, भारतीय सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय लोगों सहित हमारी सभी एजेंसियां बचाव कार्य कर रही हैं। कल 130 लोगों को बचाया गया। तलाशी और बचाव अभियान जारी है। सड़कें और एक पुल क्षतिग्रस्त होने के कारण घटनास्थल तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। देहरादून में आपदा संचालन स्टेशन हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए 24 घंटे काम कर रहा है। हम सभी को सुरक्षित बचाने के प्रयास कर रहे हैं। मैं हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं। पीएम मोदी ने आज भी बचाव अभियान का विवरण लिया।
गंगोत्री हाईवे का भटवाड़ी के पास डेढ़ सौ मीटर हिस्सा ध्वस्त
गंगोत्री हाईवे का भटवाड़ी के पास डेढ़ सौ मीटर हिस्सा ध्वस्त, सड़क पूरी तरह से धंस चुकी है। जिला मुख्यालय से उपला टकनौर और हर्षिल क्षेत्र का सड़क संपर्क कट गया है। जो फोर्स या रसद धराली भेजी जा रही थी वो भी रास्ते में फंस गई है। जिलाधिकारी रात को भटवाड़ी तक ही पहुंच पाए थे। आज सुबह कुछ स्थानों पर वाहन और फिर पैदल ही आगे बढ़े हैं।