Chardham Yatra 2024: रविवार रात नौ बजकर सात मिनट पर बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस मौके पर दस हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद रहे। बद्रीविशाल की जय के उद्घोष से पूरा परिसर गुंजायमान हो गया। बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर परिसर में महिला मंगल दल बामणी और पांडुकेश्वर की महिलाओं ने लोकगीत और लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान सेना व श्रद्धालुओं की ओर से जगह-जगह भंडारे का आयोजन भी किया गया।
इससे पहले दिनभर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहा। पूर्व की भांति सुबह साढ़े चार बजे बदरीनाथ की अभिषेक पूजा शुरू हुई। बदरीनाथ का तुलसी और हिमालयी फूलों से श्रृंगार किया गया। अपराह्न छह बजकर 45 मिनट पर बदरीनाथ की सायंकालीन पूजा शुरू हुई। देर शाम सात बजकर 45 मिनट पर रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी ने स्त्री वेष धारण कर लक्ष्मी माता को बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश कराया। बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह) में सभी देवताओं की पूजा अर्चना व आरती के बाद उद्धव जी व कुबेर जी की प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लाया गया।
#WATCH | Uttarakhand | The doors of Shri Badrinath Dham located in Chamoli district have been closed for winter today at 9:07 PM. On the occasion of the closing of the doors of Badrinath Dham, the temple was decorated with 15 quintals of marigold flowers. The entire Badrinath… pic.twitter.com/C9v6KYuLyo
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 17, 2024
रात आठ बजकर 10 मिनट पर शयन आरती हुई। इसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई। रात सवा आठ बजे माणा गांव की कन्याओं द्वारा तैयार घृत कंबल बदरीनाथ भगवान को ओढ़ाया गया और अखंड ज्योति जलाकर रात ठीक नौ बजकर सात मिनट पर भगवान बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेंगी उत्सव डोलियां
रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी और बदरीनाथ के हक-हकूकधारियों के साथ उद्धव व कुबेर की उत्सव डोली तथा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को सुबह पांडुकेश्वर के योग बदरी मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। मंगलवार को आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी ज्योतिर्मठ स्थित नृसिंह मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी।