उत्तराखंड की प्रतिभा विश्व फलक पर फिर चमकने के लिए तैयार है। चमोली जिले के दीपक कठैत की कलाकृतियों की नई सीरीज ‘एन एलीगी ऑफ बीइंग एंड टाइम’ (An Elegy of Being and Time) को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी महोत्सव ‘आर्ल्स रेनकॉन्ट्रेस डे ला फोटोग्राफी’ के लिए चुना गया है। यह जुलाई के पहले सप्ताह में फ्रांस के आर्ल्स शहर में प्रदर्शित किया जाएगा।
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बतादें कि आर्ल्स रेनकॉन्ट्रेस डे ला फोटोग्राफी महोत्सव विश्व में काफी लोकप्रिय है। यहां दुनिया भर के प्रसिद्ध कलाकारों की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाता है। यह आयोजन 1970 से हो रहा है। यहां पर 40 से अधिक प्रदर्शनी लगाई जाती है। यह कलाकारों के लिए विश्वस्तरीय बड़ा मंच माना जाता है। यहां दुनिया भर के कलाकार जुटते हैं। इस वर्ष चमोली के दीपक कठैत की कलाकृतियों का दीदार दुनिया भर के कलाप्रेमी करेंगे।
कठैत की चयनित सीरीज ‘एन एलीगी ऑफ बीइंग एंड टाइम’ वैश्विक अशांति और संघर्षों, विशेष रूप से गाजा और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध, जिसमें हजारों निर्दोष लोगों की जानें गईं हैं उनको श्रद्धांजलि है। साथ ही कठैत की यह कला सीरीज जलवायु परिवर्तन, नस्लवाद और अन्य प्रमुख वैश्विक चुनौतियों जैसे मुद्दों पर एक गहन मंथन है।
कलाकृतियों के माध्यम से दीपक कठैत अपने कलाकार बनने के सपनों व व्यक्तिगत संघर्षां को भी अभिव्यक्त करेंगे। अपनी कलाकृतियों में कठैत मानवीय आंतरिक पारिस्थितिकी पर विचार करते हैं। कठैत मानवीय चेतना और आध्यात्मिक वास्तविकता में रुचि रखते हैं। वह अपनी कलाकृतियों के माध्यम से सामूहिक अचेतनता, संवेदी धरणाओ, शरीर और मन की भ्रामक असत्यता, जीवन में अर्थ खोजने और संघर्षपूर्ण समय में चिरस्थायी शांति, आंतरिक स्वतंत्रता और न्याय की मानवीय इच्छाओं पर चिंतन करते हैं। अपनी कला के माध्यम से, वह मन की चिंतित, घृणास्पद और क्रूर स्थिति के बारे में भी सामूहिक आत्म-जागरुकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
‘एन एलीगी ऑफ बीइंग एंड टाइम’ चित्र शृंखला में कठैत ‘फोटोग्राफी, ड्राइंग / पेंटिंग और दार्शनिक लेख’ का संयोजन कर एक अमूर्त भाषा बनाते हैं। वह छवि-निर्माण की पारंपरिक डॉक्युमेंट्री शैली से परे एक कला के रूप में फोटोग्राफी माध्यम का उपयोग करते हैं। इससे कठैत कला माध्यम की सीमाओं को आगे बढ़ाने और समकालीन दृश्य संस्कृति में चित्र निर्माण की नई संभावनाओं को प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। कठैत के मुताबिक वह भारतीय कला को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इनका लक्ष्य है दुनिया भर के 300 से अधिक म्यूजियम्स, आर्ट गैलरी और आर्ट फेस्टिवल्स में अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करना।
कठैत भारत के एक इमर्जिंग समकालीन दृश्य कलाकार हैं, वे मूल रूप से उत्तराखण्ड के चमोली जिले से आते हैं । कठैत का लाँग टर्म विजन भारतीय कला को विश्व अस्तर पर पहचान दिलाना है, व दुनिया के लगभग 300 से अधिक लीडिंग म्यूजियम्स, आर्ट गैलरी, फ़ैर व आर्ट फेस्टिवल्स में प्रदर्शित कर भारतीय कला, संस्कृति में अमित योगदान देना है। दीपक कठैत लंदन की विश्वप्रसिद्ध आर्ट एंड डिजाइन द रॉयल कॉलेज से पढ़ हैं।