Bypoll Result : उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में 5-0 से क्लीनस्वीप करने वाली भाजपा को विधानसभा उपचुनाव में करारा झटका लगा है। बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उसे कांग्रेस के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी है। बद्रीनाथ में कांग्रेस से ‘पोर्ट’ कराए गए राजेंद्र भंडारी 5095 मतों से उपचुनाव हार गए हैं। कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने यह सीट शानदार तरीके से जीती। पिछली बार राजेंद्र भंडारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे। लोकसभा चुनाव के दौरान वह भाजपा में शामिल हो गए और विधायकी से इस्तीफा दे दिया।
वहीं मंगलौर में ‘बाहरी’ प्रत्याशी का दांव भी भाजपा के काम नहीं आया। हरियाणा से ‘आयात’ किए गए करतार सिंह भड़ाना दूसरे स्थान पर रहे। यह सीट बसपा विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन से खाली हुई थी, जिसे अब कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने जीत लिया है। बसपा ने दिवंगत विधायक अंसारी के बेटे उबेदुर्रहमान को मैदान में उतारा था। वह पिता की सीट बचा नहीं पाए। काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने कुल 32710 वोट बटोरे। करतार सिंह भड़ाना दूसरे स्थान पर रहे। उन्हें 31261 वोट मिले। इस सीट पर अंतर महज 422 वोटों का रहा। बसपा प्रत्याशी को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा।
सियासी जानकारों का मानना है कि इस परिणाम से दलबदल करने वाले नेताओं को बड़ा सबक मिलेगा। कांग्रेस की इस जीत से यह साबित होता है कि जनता विधायक के दलबदल से नाखुश थी।
इस उपचुनाव में भाजपा को उम्मीद थी कि वह पहली बार मंगलौर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करेगी। हरिद्वार जिले की यह मुस्लिम बहुल सीट भाजपा लिए हमेशा से अभेद दुर्ग रही है। यहां अब तक हुए सभी चुनावों में पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। पार्टी ने करतार सिंह भड़ाना को इसी उम्मीद में बाहर से लाया था। लेकिन, कांग्रेस ‘रिवाइवल’ में वह भी नहीं टिक पाए। अगर इस सीट के बारे में कहा जाए तो यहां बसपा को ज्यादा नुकसान हुआ है। क्यों कि यह उसकी विनिंग सीट थी। लेकिन, वह अपनी सीट नहीं बचा पाई।
सीएम धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की साख पर सवाल
लोकसभा चुनाव में आए नतीजों पर सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छाप थी, लेकिन विधानसभा उपचुनाव सीएम पुष्कर सिंह धामी के कामकाज का भी इम्तिहान था। आमतौर पर सत्ताधारी दल के लिए उपचुनाव जीतना कमोबेश आसान होता है। अगर यह नतीजा 1-1 भी रहता तो बात गंभीर न होती लेकिन दोनों सीटों पर हार जाने से सीएम धामी और पार्टी अध्यक्ष महेंद्र सिंह भट्ट दोनों की साख पर सवाल खड़े होंगे। पार्टी ने पुष्कर सिंह धामी को खटीमा में हार के बावजूद सीएम बरकरार रखा और उन्होंने चंपावत उपचुनाव धमाकेदार अंदाज में जीता। इसके बाद कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास के निधन से खाली हुई बागेश्वर सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्होंने जबरदस्त जीत दर्ज करवाई। लेकिन वह गढ़वाल के बद्रीनाथ में यह करिश्मा दोहरा न सके। महेंद्र सिंह भट्ट को हैवीवेट बनाकर राज्यसभा पहुंचाया गया लेकिन उनकी ही सीट पर पार्टी का हारना कई सवाल खड़े करता है। अभी तक राज्य सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रही भाजपा की राज्य इकाई के लिए भी केंद्रीय नेतृत्व को इस हार का जवाब देना मुश्किल होगा। पौड़ी सांसद और हरिद्वार सांसद के लिए भी यह हार झटका है, लेकिन दोनों नए सांसदों के पास जीत को ज्यादा समय न होने की शील्ड है।