आखिरकार, दुनिया के सबसे बड़े समागम महाकुंभ में आहूति देने के लिए लोग आने लगे। पौष पूर्णिमा का स्नान तो सोमवार को था लेकिन, रविवार रात को ही संगमनगरी की सड़कें श्रद्धालुओं से पट गईं। सिर पर गठरी लादे श्रद्धालु तेज कदमों से त्रिवेणी की ओर बढ़ जा रहे थे। सुबह 7: 30 बजे तक मेला प्रशासन का दावा था कि 35 लाख से ज्यादा श्रद्धालु गंगा में स्नान कर चुके थे। दोपहर दो बजे तक प्रशासन का दावा था कि एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं।
भोर चार बजे से ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर श्रद्धालुओं का अद्भुत नजारा देखने को मिला। महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर महाकुंभ में पहले स्नान पर्व पर देशभर से आए श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। आधी रात से ही श्रद्धालु और कल्पवासी संगम तट पर जुटने लगे थे। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने महाकुंभ में आए श्रद्धालुओं का माला पहनाकर स्वागत किया।
बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तड़के से ही संगम स्नान के लिए पहुंचने लगे। आस्था का ऐसा आलम था कि सिर पर गठरी का वजन भी उनके उत्साह को कम नहीं कर सका। संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट समेत समस्त घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालु स्नान करते नजर आए। युवाओं ने इस पावन क्षण को कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर साझा किया।
सनातन संस्कृति का उत्सव
इस बार युवाओं में सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला। संगम स्नान और दान-पुण्य में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम तट पर पूजा-अर्चना और दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। गया।