Board Exam नज़दीक आ रहे हैं और बच्चे पूरी मेहनत से तैयारी में जुटे हुए हैं। बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी इस प्रक्रिया में बराबर का सहयोग दे रहे हैं। पूरे प्रदेश में लाखों बच्चे, जो सीबीएसई, आईसीएसई, आईजीसीएसई और स्टेट बोर्ड से हैं, अपने दसवीं और बारहवीं के Board Exam फरवरी और मार्च में देने जा रहे हैं। इस समय छात्रों और उनके अभिभावकों पर परीक्षा का दबाव बहुत अधिक होता है।

परीक्षाओं के दबाव को कम करने और उन्हें खुशी-खुशी देने के लिए सबसे जरूरी है सही योजना और व्यवस्थित पढ़ाई। सबसे पहले, समय का प्रबंधन करना सीखें। किसी भी विषय को रटने की बजाय उसके कॉन्सेप्ट को समझें। कॉन्सेप्ट को स्पष्ट करने से कठिन से कठिन टॉपिक भी आसान हो जाता है। हर दिन थोड़े-थोड़े समय के लिए पढ़ाई करें, ताकि लंबे समय तक पढ़ाई करने से जो थकान होती है, उससे बचा जा सके। बीच-बीच में ब्रेक लेना भी जरूरी है, जिससे दिमाग को आराम मिले और पढ़ाई में रुचि बनी रहे। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल करना और मॉक टेस्ट देना परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत उपयोगी होता है। इससे न केवल परीक्षा पैटर्न समझने में मदद मिलती है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इसके साथ ही, अपनी गलतियों को पहचानें और उन पर काम करें।
पढ़ाई के साथ-साथ पर्याप्त नींद लेना और संतुलित आहार लेना भी बहुत जरूरी है। यह दिमाग को तरोताजा रखता है और एकाग्रता को बनाए रखता है। अभिभावकों का यह कर्तव्य है कि वे बच्चों पर अतिरिक्त दबाव न डालें, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं। सकारात्मक सोच के साथ तैयारी करना और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना सफलता का मूल मंत्र है। परीक्षा को एक अवसर के रूप में देखें, न कि एक दबाव के रूप में। इस तरह की व्यवस्थित और संतुलित तैयारी से बच्चे न केवल अच्छा प्रदर्शन करेंगे, बल्कि परीक्षा के समय तनाव मुक्त भी रहेंगे।
Board Exam जीवन के महत्वपूर्ण चरणों में से एक होती हैं, जहां छात्र अपनी मेहनत और क्षमता का प्रदर्शन करते हैं। लेकिन इस दौरान सही दिशा में तैयारी और सकारात्मक दृष्टिकोण होना अत्यंत आवश्यक है। परीक्षा की तैयारी करते समय कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है, जिससे न केवल बच्चों का प्रदर्शन सुधरे बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़े। सबसे पहले, बोर्ड द्वारा निर्धारित सिलेबस का पुनरावलोकन करना जरूरी है। यह सुनिश्चित करता है कि छात्र अपनी ऊर्जा और समय केवल उन टॉपिक्स पर लगाएं जो परीक्षा में शामिल हैं। सिलेबस के बाहर के विषयों पर समय बर्बाद करने से बचें। एक ऐसा टाइमटेबल बनाएं जिसे व्यावहारिक रूप से पूरा किया जा सके। इसमें पढ़ाई के साथ-साथ नियमित ब्रेक को भी शामिल करें, ताकि दिमाग तरोताजा रहे।
जो विषय चुनौतीपूर्ण लगते हैं, उनकी पढ़ाई पहले करें। इन विषयों को समझने में यदि दिक्कत हो, तो अपने शिक्षकों या दोस्तों से सहायता लेने में हिचकिचाएं नहीं। पढ़ाई करते समय फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूरी बनाए रखें, क्योंकि ये ध्यान भटकाने का सबसे बड़ा कारण होते हैं। सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम और फेसबुक का उपयोग सीमित करें, खासकर पढ़ाई के समय।
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यदि संभव हो, तो दोस्तों के साथ ग्रुप स्टडी करें। यह पढ़ाई का एक प्रभावी तरीका है, जहां आप एक-दूसरे को पढ़ाते हुए कठिन विषयों को भी आसानी से समझ सकते हैं। लंबे समय तक पढ़ाई करने के बजाय, हर डेढ़-दो घंटे में 10-15 मिनट का ब्रेक अवश्य लें। इससे दिमाग को आराम मिलेगा और पढ़ा हुआ याद रखने में मदद मिलेगी। पूरा कोर्स खत्म करने के बाद, सैंपल पेपर और मॉक टेस्ट हल करें। पुराने बोर्ड परीक्षा के प्रश्नपत्र भी हल करना फायदेमंद होगा। यह न केवल परीक्षा पैटर्न को समझने में मदद करता है, बल्कि यह आत्ममूल्यांकन का भी एक बेहतरीन तरीका है। इससे आप यह जान सकते हैं कि किन टॉपिक्स में सुधार की जरूरत है। कुछ छात्रों को जोर-जोर से पढ़ने से बेहतर याद होता है, जबकि कुछ गणित और अकाउंटेंसी जैसे विषयों को हल्का संगीत सुनते हुए पढ़ना पसंद करते हैं। अगर संगीत सुनते हुए पढ़ाई करें, तो ध्यान रखें कि संगीत शांत और सुकूनभरा हो। पढ़ाई के साथ-साथ पर्याप्त नींद लेना भी बहुत जरूरी है। कम से कम 6 घंटे की नींद अवश्य लें, क्योंकि एक स्वस्थ मस्तिष्क ही बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। खाने में पौष्टिक भोजन शामिल करें और खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी, जूस और सूप लें। बोर्ड परीक्षाओं के समय जनवरी और फरवरी की ठंड भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है। ठंड से बचने के लिए बच्चे हमेशा ऊनी कपड़े पहनें और खुद को गर्म रखें। सर्द मौसम में सेहत का ख्याल रखना उतना ही जरूरी है जितना पढ़ाई करना। लगातार हीटर या ब्लोअर के सामने बैठने से बचें, क्योंकि यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कमरे को आरामदायक तापमान पर रखें और समय-समय पर ताजी हवा आने दें।
अभिभावकों की भूमिका इस दौरान बहुत महत्वपूर्ण होती है। उन्हें घर का माहौल सकारात्मक बनाए रखना चाहिए। बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने के बजाय, उन्हें प्रेरित करें और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं। किसी भी बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे से न करें, क्योंकि हर बच्चा अपनी जगह खास होता है। इस प्रकार की व्यवस्थित और संतुलित तैयारी से न केवल बच्चे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करेंगे, बल्कि परीक्षा के समय तनावमुक्त भी रहेंगे। आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ की गई मेहनत हमेशा सफलता की ओर ले जाती है।
(लेखक द दून स्कूल में गणित विभाग के विभागाध्यक्ष हैं।)