Binsar Forest Fire : की चपेट में आने से चार वनकर्मियों की मौत के मामले में नया मोड़ तब आ गया जब मृतक करन के परिजनों ने दावा किया कि वह वनकर्मी था। चूंकि, करन नाबालिग है। यानी 17 साल का। इसलिए वनविभाग उसे फायर वाचर मानने से इन्कार कर दिया। कह रहा है कि करन की नियुक्ति संबंधी कोई भी कागजात नहीं है। वहीं, परिजनों का कहना है कि वह रोजाना अन्य वनकर्मियों साथ आग बुझान के लिए जाता था।
Uttarakhand Forest Fire : आखिर क्यों जंगलों की आग बुझाने में फेल हो गया सिस्टम, चार वनकर्मियों की मौत के बाद उठ रहे सवाल
वन विभाग का कहना है कि वह अपने साथियों के साथ जंगल की आग बुझाने के लिए जाता था। मीडिया को दिए बयान में अल्मोड़ा सिवल सोयम डीएफओ हेमचंद्र गहतोड़ी ने बताया कि भटूली निवासी 17 वर्षीय किशोर की नियुक्ति संबंधी कोई कागजात नहीं हैं। मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है। वहीं, बिनसर की आग ने विभाग के खोखले दावों की पोल खोल दी है। वायु सेना के दो हेलिकॉप्टर आग बुझाने में लगे हैं। अब तक करीब 20 हजार लीटर पानी डाला जा चुका है। बताया जा रहा है कि अब तक 70 फीसदी आग बुझ चुकी है।
कुछ अफसरों पर गिर सकती है गाज
बिनसर वन्यजीव विहार में चार लोगों की मौत के बाद सीएम पुष्कर धामी ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने पीसीसीएफ (हॉफ) डॉ.धनंजय मोहन समेत सभी जिम्मेदार वन अधिकारियों का जवाब तलब किया है। सीएम ने उन सभी दिशा-निर्देशों पर हुई कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है, जो उन्होंने वनाग्नि नियंत्रण के संबंध में हुई समीक्षा बैठकों में दिए थे उनके आदेश के बाद पीसीसीएफ ने वन मुख्यालय में तैनात सभी प्रमुख वन अधिकारियों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी सौंपी थी और उन्हें क्षेत्रीय भ्रमण करने के निर्देश दिए थे। बताया जा रहा है कि इसके बाद भी लापरवाही बरती गई।

मृतकों के घर नहीं पहुंचीं रेखा आर्या, लोगों में नाराजगी
अल्मोड़ा विधानसभा से विधायक व कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के पीड़ित परिवारों के घर और अस्पताल नहीं पहुंचने पर भी क्षेत्र के लोग नाराज हैं। इन लोगों का कहना है कि मंत्री न सही महिला होने के नाते तो रेखा आर्या को अपने जिले के लोगों का दर्द बांटने आना चाहिए था।
बीमा कराने में देरी पर 21 डीएफओ को नोटिस
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने फायर वाचरों का बीमा कराने में देरी पर 21 डीएफओ को नोटिस जारी किया है। बताया जा रहा है कि वन मंत्री ने एक महीना पहले ही सभी फायर वॉचरों का बीमा कराने का निर्देश दिया था। लेकिन, अब तक 20 वन प्रभागों में तैनात 2286 फायर वाचरों का ही बीमा कराया गया है।