Close Menu
तीरंदाज़तीरंदाज़
    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest Dribbble Tumblr LinkedIn WhatsApp Reddit Telegram Snapchat RSS
    अराउंड उत्तराखंड
    • मतदाता पहचान पत्र वितरण में तेजी लाएगा निर्वाचन आयोग, बनने के 15 दिन के भीतर मिलेगा
    • Girl Education… गजब! बेटियां हर क्षेत्र में अव्वल, फिर भी नहीं बदल रही संकीर्ण सोच
    • Technology : अब धान-गेहूं भी काटेगा रोबोट…दस के बराबर करेगा काम
    • Fire Season-2025 खत्म, पिछले साल 1276 तो इस साल महज 216 घटनाएं
    • आस्था का बड़ा केंद्र बनता कैंची धाम, हर साल बढ़ रहे लाखों श्रद्धालु
    • Uttarakhand को बनाएंगे योग और वेलनेस टूरिज्म का वैश्विक हब
    • Kedarnath Helicopter Crash: हादसे के बाद हेलीकॉप्टर संचालन का मानक होगा सख्त
    • गौरीकुंड में Helicopter Crash… सात की मौत, हेलीसेवा रोकी गई
    • भारतीय सेना को 419 युवा अफसर मिले, आईएमए में हुई भव्य पासिंग आउट परेड
    • Uttarakhand… जलस्रोतों के संरक्षण का ‘सारा’ प्रयास
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp Telegram LinkedIn
    Thursday, June 19
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    Home»ओपिनियन»Bhu Kanoon: अनुच्छेद-371 से बचेंगी उत्तराखंड की जमीनें!
    ओपिनियन

    Bhu Kanoon: अनुच्छेद-371 से बचेंगी उत्तराखंड की जमीनें!

    teerandajBy teerandajJanuary 27, 2024Updated:January 27, 2024No Comments
    Share now Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    Share now
    Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn

    आज जब उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून (Bhu Kanoon) की मांग हो रही है, तब याद आता है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन और राज्य गठन की प्रक्रिया के दौरान कुछ लोग तो थे जो पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन को बचाने के सवाल को भी उठाते थे। ये वो लोग रहे होंगे जो देश के पहाड़ी राज्यों में संविधान के अनुच्छेद-371 के अंतर्गत की गई विशेष व्यवस्थाओं से परिचित रहे होंगे, क्योंकि जमीन बचाने की बात के साथ अनुच्छेद-371 की चर्चा होती थी।

    जम्मू-कश्मीर को लेकर संविधान का अनुच्छेद-370 हमेशा चर्चा में रहा। लेकिन अनुच्छेद-371 के बारे में कोई खास जानकारी लोगों को नहीं रही। अब हमेशा के लिए हट चुके अनुच्छेद-370 ने जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा दिया जबकि अनुच्छेद-371 में अनेक राज्यों को कुछ विशेष सुविधाएं दी गईं। अनुच्छेद- 371 संविधान के सबसे बड़े अनुच्छेदों में से एक है। अनुच्छेद-371 क्या है और इसमें किन राज्यों को विशेष सुविधाएं दी गई हैं, यह जानना और जमीन के संदर्भ में इसका लाभ उतराखंड को कैसे मिल सकता था या अभी मिल सकता है, इस पर भी चर्चा होनी चाहिए।

    आज जब उत्तराखंड में भू-कानून को लेकर एक आंदोलन खड़ा होता दिख रहा है, तब अनुच्छेद-371 को भी पढ़ा और समझा जाना चाहिए। भारत के संविधान के भाग 21 में अनुच्छेद-369 से 392 तक में संक्रमणकालीन अस्थायी व्यवस्था एवं राज्यों के लिए विशेष उपबंध करने की शक्ति संसद को दी गई है। विशेष उपबंध प्रायः नवगठित राज्य को संरक्षण प्रदान करते हैं।

    अनुच्छेद-371 (क) में नगालैंड में नागाओं की धार्मिक व सामाजिक प्रथाओं के संरक्षण और भूमि व संपत्ति संबंधी स्वामित्व को संरक्षण दिया गया है। अनुच्छेद-371 (ख) में असम के जनजातीय क्षेत्रों के लिए समिति के गठन की व्यवस्था है। अनुच्छेद-371 (ग) में मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के बारे में विशेष व्यवस्था है। अनुच्छेद-371 (छ) में मिजोरम के लिए वही प्रावधान किए गए हैं जो नगालैंड के लिए किए गए। अरुणाचल के लिए अनुच्छेद-371 (ज) में वहां के लिए राज्यपाल को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं।

    उत्तराखंड के लिए अनुच्छेद-371 की वकालत करने का एक कारण यह भी था इसमें काफी बड़ा क्षेत्र मैदानी है और पर्वतीय निवासियों के अल्पसंख्यक हो जाने का खतरा है। जमीन का स्वरूप भी पर्वतीय क्षेत्रों में अलग है। खेती की जमीन बहुत सीमित है और वन भूमि क्षेत्र की खेत के किनारे और घर के आंगन तक पहुंच है। हालांकि यह भी स्पष्ट कर दें कि किसी राज्य द्वारा बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीद पर बंदिश या कठोर कानून बनाने के लिए आवश्यक नहीं कि अनुच्छेद-371 के अंतर्गत ही संभव हो। यह अनुच्छेद-371 के बिना भी संभव है जैसा कि हिमाचल ने कर दिखाया।

    भूमि और भूमि प्रबंधन राज्य क्षेत्र का विषय है इसलिए भूमि खरीद संबंधी व्यवस्थाएं करने के लिए राज्य को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, क्योंकि राज्य पुनर्गठन विधेयक में अनुच्छेद- 371 का कोई भी लाभ पर्वतीय राज्य होने के बावजूद उत्तराखंड को नहीं मिला इसलिए यह चिंता राज्य सरकार को स्वयं करनी चाहिए थी।

    सवाल यह था कि पर्वतीय मूल निवासियों की सीमित खेती और आवास की जमीन को कैसे बचाया जा सकता है! लेकिन अभी बड़ी समस्या तो यह भी हो गई है कि मूल निवासियों की पहचान ही खतरे में है, क्योंकि शिक्षा, नौकरी, रोजगार आदि में मूल निवास की अनिवार्यता ही समाप्त की जा चुकी है। सब कुछ केंद्रीयकृत करने वालों से अब यह अपेक्षा करना व्यर्थ है कि वह अनुच्छेद-371 का लाभ उत्तराखंड को देने की सोचेगी। ऐसे में राज्य स्तर पर मुद्दा बनाकर ही राज्य सरकार को इसके लिए मजबूर किया जा सकता है। अभी जो आवाज उठ रही हैं, वह मुख्य रूप से वर्ष 2018 के भूमि खरीद संबंधी प्रावधान को लेकर हैं जिसमें गैर उत्तराखंडी/गैर पहाड़ी आसानी से जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं। जबकि समस्या राज्य बनने से पहले और राज्य निर्माण की प्रक्रिया के दौरान जन्म ले चुकी थी। जमीन की खरीद-फरोख्त की शर्तों पर ही सरकार बात करती है।

    अब तक भू-कानून का नारा लगाने वाले भी शायद यहीं तक सोच पा रहे हैं, जबकि व्यावसायिक खरीद-फरोख्त को पूरी तरह का प्रतिबंधित किए जाने की जरूरत है। याद रहे कि उत्तराखंड एक छोटे राज्य की मांग नहीं थी बल्कि इसके मूल में पर्वतीय निवासियों की पहचान और हक-हकूक का सवाल था। पहचान और हक-हकूक जमीन से हटकर नहीं बचाए जा सकते हैं।

    उत्तर प्रदेश के समय ग्राम पंचायतों तक को यह अधिकार था कि पंचायत की भूमि को गांव के जरूरतमंदों को मकान बनाने, गौशाला बनाने या फिर अस्पताल, स्कूल के लिए देने का अधिकार था। इसे उत्तराखंड में भी बहाल रखने की नहीं बल्कि और सुगम बनाने की आवश्यकता थी। यदि सुगम स्थान पर मकान के लिए पर्याप्त जगह मिले तो हर गांव में कुछ ऐसे परिवार हो सकते हैं कि जो पलायन न करें। आज जमीन के मामले में स्थिति उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा खराब और चिंताजनक है। (महिपाल सिंह नेगी के विचार, हिमांतर से साभार)

    Article 371 Bhu Kanoon Land Law Mool Niwas Uttarakhand
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Pinterest Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram Follow on LinkedIn
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    teerandaj
    • Website

    Related Posts

    जायका पहाड़ का… अब भट्ट की चटनी भी ग्लोबल!

    June 14, 2025 स्पेशल By teerandaj5 Mins Read35
    Read More

    World Environment Day Special: पर्यावरण, गांधी और जल-जंगल-जमीन, जीवन का सवाल

    June 5, 2025 ओपिनियन By teerandaj8 Mins Read24
    Read More

    विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष : पिघलते ग्लेशियर… इस नुकसान को भरने में गुजर जाएंगी सदियां!

    June 4, 2025 कवर स्टोरी By teerandaj6 Mins Read155
    Read More
    Leave A Reply Cancel Reply

    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/MDDA_Final-Vertical_2.mp4
    https://teerandaj.com/wp-content/uploads/2025/05/Vertical_V1_MDDA-Housing.mp4
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Top Posts

    Delhi Election Result… दिल्ली में 27 साल बाद खिला कमल, केजरीवाल-मनीष सिसोदिया हारे

    February 8, 202513K

    Delhi Election Result : दिल्ली में पहाड़ की धमक, मोहन सिंह बिष्ट और रविंदर सिंह नेगी बड़े अंतर से जीते

    February 8, 202512K

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202511K

    UCC In Uttarakhand : 26 मार्च 2010 के बाद शादी हुई है तो करा लें रजिस्ट्रेशन… नहीं तो जेब करनी होगी ढीली

    January 27, 202511K
    हमारे बारे में

    पहाड़ों से पहाड़ों की बात। मीडिया के परिवर्तनकारी दौर में जमीनी हकीकत को उसके वास्तविक स्वरूप में सामने रखना एक चुनौती है। लेकिन तीरंदाज.कॉम इस प्रयास के साथ सामने आया है कि हम जमीनी कहानियों को सामने लाएंगे। पहाड़ों पर रहकर पहाड़ों की बात करेंगे. पहाड़ों की चुनौतियों, समस्याओं को जनता के सामने रखने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड में सबकुछ गलत ही हो रहा है, हम ऐसा नहीं मानते, हम वो सब भी दिखाएंगे जो एकल, सामूहिक प्रयासों से बेहतर हो रहा है। यह प्रयास उत्तराखंड की सही तस्वीर सामने रखने का है।

    एक्सक्लूसिव

    EXCLUSIVE: Munsiyari के जिस रेडियो प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, उसमें हो रहा ‘खेल’ !

    November 14, 2024

    Inspirational Stories …मेहनत की महक से जिंदगी गुलजार

    August 10, 2024

    Startup हो तो ऐसा, उत्तराखंड से दुनिया में बजा रहे टैलेंट का डंका

    August 5, 2024
    एडीटर स्पेशल

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202511K

    Digital Arrest : ठगी का हाईटेक जाल… यहां समझिए A TO Z और बचने के उपाय

    November 16, 20249K

    ‘विकास का नहीं, संसाधनों के दोहन का मॉडल कहिये…’

    October 26, 20237K
    तीरंदाज़
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest LinkedIn WhatsApp Telegram
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    • About Us
    • Atuly Uttaraakhand Emagazine
    • Terms and Conditions
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
    © 2025 Teerandaj All rights reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.