Axiom-4 Mission : बुधवार दोपहर 12 बजे जैसे ही कैनेडी स्पेस सेंटर के कॉम्प्लेक्स 39ए से अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी भारतीयों में खुशी की लहर छा गई। देश के शुभाशु शुक्ला चार अंतरिक्ष यात्रियों में एक हैं। 28 घंटे की यात्रा के बाद अंतरिक्ष यान बृहस्पितवार शाम करीब 04:30 बजे के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से डॉक होने की उम्मीद है। शुभांशु शुक्ला ग्रुप कैप्टन हैं। बतादें कि तकनीकी कारणों से यह मिशन छह बार टल चुका है। सातवीं बार इसे सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन में कई देशों की साझेदारी है। लॉन्चिंग के करीब आधे घंटे बाद शुभांशु ने यान से देशवासियों के लिए एक संदेश दिया। इसमें उन्होंने कहा कि 41 साल बाद हम वापस अंतरिक्ष में लौट गए हैं। ये शानदार अनुभव है। मैं चाहता हूं सभी देशवासी इस यात्रा का हिस्सा बनें। मेरे कंधे पर तिरंगा है, जो एहसास दिला रहा है कि मैं आप लोगों के साथ हूं। कमाल की राइड थी। आज सभी भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा है। जय हिंद, जय भारत।

12 बजकर दो मिनट पर जैसे ही अंतरिक्ष यान रवाना हुआ शुभांशु के माता-पिता शंभू दयाल शुक्ला ओर आशा शुक्ला की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि पूरे देश को उन पर नाज है। लखनऊ में शुभांशु शुक्ला के स्कूल में भी शिक्षक-छात्र एक साथ खड़े होकर ताली बजाने लगे। स्कूल के हॉल में लाइव चल रहा था। पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा कि सबको एक करने के लिए आज शुभांशु उड़ गया। स्कूल के सभी बच्चे जश्न में डूबे रहे। पूरे स्कूल में खुशी का माहौल है। शुभांशु की बहन निधि मिश्रा ने खुशी जताते हुए कहा, मुझे अच्छा लग रहा है और मैं उम्मीद कर रही हूं कि वह अपना मिशन सफलतापूर्वक पूरा करके जल्द ही हमारे पास लौट आए ताकि मैं उसे एक बार फिर गले लगा सकूं। मेरा भाई कहता है – मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। इस दुनिया में आपको कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। आज हम जो कुछ भी देख रहे हैं, उसके पीछे बहुत मेहनत है। मैं अभी अपने भाई के लिए थोड़ी भावुक हूं।
पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने क्या कहा…

उनसे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराया था। जिन्होंने शुभांशु को शुभकामनाएं दीं हैं और और कई दिलचस्प बातें कही है। 1984 में राकेश शर्मा सोवियत सोयुज यान से अंतरिक्ष गए थे। चार दशक बाद अब शुभांशु अंतरिक्ष जा रहे हैं। एक मीडिया चैनल से बातचीत में राकेश शर्मा ने कहा, ये भारत के स्पेस प्रोग्राम के लिए बहुत खास समय है। शुभांशु को जो मौका मिला है, वो इसका पूरा फायदा उठाएंगे। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर उनका अनुभव भारत के लिए बहुत काम आएगा। हंसते हुए उन्होंने कहा, मैं उनकी वापसी का इंतजार कर रहा हूं, ताकि पूछ सकूं कि 41 साल में अंतरिक्ष में क्या-क्या बदला। दिलचस्प बात यह है कि उस समय शुभांशु शुक्ला का जन्म भी नहीं हुआ था।
अंतरिक्ष में क्या करेंगे शुभांशु शुक्ला ?
शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट के तौर पर आईएसएस भेजे जा रहे हैं। यानी जिस ड्रैगन कैप्सूल के जरिए एग्जियोम-4 मिशन को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) रवाना किया जाएगा, शुभांशु उसको गाइड करने (नैविगेशन) में अहम भूमिका निभाएंगे। यहां स्पेसक्राफ्ट को आईएसएस पर डॉक कराने से लेकर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने तक की जिम्मेदारी शुभांशु के ही कंधों पर होगी। इसके अलावा अगर यह कैप्सूल किसी तरह की दिक्कत में आती है तो शुभांशु के पास ही यान का कंट्रोल और आपात फैसले लेने की जिम्मेदारी होगी। कुल मिलाकर शुभांशु इस मिशन में सेकंड-इन-कमांड की भूमिका में होंगे। वह आईएसएस में कुल 14 दिन बिताएंगे। नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान के निदेशक पैगी व्हिटसन मिशन की कमान संभालेंगे। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के परियोजना अंतरिक्ष यात्री पोलैंड के स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विस्नेवस्की और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कापू दोनों मिशन विशेषज्ञ के रूप में काम करेंगे।
गुनगुनाते हुए निकले शुभांशु
बताया जाता है कि जब अंतरिक्ष यान रवाना हो रहा था तो वह गाना गुनगुना रहे थे। गाना था- यूं ही चला चल राही-यूं ही चला चल राही कितनी हसीन है ये दुनिया। भूल सारे झमेले देख फूलों के मेले, बड़ी रंगीन है ये दुनिया। बतादें कि यह गाना स्वदेश फिल्म का है। इसे गाया है उदित नारायण ने।
भारत के लिए अहम है यह मिशन
एक्सियम-4 मिशन एक कमर्शियल स्पेस फ़्लाइट है। ह्यूस्टन की कंपनी एक्सियम स्पेस इस अभियान को चला रही है। इस एक्सियम-4 मिशन में एक सीट भारत ने खरीदी इसके लिए उसे 550 करोड़ रुपये की कीमत अदा करनी पड़ी। साल 1984 में भारत के एस्ट्रोनॉट विंग कमांडर राकेश शर्मा सोवियत संघ मिशन के साथ अंतरिक्ष में गए थे। विज्ञान मामलों के जानकार कहते हैं कि एक्सियम-4 भारत के लिए इसलिए अहम है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को अपने मानव मिशन की दिशा में इससे मदद मिलेगी। गगनयान मिशन भारत का अपना पहला स्वदेशी मानव मिशन है। जिसमें एक भारतीय को भारतीय रॉकेट के ज़रिए श्रीहरिकोटा स्टेशन से अंतरिक्ष भेजा जाएगा। उम्मीद है कि 2027 में यह मिशन अंतरिक्ष भेजा जाएगा। ये गगनयान की ओर छोटे-छोटे कदम बढ़ाने की तरह है। हम इस अभियान में कुछ सीख पाएं इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक समझौता करके आगे बढ़ाया था और अब ये हो रहा है। आगे जो योजना है उसके मुताबिक, 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन मिले। प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो को कहा है कि एक भारतीय को हमारे रॉकेट से, हमारी ताकत से चांद पर भेजा जाए। 15 साल का रोडमैप इसरो के लिए साफ है। उस रोडमैप में आपके एस्ट्रोनॉट को एक्सियम-4 मिशन के तहत भेजना पहला कदम है।