उत्तरकाशी की निर्माणाधीन टनल में फंसे 40 लोगों को बाहर निकालने के प्रयास जारी हैं। दिवाली की सुबह हुए इस हादसे को 48 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। ऐसे में परिजनों की चिंताएं बढ़ रही हैं लेकिन प्रशासन और बचाव दल ने आश्वस्त किया है कि अंदर फंसे सभी लोग सेफ हैं और पाइप के माध्यम से उन्हें ऑक्सीजन और खाने-पीने के सामान भेजे जा रहे हैं। आज 900 एमएम डायमीटर की पाइप सिल्क्यारा पहुंचाई गई है। बताया जा रहा है कि हॉरिजेंटल ड्रिलिंग के लिए एक प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। यूं समझिए कि बड़ी…
Author: teerandaj
दिवाली के दिन उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन टनल (Uttarkashi Tunnel News) को धंसे 24 घंटे से ज्यादा वक्त बीत चुका है। इस हादसे में अंदर फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए लगातार राहत एवं बचाव अभियान चल रहा है। पाइपलाइन के जरिए टनल में फंसे मजदूरों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। पानी वाली इसी पाइपलाइन से मजदूरों के लिए रात में चने के पैकेट भेजे गए थे। अच्छी खबर यह है कि एक तरफ भारी मशीनों से मलबे को हटाया जा रहा है तो दूसरी तरफ वॉकी-टॉकी के जरिए टनल के अंदर फंसे मजदूर…
Tunnel Accident: दिवाली के दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से व्यथित करने वाली खबर है। उत्तरकाशी- यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिलक्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा आज सुबह अचानक टूट गया। उत्तरकाशी के एसपी अर्पण यदुवंशी ने बताया है कि करीब 36 मजदूर अंदर फंस गए हैं। पुलिस, SDRF, NDRF मौके पर पहुंची हुई है। राहत एवं बचाव कार्य जारी है। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर आई, लोग बाबा केदारनाथ से फंसे मजदूरों की रक्षा की कामना करने लगे हैं। मलबा हटाने का काम फौरन शुरू कर दिया गया। मौके पर एंबुलेंस भी तैनात कर…
ऋषिकेश: दीपोत्सव का त्योहार उत्तराखंड समेत पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर बधाई संदेश दिए जा रहे हैं। लोग एक दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं दे रहे हैं। ऋषिकेश की मेयर अनिता ममगाईं ने लोगों को दिवाली की मुबारकबाद दी है। उन्होंने खुशियों के इस पर्व पर एक अपील भी की है। नगर निगम ऋषिकेश की तरफ से की गई इस अपील में कहा गया है कि इस दिवाली को स्वच्छ दीवाली एवं हरित दिवाली के रूप में मनाएं और इस दिवाली पर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाएं। इस दिवाली को वोकल फॉर…
दीवाली के त्योहार पर पूरा देश जगमग है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी की नगरी अयोध्या भव्य दीपोत्सव की रोशनी से प्रकाशमय है। इस बार की दीवाली कुछ खास है क्योंकि प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार होने ही वाला है। सरयू की लहरें भगवान के चरण धोने को आतुर हैं। जिस प्रकार प्रभु के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की वेला पर लोगों ने दीप जलाकर श्री राम का अभिनंदन किया था। वैसा ही अभिनंदन पूरे देश में देखने को मिल रहा है। लोग घर के दरवाजे, दुकान पर दीये जला रहे हैं। झालर चमक रहे हैं।…
परंपरागत करियर ऑप्शन के अलावा कई ऐसे सेक्टर हैं जहां उत्तराखंड के युवा अपना करियर बना सकते हैं। ऐसा है एक संभावनाओं से भरा क्षेत्र है ऑक्यूपेशन थेरेपी। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट किसी कारणवश या जन्मजात शारीरिक या मानसिक तौर पर अक्षमता से ग्रस्त लोगों को सामान्य तरह से काम करने में सक्षम बनाते हैं। यही कारण है कि भारत में इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत सहित विश्व के अन्य देशों में बड़ी संख्या में लोग दुर्घटनाओं (सड़क, रेल एवं अन्य हादसे) का शिकार होते हैं। इनमें हताहत होने वालों की काफी बड़ी संख्या होती है। ऐसे लोगों की…
अक्सर हम उन लोगों से बातचीत करते हैं जो अपने जीवन में कुछ ऐसा कर रहे हैं जो बहुत खास है जिसका एक अपना एहसास है। आज एक ऐसे ही शख्सियत से हम बातचीत करेंगे। इनके बारे में मैं बस यही कहूंगा कि उनकी सोच में पहाड़ सी ऊंचाई है, नदी सी गहराई है और पानी सा ठहराव है। यह शख्सियत आज हमारे बीच में है पंकज जीना। आप इंस्टाग्राम पर इनके थॉट्स को रील पर सुनते हैं। आज आपको पंकज जीना की जिंदगी के कुछ किस्सों से रुबरू करवाते हैं। पंकज जीना साथ में हो और बारिश की बात…
ये कहानी है एक ऐसी महिला की जो रोज जेल में बंद कैदियों की बेहतरी के लिए काम करती हैं। नाम है गिरिबाला जुयाल। उनकी सोच ऐसी कि आप भी सैल्यूट करेंगे।
6 साल से पहाड़ का एक लड़का ऐसे खेल में दुनियाभर में तहलका मचा रहा था, जिसके बारे में हम लोग बहुत कम जानते हैं। उस लड़के के बारे में हमने तब जाना और सुनना शुरू किया जब उसके कुछ वीडियो हमने इंस्टाग्राम रील पर देखे या कोई रेंडम वीडियो हमारे फोन पर आया। जबकि वह लड़का कई साल से लगातार काम कर रहा है। वह आज पहाड़ के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गया है। इस युवा का नाम है अंगद बिष्ट। पहाड़ से निकलकर प्रोफेशनल फाइटर बनने की यह कहानी शानदार है। पहाड़ के लोगों की फाइटिंग स्पिरिट…
उत्तराखंड में चंपावत जिले से लगा है तराई का खटीमा और यहां के खूबसूरत बाहरी इलाके में है छिनकी फार्म। यहां पर ज्यादातर थारू जनजाति के लोग रहते हैं। इस इलाके में teerandaj.com की टीम को एक खूबसूरत इमारत दिखी। देखते ही इसके बारे में जानने की इच्छा हुआ। रास्ते में मिले लोगों से जब इस इमारत के बारे में पूछा तो सबने यही कहा कि यह बहुत अच्छा स्कूल है। इस इलाके में एक ऐसे स्कूल की परिकल्पना करना कमर्शियली भी बहुत बड़ी बात है। आखिरकार हम आ पहुंचे डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल में। यहां हमारी मुलाकात हुई इस स्कूल…
पहाड़ों की रानी मसूरी से मिलने तो आप कई बार गए होंगे, लेकिन इस बार हम आपको ले चलते मां सुरकंडा देवी के चरणों में जहां पहुंच आपको सचमुच ऐसा लगेगा कि आपने मां के साक्षात् दर्शन कर लिए। यकीन मानें आपको प्रवेश द्वार की ओर पग बढ़ाते ही मां की उपस्थिति का अहसास होने लगेगा। और यहां पहुंचने में हुई आपकी थकान कहां फुर्र से गायब हो जाएगी आपको पता ही नहीं चलेगा। कद्दूखाल पहुंचकर आप उस रास्ते की ओर रूख करते हैं जो सीधे सुरकंडा देवी मंदिर की ओर जाता है। यहां से 1.3 किमी की दूरी पर…
उत्तराखंड में हर साल जगह-जगह लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। सवाल ये है कि जब हर साल इतने लाखों-करोड़ों पेड़ लग रहे हैं तो उत्तराखंड में जमीन ही नहीं बचनी चाहिए। लेकिन हुआ ये है कि हमें जिस चीज पर ध्यान देना चाहिए था वो है सर्वाइवल रेट। हम कितने पौधे लगाते हैं और कितने पौधे उनमें से बच पाते हैं, हमने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया। कभी किसी ने यह नहीं जाना कि जो पौधे हमने लगाए हैं, क्या वो सरवाइव कर रहे हैं। बहुत कम लोग हैं जो व्यक्तिगत स्तर पर…
सड़क तुम अब पहुंची हो गांव, जब पूरा गांव शहर जा चुका…। ये महज दो लाइनें नहीं बल्कि हमारे पहाड़ की स्याह हकीकत है। पहाड़ों को लेकर भावुक कोई भी व्यक्ति जब भी इन लाइनों को सुनेगा, उसके अंदर भावनात्मक ज्वार निश्चित तौर पर उठेगा। हमारी एक हकीकत ये भी है कि अगर हमारी बात कोई दूसरा करे तो जल्दी समझ आती है। इन लाइनों और इनके रचनाकार को लोगों ने तब तलाशना शुरू किया, जब एक कार्यक्रम में मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने इन लाइनों को पढ़ा। उससे पहले सिर्फ साहित्यिक रूप से सक्रिय लोगों तक ही ये लाइनें…
मौसम के बदले मिजाज ने एक अलग सी बेचैनी पैदा कर दी है। कंकरीट की ऊंची-ऊंची इमारतों में तब्दील हो चुके शहरों से लोग पहाड़ों की तरफ भाग रहे हैं। उन्होंने सुकून चाहिए। लेकिन हकीकत ये है कि पहाड़ दरक रहे हैं। पत्थर सरक रहे हैं। फिर भी कुछ पल इन पहाड़ों में बिताने के लिए गाड़ियों का रेला चला आ रहा है। बड़ा सवाल यही है कि क्या प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज हमारे पहाड़ इतना दबाव बर्दाश्त कर पाएंगे। टूरिज्म (Tourism) हमारी आर्थिकी का सबसे अहम हिस्सा है लेकिन टूरिज्म को प्रमोट करने के नाम पर कहीं हम प्रकृति…
पिछले कुछ साल में गौरक्षकों को लेकर इस देश में काफी डिबेट हुई। कई बार ऐसा होता है कि गाय को बचाने वाले लोग हिंसा का शिकार हो जाते हैं। यहां तक की बहुत सारे गौरक्षकों ने अपनी जान तक गंवाई है। ऐसे में सवाल ये है कि जो गोवंश बचाया जाता है, उनका क्या होता है? सरकारी सिस्टम क्या इतना सक्षम है? सरकारी गौशालाओं की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। हम इस तलाश में थे कि क्या कोई व्यक्तिगत स्तर पर ऐसा कुछ कर रहा है जिसे देखकर ये कहा जा सके कि सच में गौ सेवा…
उत्तराखंड में जब भी खेलों की बात होती है तो एक जिले का नाम हमेशा लिया जाता है और वह जिला है पिथौरागढ़। यहां जब खेलों की बात होती है तो यहां के बॉक्सिंग और फुटबॉल का कोई सानी नहीं है कोई मैच ही नहीं है। उसके पीछे वजह यह है कि यहां से टैलेंट लगातार बाहर आता रहता है। ‘तीरंदाज’ की टीम ऐसे ही टैलेंट से मुलाकात करने जा पहुंची। हमें यह समझना था कि ऐसा क्या है पिथौरागढ़ में जो यहां से इतने सारे नेशनल और इंटरनेशनल बॉक्सर्स निकलते हैं। यह सिलसिला हरि थापा से शुरू होता है…