- विकास जोशी (कंटेंट कंट्रीब्यूटर)
अंकिता भंडारी नाम था उसका। आंखें सपनों से लबरेज, दिल उम्मीदों से भरा हुआ। वह जीवन में कुछ करना चाहती थी। अपने और अपने परिवार के लिए हालात बदलना चाहती थी। लेकिन नहीं बदल पाई। उसने उड़ान के लिए पर खोले ही थे कि वो कतर दिए गए। जहां उसे लगा था कि वह अपने हालात बदलने की पहली सीढ़ी चढ़ रही है, वही उसके लिए आखिरी कदम साबित हुआ। उन सपनों, उन उम्मीदों का कत्ल कर दिया गया जो एक 19 साल की लड़की की आंखों में पले थे और इस कत्ल का इंसाफ कब होगा? ये सवाल दो साल से पूरा उत्तराखंड पूछ रहा है।
पहाड़ की वो सीधी-साधी लड़की जो अपनी पहाड़ सी चुनौतियों से निजात पाने को नौकरी करने पहुंची थी। उस अंकिता की 18 सितंबर, 2022 को हत्या कर दी गई। 2 साल हो गए हैं, अंकिता के मां-बाप, उसके हितैषी और पूरा उत्तराखंड, इंसाफ के इंतजार में हैं। धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं। मां की आंखों अब भी पथराई हैं, लेकिन दर्द इतना है कि आंसू बनकर बाहर निकल ही जाता है। जिस छाती का दूध पिलाकर लाडली को जीवन दिया, आज उसी छाती पर बार-बार बाण लगते हैं लेकिन मां सबकुछ सहकर लगातार इंसाफ की लड़ाई लड़ रही है।
अंकिता भंडारी पौड़ी गढ़वाल के दोभ श्रीकोट गांव की रहने वाली थी। वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने में मदद करना चाहती थी। अंकिता के परिजनों का कहना था कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इस वजह से अंकिता ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और काम करना शुरू कर दिया। पिता वीरेंद्र भंडारी की सिक्यॉरिटी गार्ड की नौकरी कुछ साल पहले छूट चुकी थी। परिवार में इकलौता कमाने वाला इंसान सिर्फ़ उसकी मां सोनी भंडारी थीं, जो एक आंगनबाड़ी कर्मचारी हैं। उनका बड़ा भाई सचिन दिल्ली में पढ़ता है। अंकिता की चाची लीलावती के मुताबिक, “खराब आर्थिक स्थिति की वजह से जब अंकिता को ऋषिकेश के वनंतरा रिजॉर्ट में नौकरी मिली तो उसने गांव छोड़ दिया। 28 अगस्त, 2022 को रिजॉर्ट से एक कार उन्हें लेने आई। अंकिता को रिसेप्शनिस्ट की नौकरी के लिए हर महीने 10 हजार मिलने थे। नौकरी की शर्त ये थी कि उसे रिजॉर्ट में ही रहना होगा। अंकिता भी घर के हालातों को देखते हुए तैयार हो गई। लेकिन अंकिता अपनी पहली तनख्वाह भी ले पाती, उससे पहले वो उस दरिंदगी का शिकार हो गई जिसने उसके और उसके परिवार के सभी सपनों की हत्या कर दी।
अंकिता भंडारी हत्याकांड की एक अहम कड़ी है, उसका दोस्त पुष्पदीप। उसने दो साल में इस मामले में कई बयान मीडिया को दिए हैं। पुष्प दीप ने एक अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया था कि पुलकित आर्य ने नौकरी के अपने विज्ञापन में बताया था कि रिजॉर्ट के लिए फीमेल स्टाफ की जरूरत है। लेकिन जब अंकिता 3 सितंबर 2022 को वहां ज्वाइनिंग के लिए पहुंची तो वहां फीमेल स्टाफ नहीं दिखा। जब उसने पुलकित से सवाल पूछा तो उसने बताया कि होटल के सारे स्टाफ को कुछ वक्त पहले ही निकाल दिया था। अब नए स्टाफ की भर्ती हो रही है। अंकिता ने इस बात को मान लिया। पुलकित ने अंकिता को ये भी बताया कि पुराने स्टाफ में से सिर्फ रिजॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को ही उसने रखा है। हालांकि बाद में पता चला कि सौरभ, पुलकित का बचपन का दोस्त है और अंकित भी उसका काफी खास है। दिन गुजरते जा रहे थे। अंकिता ने गौर किया कि रिजॉर्ट में टूरिस्ट कम आते हैं। यहां पार्टियां ज्यादा होती हैं।
पुष्प दीप बताते हैं कि अंकिता की ज्वाइनिंग के पहले हफ्ते में ही ऐसी ही एक पार्टी में एक गेस्ट ने शराब पीने के बाद अंकिता को जबरन गले लगाने की कोशिश की। इस पर अंकिता ने उसी वक्त पुलकित से शिकायत की। तब पुलकित ने उस गेस्ट को अंकिता के सामने खूब डांटा। ये देख कर तब अंकिता की नजर में पुलकित के लिए इज्जत बढ़ गई थी। पुलकित खुद भी रिजॉर्ट में रहता था। पुलकित अब धीरे-धीरे अंकिता के करीब आने की कोशिश करने लगा। एक बार उसने अंकिता से कहा कि सब कमरे बुक्ड हैं तो वह पुलकित के कमरे से इंटरकनेक्टेड कमरे में ठहर जाए। ये पहला मौका था जब उसने अंकिता के सामने बैठकर शराब पी और उसे जबरन गले लगाने की कोशिश की। विरोध करने पर पुलकित ने अपनी हरकतों के लिए माफी मांगी। लेकिन अब अंकिता को अहसास हो गया था कि ये रिजॉर्ट काम करने के लिए सही नहीं है।
अंकिता रिजॉर्ट में काम करने वाले आयुष को अपने भाई की तरह देखती थी। उसने आयुष से भी कहा कि वह नौकरी छोड़ना चाहती है। वह उसे कहीं नौकरी दिला दे। फिर आया 18 सितंबर का वो दिन। अंकिता ने पुलकित से कहा कि वह नौकरी छोड़ना चाहती है। इस पर पुलकित ने कहा कि 19 सितंबर को एक खास मेहमान रिजॉर्ट में आ रहा है और तब तक वह कहीं नहीं जा सकती। पुष्प दीप बताते हैं कि 18 सितंबर को अंकिता और पुलकित के बीच काफी झगड़ा भी हुआ। 18 सितंबर की ही रात 8 बजे पुष्पदीप की अंकिता से आखिरी बातचीत हुई। तब अंकिता ने उससे कहा था कि वह रिजॉर्ट पहुंचकर फोन करेगी लेकिन उसके बाद कोई फोन नहीं आया। जब फोन नहीं आया तो पुष्पदीप ने जानकारी लेने के लिए पुलकित, सौरभ और अंकित को भी फोन किया। लेकिन यह तीनों गोल-मोल उलझाते रहे। पुष्पदीप ने अंकिता के परिवार को इसकी जानकारी दी। और इस तरह 20 सितंबर की सुबह अंकिता के परिजन रिजॉर्ट में पहुंचे।
18 सितंबर को क्या हुआ?
19 सितंबर को ही पुलकित आर्य अंकिता भंडारी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा चुका था लेकिन अंकिता के पिता को इस पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने जिलाधिकारी से गुहार लगाकर मामले की छानबीन के लिए पुलिस का सहारा लिया। उनके प्रयासों से 22 सितंबर को अंकिता का मामला राजस्व पुलिस से लक्ष्मणझूला थाने ट्रांसफर हुआ। पुलिस रिजॉर्ट के कर्मचारियों से पूछताछ करती है तो पता चलता है कि 18 सितंबर की शाम करीब आठ बजे अंकिता रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर के साथ रिजॉर्ट से कहीं बाहर गई थी। इसके बाद करीब साढ़े दस बजे ये तीनों तो रिजॉर्ट में लौटे मगर अंकिता नजर नहीं आई। अंकिता क्यों नजर नहीं आई? इसका जवाब आरोपियों ने बाद में पुलिस को दिए बयान में दिया था। 23 सितंबर को रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य समेत दो लोगों को गिरफ्तार कर लेती है। पुलिस को आरोपियों ने बताया कि घटना वाले दिन दो अलग-अलग गाड़ियों से वे चारों चीला बैराज के पास गए। जहां इन तीनों ने पहले शराब पी और फिर नहर किनारे आकर रुक गए। यहां पर पुलकित और अंकिता के बीच फिर बहस हुई और पुलकित ने अंकिता का फोन नहर में फेंक दिया। अंकिता ने भी जवाब में पुलकित का फोन फेंक दिया। दोनों के बीच हाथापाई होने लगी और गुस्से में पुलकित ने अंकिता को धक्का देकर उसकी हत्या कर दी। इस तरह पुलिस ने 23 सितंबर को तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों की निशानदेही पर 24 सितंबर 2022 को अंकिता का शव चीला नहर से बरामद किया गया। इस केस में भाजपा से निष्कासित विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य पर रेप और हत्या के आरोप लगे। इस केस में पुलकित की मदद का आरोप सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर लगा। अंकिता भंडारी के गायब होने की खबरें आने के बाद से ही लगातार इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई थी। अंकिता का शव मिलने के बाद पूरे उत्तराखंड में जैसे गुस्से की आग फैल गई। मामले में हंगामा बढ़ता देख 24 सितंबर को ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी। पुलिस उपमहानिरीक्षक पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया जिसने जांच करके तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। 20 दिसंबर, 2022 को एसआईटी ने 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की। इसमें 100 गवाहों को शामिल किया गया। जांच में सामने आया कि अंकिता ने स्पेशल सर्विस देने से मना किया तो पुलकित आर्य उसका यौन शोषण करने लगा। रिजॉर्ट के कमरा नंबर 106 में मैनेजर सौरभ भास्कर ने भी कई बार दुष्कर्म करने का प्रयास किया।
क्या है मौजूदा स्थिति?
मौजूदा वक्त में भी इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच, मामले के तीनों आरोपियों ने जमानत के लिए कई बार अर्जी दी लेकिन लगातार वह खारिज ही हुई है। तीनों आरोपी फिलहाल जेल में ही बंद हैं। उत्तराखंड के लोग लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की मांग उठा रहे हैं। मार्च, 2023 में इस मामले को लेकर अंकिता के मां-बाप के साथ खड़े पत्रकार आशुतोष नेगी को गिरफ्तार किया गया तो इसी दौरान एक वीआईपी का नाम भी सामने आया।
कौन है वीआईपी?
अंकिता भंडारी मामले में एक वीआईपी को लेकर कई तरह के सवाल हैं। आरोप है कि इस तथाकथित वीआईपी को स्पेशल सर्विस देने के लिए अंकिता पर दबाव बनाया गया, जिससे इनकार करने के बाद भेद खुलने के डर से अंकिता की हत्या कर दी गई। खुद अंकिता की मां ने भाजपा से जुड़े एक वीआईपी का नाम लेकर सरकार को जवाब देने को कहा है। परिजनों को आशंका है कि तथाकथित वीआईपी की संलिप्तता के कारण इस मामले का पूरा सच शायद सामने न आए। यही वजह है कि वह अंकिता मामले की जांच सीबीआई से करवाने की लगातार मांग कर रहा है। हालांकि सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।
बुलडोजर एक्शन पर ‘गंभीर’ सवाल?
इस पूरे मामले में लगातार पूरा उत्तराखंड गुस्से में है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि धामी सरकार इस मामले में वो कड़ाई नहीं बरत रही है, जो उसे बरतनी चाहिए थी। इसके पीछे वो वजहें गिनाई जाती हैं, जिन पर सवाल उठे थे। दिसंबर, 2023 में सत्र न्यायालय को जेसीबी चालक ने बताया था कि उसने 23 सितंबर को एक ही दिन में दो बार रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाया था। उसने तत्कालीन उपजिलाधिकारी और भाजपा विधायक रेणु बिष्ट के कहने पर रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाया था। उसने अदालत को बताया कि इस दौरान उसने रिजॉर्ट का गेट, चारदीवारी तोड़ी। इसके बाद वह हरिद्वार चला गया। वह जैसे ही हरिद्वार पहुंचा रेणु बिष्ट के पीए का उसे फोन आया और उससे कहा गया कि वह जेसीबी लेकर वापस रिजॉर्ट पहुंचे। जेसीबी चालक ने बताया कि जब वह वापस लौटा तो वहां पर विधायक रेणु बिष्ट भी मौजूद थीं।
विधायक ने ही उसे दो कमरों की दीवारें और खिड़कियां तोड़ने के लिए कहा। लोगों का आरोप है कि विधायक ने जानबूझकर वहां बुलडोजर चलवाया और सबूतों को मिटाने का काम किया। रेणु बिष्ट लगातार इन आरोपों से इनकार करती रही हैं। इस मामले में सबसे मुखर पत्रकार आशुतोष नेगी को मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया, तब भी सवाल उठे। सवाल उठाए गए कि जिस तरह आशुतोष नेगी को एक पुराने मामले में अचानक गिरफ्तार किया गया, वो बदले की कार्रवाई लगती है। आरोप है कि राज्य सरकार ने मामले को दबाने के लिए ही नेगी को गिरफ्तार किया। आशुतोष पर SC-ST के तहत मामला दर्ज किया गया था। वैसे आशुतोष नेगी इस मामले को लेकर पौड़ी सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़े थे और अंकिता के परिजनों ने उनके लिए प्रचार किया था।
अंकिता भंडारी हत्याकांड को 2 साल हो चुके हैं लेकिन इंसाफ का इंतजार अब भी है। उत्तराखंड सरकार लगातार आश्वासन दे रही है कि वह निष्पक्षता से इस मामले की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ, जल्द इंसाफ देने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी हो रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान और व्यथित अंकिता का परिवार है। अंकिता के माता-पिता यही चाहते हैं कि उनकी बेटी को जल्द न्याय मिले। वह चाहते हैं कि दोषियों को ऐसी सजा मिले कि फिर पहाड़ कि किसी बेटी के साथ कोई ऐसा कुछ ना करने पाए। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक जरूर याद रखिए कि एक अंकिता थी, जिसे अब भी इंसाफ का इंतजार है।