मिक्स्ड मार्शल आर्ट (MMA) वर्ल्ड चैंपियन Angad Bisht पर पूरे भारत की नजर होगी जब वो चीन के शंघाई में रविवार को अपनी फाइट लड़ेंगे। अंगद Road To UFC में भाग लेने के लिए चीन के शंघाई पहुंचे हैं। इस प्रतियोगिता में दुनिया भर के फाइटर हिस्सा ले रहे हैं। इसे लेकर दुनिया भर के मार्शल आर्ट प्रेमियों में गजब का उत्साह है। उत्तराखंड के युवा उस पल का इंतजार कर रहे हैं जब उनका अंगद रिंग में अपना कमाल दिखाएगा।
शुरुआती दौर में पूरे एशिया से 32 मिक्स मार्शल आर्ट एथलीट चार वेट कैटेगिरी में मुकाबला करेंगे। 32 एथलीट्स में से 4 फाइटर्स शुरुआती दौर में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिसमें किरू सिंह सहोता और अंगद बिष्ट पुरुषों के फ्लाईवेट ओपनर में लड़ने के लिए तैयार हैं। प्रिया शर्मा और किरण सिंह महिलाओं के स्ट्रॉवेट ओपनर में अपने विरोधियों के खिलाफ रिंग में उतरेंगी। फ्लाईवेट ओपनर में Angad Bisht का मुकाबले फिलीपींस के जॉन अल्मांजा से होना है।
रुद्रप्रयाग के आली गांव के अंगद की कहानी बड़ी दिलचस्प है। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे अंगद डॉक्टर बनना चाहते थे। एक साल कोचिंग भी की। मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। आज वह उत्तरखंड, देश में ही नहीं दुनिया भर में जाने जाते हैं। मगर यह सब कुछ उन्हें आसानी से नहीं हासिल हुआ। इसके लिए उन्होंने जमकर संघर्ष किया,पसीना बहाया। तब जाकर इस मुकाम पर पहुंचे हैं।
अंगद ने दिल्ली के एक जिम में डेढ़ वर्ष तक नौकरी भी की। इसी दौरान वह द्वारका में मिक्स्ड मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी ली। ट्रेनिंग के डेढ़ महीने के भीतर वह अपनी पहली एमेच्योर फाइट लड़े, जिसमें उन्हें जीत मिली थी। खास बात है कि इस फाइट के बारे में उनके घरवालों को पता नहीं था। इसके बाद वह लगातार सफलता हासिल करते रहे।

अंगद पढ़ाई में भी होनहार ही थे। वह मेडिकल डेंटल सर्जरी के लिए टेस्ट भी क्लियर कर लिया था। पंतनगर मेडिकल कॉलेज में उन्हें सीट भी मिल गई थी। लेकिन उनका मन नहीं लगा। उन्हें फाइटर बनना था।
कई खिताब किए अपने नाम
अगंद बिष्ट ने दुबई में मैट्रिक फाइट नाइट वर्ल्ड चैपियनशिप में जीत हासिल की है। 2018 में सुपर फाइट लीग जीती थी। 2019 में ब्रेव कॉम्बेट फेडरेशन फाइट खिताब को अपने नाम किया। 2021 में मैट्रिक्स फाइट नाइट जीती। इसके बाद वह दुबई में फर्स्ट फ्लाइवेट चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया।
युवाओं को देते हैं ट्रेनिंग
अंगद देहरादून में 60 से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं। अंगद कहते हैं, उत्तराखंड के अधिकांश युवाओं की सोच आर्मी और पुलिस में भर्ती होने तक ही सीमित है। वह चाहते हैं कि युवा इसके आगे के बारे में भी सोचे। दुनिया में बहुत सी संभावनाएं हैं। जिसमें वह अपना कॅरिअर बना सकते हैं।
बॉक्सिंग नहीं है मार्शल आर्ट
मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स को लोग बॉक्सिंग समझते हैं। लेकिन यह सीधे तौर पर बॉक्सिंग नहीं है। इसके अलग-अलग फॉर्मेट होते हैं। जैसे मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स, किक बॉक्सिंग, रेसलिंग, जूडो सभी इसमें शामिल होते हैं। यह एक तरह की प्रोफेशनल फाइट है। इसके बहुत नियम होते हैं। इसमें सिर के पीछे नहीं किसी को नहीं मार सकते हैं। प्रतिद्वंद्वी की कमर पर तेज प्रहार नहीं कर सकते हैं। देश में यह खेल तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। अब तो बड़ी संख्या में युवा इसमें अपना कॅरिअर बना रहे हैं।