Almora Accident : मरचूला हादसा ऐसे जख्म देकर गया है जो शायद ही भरे। ऐसा लग रहा था कि लोगों के रुदन से आसमान का कलेजा भी फटा जा रहा है। हे ईश्वर…ये मेरे किस गुहाह की सजा है, कभी तेज-कभी मुंह में समा जा वाली आवाज से मोहन सिंह बोले जा रहे थे। उन्होंने हादसे में बेटा-बेटी दोनों को खो दिया है। धूमाकोट तहसील के अघोढ़ा गांव के मोहन सिंह की आंखों के सामने ही 16 वर्षीय बेटे आदित्य और 20 साल की बेटी रश्मि ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया। वह बुरी तरह घायल हैं। हादसे में वह बस की क्षतिग्रस्त चेसिस में बुरी तरह फंसे हुए थे। दुनिया की सबसे बड़ी बेबसी यही है। बाप के सामने बच्चे कराह रहे हो, पिता कुछ न कर पा रहा हो। मोहन सिंह के दोनों बच्चे पढ़ाई करते थे। वह दोनों को छोड़ने काशीपुर जा रहे थे। मगर, एक पल में उनकी पूरी दुनिया उजड़ गई। अस्पताल में उनको ढांढस बधाते समय अफसरों की आंखे भी भर आ रही थी। डॉक्टरों के लिए उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। किसी के पास सांत्वना के कोई शब्द नहीं थे।
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बराथ गांव के भजन सिंह के बेटे प्रवीण कुमार और पुत्रवधु मीनाक्षी भी बस में सवार थीं। दोनों की जान चली गई। गांव में जब खबर पहुंची तो सन्नाटा छा गया। गांव वाले किसी तरह भजन सिंह को लेकर अस्पताल पहुंचे। उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे। आंखें भी सूख गईं थीं। बहू-बेटा दिवाली मनाने के लिए गांव आए थे। मगर, इस हादसे ने उनकी दुनिया ही काली कर दी।
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रवीण सिंह और उनकी पत्नी सोनी कुछ साल पहले सात जन्मों की डोर में बंधे थे। वह अपने गांव दिगोली दिवाली मनाने आए थे। वापस देहरादून लौट रहे थे। हादसे में पति-पत्नी की मौत हो गई। उनके सपने बिखर गए। वहीं, दूसरी ओर अस्पताल में भर्ती चार साल की मासूम शिवानी के बिलखने और बार-बार मम्मी-मम्मी पुकारने की आवाज हॉस्पिटल कर्मियों को भावुक कर रही थी। किसी में हिम्मत नहीं थी कि उसे बताए कि जिसे वह पुकार रही थी, वह कभी लौट कर नहीं आएंगे। शायद वह यह समझ भी न पाए। सूचना पर पहुंची नानी बार-बार आंचल से अपने आंसू पोछती दिखी। शाम करीब साढ़े तीन बजे बच्ची को रामनगर अस्पताल से एयरलिफ्ट कर एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया है। शिवानी के पिता मनोज रावत रामनगर में उद्यान विभाग के अंतर्गत फल संरक्षण में ट्रेनिंग सुपरवाइजर पद पर कार्यरत थे और मां चारू रावत गृहिणी थीं। बच्ची के नाना ने बताया कि सभी लोग गांव में दिवाली मनाने आए थे। त्योहार के बाद सभी रामनगर जा रहे थे। मेरे दामाद के पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी, गांव में उनकी मां मालती देवी हैं। त्योहार के बाद बेटी और दामाद कभी घर नहीं लौटेंगे, ऐसा सोचा नहीं था। अब शिवानी की जिम्मेदारी भी अब उनके कंधों पर है।
अल्मोड़ा बस हादसे में बराथ गांव के छह लोगों की मौत हो गई है। देर शाम जब शव गांव पहुंचे तो हर कोई चीत्कार उठा। ग्रामीणों ने मौत का ऐसा मंजर शायद ही पहले कभी देखा हो। बराथ गांव में मरचूला बस हादसे के बाद मातम पसरा है। गांव के देवर-भाभी समेत छह लोगों की इस हादसे में मौत हो गई है। देर शाम जब गांव शव पहुंचे तो हर कोई चीत्कार उठा। ग्रामीणों ने मौत का ऐसा मंजर शायद ही पहले कभी देखा हो। मृतकों के शव लेने के लिए मरचूला आए ग्राम प्रधान के पति विजय पाल ने बताया कि इस हादसे में उनके गांव के रहने वाले राकेश ध्यानी (35), उनकी बेटी मानसी (सात), दीपक रावत (30), दीपक रावत का बेटा आरव (6) की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि राकेश ध्यानी गांव में दुकान चलाते थे। दीपक रावत की हरिद्वार की एक फैक्टरी में दो महीने पहले ही नौकरी लगी थी। अन्य मृतक देवेंद्र सिंह और उसकी भाभी सुमन की भी हादसे में मौत हो गई। ये दोनों रामनगर के पीरूमदारा में रहते थे। इनके शव पीरूमदारा ले जाए गए हैं। प्रधान सरस्वती देवी और उनके पति ने बताया कि गांव में हर तरफ शोक छाया है। कई दिन तक चूल्हे भी नहीं जलेंगे।