Almora Accident :पहाड़ में हादसों का कारण ओवरलोडिंग और चालक द्वारा शराब का नशा है। समय-समय पर होने वाली मजिस्ट्रेट जांच में भी यही तथ्य निकलकर सामने आए हैं। इसके बाद भी कोई कदम न उठाया जाना समझ से परे है। धूमाकोट हादसे के बाद पहाड़ में सड़क सुरक्षा के तहत ओवरलोडिंग और शराब को रोकने के लिए पहाड़ की दुर्घटना संभावित 27 दुर्गम तहसीलों व चार सुगम तहसीलों में संभागीय परिवहन विभाग ने मात्र 31 सब इंस्पेक्टरों की नियुक्ति की। इन सभी सब इंस्पेक्टरों को पहाड़ में ही तैनाती दी जानी थी ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। इसमें सल्ट क्षेत्र भी शामिल था जहां आज बस हादसा हुआ है। लेकिन नियुक्ति के बाद से यह सब इंस्पेक्टर कभी पहाड़ नहीं चढ़ पाए। इनको पहाड़ में तैनाती मिली ही नहीं। अभी लोग मैदानी क्षेत्रों हल्द्वानी, देहरादून, रुद्रपुर, हरिद्वार में सेवाएं दे रहे हैं।
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सवाल यह है कि आखिर इन जिम्मेदार एसआई को मूल इस्थान पर तैनाती ना देने के लिए कौन जिम्मेदार है। मात्र अपने बचने के लिए सल्ट दुर्घटना के बाद सरकार की एक के बाद एक कार्रवाई अपनी जिम्मेदारी से बचना मात्र दिखाता है। अगर इन अधिकारियों को मूल स्थान में तैनाती मिल गई होती तो शायद सल्ट में आज का यह हादसा टाला जा सकता था। परिवहन विभाग, मुख्यमंत्री के पास है उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री स्वयं पहलकर व्यापक नीति बताएंगे ताकि भविष्य में इन दुर्घटनाओं को रोका जा सके। प्रदेश में 109 तहसीलें हैं। जिनमें संभागीय परिवहन विभाग के माध्यम से एसआई की तैनाती होनी है। वर्तमान में मैदानी क्षेत्रों की 31 तहसीलों में सब इंस्पेक्टर तैनात है। 78 पद अभी भी रिक्त हैं।
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अल्मोड़ा हादसे में भी बस ओवर लोड थी। इसके अलावा प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस फिट भी नहीं लग रही थी। अभी तक तो यही बताया जा रहा है कि कमानी टूटने से हादसा हुआ। कमानी दो ही दशा में टूट सकती है। या तो बस बहुत ही ओवर लोड हो या बस काफी पुरानी हो। जानकार बताते हैं कि टूटी सड़कों पर चलते-चलते वाहन जल्द कबाड़ में तब्दील होते हैं। इसका असर कमानी सहित अन्य पुर्जों पर पड़ता है।
इससे पहले छह जून 2022 में धूमकोट के जंगल में हुए हादसे में 33 लोगों की मौत हुई थी। साल 2018 में भी पौड़ी के धुमाकोट में हुई सड़क दुर्घटना में 48 लोगों की मौत हुई थी। साथ ही 13 लोग घायल हुए थे। अब फिर वही कहानी। 2022 वाले हादसे में बस में 52 बराती सवार थे। बस 500 मीटर खाई में जा गिरी थी। हादसे में कुल 33 लोगों ने जान गवाई और 20 यात्री गंभीर और आंशिक रूप से घायल हुए थे। खाई में करीब 25 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था। अक्तूबर में आई रिपोर्ट में पता चला कि बस ओवरलोड थी ही साथ में ओवरस्पीड भी हादसे का कारण बनी थी। हादसे की जांच बैठी और अक्तूबर 2022 में रिपोर्ट आई। पता चला कि बस ओवरलोड थी। यही एक कारण नहीं था बल्कि बस चालक निर्धारित गति से अधिक पर बस चला रहा था। यह भी इसकी मुख्य वजह बनी। लालढांग से लेकर धूमाकोट तक करीब 11 बैरियर और चेक प्वाइंट पड़े, लेकिन इस बस की कहीं भी चेकिंग नहीं की गई।