उत्तराखंड में खेल प्रतिभाओं को सरकारी नौकरी में मौका दिए जाने के लिए सरकार ने नई खेल नीति के तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था की है। लेकिन, हैरान करने वाली बात यह है कि खिलाड़ियों के लिए पहली बार निकाली गई भर्ती में 81 प्रतिशत पद योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण खाली रह गए। यहां बताया जा रहा है कि कुछ नियम ऐसे बनाए गए हैं। जिस वजह से खिलाड़ी नहीं मिले। खेल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जो खिलाड़ी पहले राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उत्तराखंड से खेला हो फिर बाद में उसने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व किया हो। उत्तराखंड के उन खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की व्यवस्था है, लेकिन देखने में आया कि कुछ खिलाड़ी पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुके हैं। बाद में वर्षों उन्होंने उत्तराखंड से खेला है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके इन खिलाड़ियों ने राज्य से जब भी खेला हो उनके लिए भी नौकरी का रास्ता खोला जाएगा।
खेल विभाग का कहना था कि वर्तमान में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओड़िशा, बिहार समेत कई राज्यों में पदक लाने वाले खिलाडियों के लिए सीधे सरकारी नौकरी की व्यवस्था है। लेकिन पूर्व में उत्तराखंड में इसकी व्यवस्था न होने से उत्तराखंड के पदक विजेता खिलाड़ी अपने सुरक्षित भविष्य के लिए अन्य राज्यों से खेल रहे हैं। इस वजह से बड़ी संख्या में राज्य से खिलाड़ियों ने पलायन किया। राज्य में खेल प्रतिभाओं के होने के बावजूद खेलों में अन्य राज्यों से पिछड़ रहा है। जिसे देखते हुए पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए सीधे सरकारी नौकरी की व्यवस्था बनाना आवश्यक है। खेल नीति में इस व्यवस्था के बाद 14 सितंबर 2023 को खिलाड़ियों के लिए आउट ऑफ टर्न नियुक्ति का शासनादेश किया गया था।
शासनादेश में खिलाड़ियों के लिए छह सरकारी विभागों में 156 पद निकाले गए थे, लेकिन मात्र 31 पदों पर ही नियुक्ति पत्र जारी किए गए। राज्य में खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी की पहली बार की गई व्यवस्था के बावजूद पात्र खिलाड़ी नहीं मिले। पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए राज्य में पहली बार खेल विभाग में 4, युवा कल्याण में 6, गृह में 62, वन विभाग में 28, माध्यमिक शिक्षा में 50 और परिवहन विभाग में 6 पद निकाले गए थे। विभिन्न 32 खेलों में पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए ही आउट ऑफ टर्न जॉब की व्यवस्था की गई है। मीडिया को दिए एक बयान में खेल मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि जो पद खाली रह गए हैं। उनके लिए फिर से आवेदन मांगे जाएंगे।
4 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई है
उत्तराखंड में खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में चार प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था भी की गई है। हाल ही में खेल मंत्री रेखा आर्य ने यह बात कही थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने कहा-खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरियों में सेवा करने का अवसर प्रदान करने के लिए क्षैतिज आरक्षण लागू कर दिया गया है। खिलाड़ी पिछले काफी समय से खेल कोटे की मांग कर रहे थे। सरकार के इस फैसले से खिलाड़ियों का पलायन रुकेगा। नियमों के मुताबिक, यह उन्हीं खिलाड़ियों को मिलेगा जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त किए हैं। उत्तराखंड लोक सेवा (कुशल खिलाड़ियों के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2024 के विधानसभा से पारित होने के बाद शासन की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
खिलाड़ियों का पलायन रोकने की कवायद
इससे पहले सरकार की ओर से पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए कई सरकारी विभागों में सीधे नौकरी की व्यवस्था की जा चुकी है। इसके तहत मुख्यमंत्री उदीयमान उन्नयन योजना, स्पोटर्स यूनिवर्सिटी का निर्माण,स्पोटर्स कॉलेज का निर्माण, खेल महाकुंभ कराने जैसे कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं।