Modi Cabinet 2024 : केंद्र में मंत्री बनाए गए अजय टम्टा को क्षेत्रीय व जातीय समीकरण का लाभ मिला है। परिणाम आने के बाद यह माना जा रहा था कि केंद्रीय मंत्रीमंडल में उत्तराखंड को जगह मिलेगी। इससे पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि गढ़वाल सीट से चुने गए अनिल बलूनी और हरिद्वार संसदीय सीट से विजयी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्री बनने की दौड़ में हैं। रक्षा राज्यमंत्री राजनाथ सिंह ने तो चुनाव प्रचार में अनिल बलूनी को मंत्री बनाने के संकेत भी दिए थे। लेकिन, केंद्रीय नेतृत्व ने टम्टा को चुना। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, टम्टा को क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का लाभ मिला। वह इससे पहले भी मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। अजय टम्टा ने 2016 से 19 तक कपड़ा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभाई थी।
Elections Result : दो निर्दलीय – एक हार कर भी हीरो बना, दूसरे ने विधायक होकर भी जब्त कराई जमानत
उत्तराखंड में अजय टम्टा भाजपा का एक बड़ा दलित चेहरा हैं। प्रदेश में ठाकुर मुख्यमंत्री, ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष के बाद दलित चेहरे को वरीयता देकर मोदी सरकार ने जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है। सांसद अजय टम्टा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के करीबी भी माने जाते हैं। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले अजट टम्टा चौथे नेता बने हैं। इससे पहले यह रिकॉर्ड कांग्रेस के जंग बहादुर बिष्ट, पूर्व सीएम हरीश रावत और भाजपा के बची सिंह रावत के नाम दर्ज था। लोकसभा चुनाव में अजय की लगातार तीसरी जीत ने उनका कद बढ़ाने का काम किया। वह रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की।
23 की उम्र से शुरू की राजनीति
लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए अजय टम्टा ने 23 वर्ष की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। उन्होंने अब तक नौ बार चुनाव लड़ा और छह में जीत दर्ज की। वर्ष 1996 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। वर्ष 1999 से 2000 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे और तब उन्होंने सबसे कम उम्र का जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड बनाया था।
2009 में पहली बार लड़ा था लोकसभा चुनाव
अजय टम्टा ने 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार मिली। 2012 में सोमेश्वर सीट से ही विधानसभा तक का सफर तय किया। पार्टी ने वर्ष 2014 में उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा मोदी लहर में उन्होंने जीत का स्वाद चखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से लगातार दूसरी जीत दर्ज की। 20024 के चुनाव में भी परिणाम उनके और पार्टी के पक्ष में आए।
बीजेपी से कर चुके हैं बगावत
अजय टम्टा साल 1999 में अल्मोड़ा के जिला पंचायत अध्यक्ष बने। इसके बाद टम्टा ने बीजेपी से टिकट न मिलने पर बगावत कर दी थी। 2002 में वह बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतर चुके हैं। हालांकि, उस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रदीप टम्टा से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2007 में भाजपा के टिकट पर वह चुनाव जीते।