देश में हर जगह रील बनाने का चलन जोरों पर है। मौका कोई भी हो, कुछ लोग रील बनाने से नहीं चूकते हैं। मरनी, करनी, यहां तक मंदिरों में भगवान के दर्शन के समय भी। Reel Controversy बढ़ती जा रही है। नौबत यहां तक पहुंच चुकी है कि चारधाम यात्रा पर रील बनाने को लेकर बकायदा दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं। नए दिशा-निर्देश के मुताबिक मंदिरों की 50 मीटर रेंज में रील और वीडियो बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है । पकड़े जाने पर पुलिस कार्रवाई करेगी। मंदिरों में रील बनाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। कई मामलों में एफआईआर तक दर्ज कराई गई है। इसके बावजूद यह थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस समय उत्तराखंड में चारधाम यात्रा चल रही है। श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब है। लोग बेहद दुर्गम मार्गों से होते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में कुछ लोगों द्वारा मंदिर के आसपास रील बनाना क्या इन लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं है? उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से आए सुभाष चंद्र मिश्र कहते हैं, यहां तक बहुत कठिनाई उठाकर पहुंचे हैं। भक्तिमय माहौल में जब कुछ लोग इस तरह की हरकत करते हैं तो बुरा भी लगता है और ध्यान भी भंग होता है। रील बनाने का काम ये लोग बाहर भी कर सकते हैं।
दरअसल, देश में सोशल मीडिया के उभार के बाद यूट्यूबर की बाढ़ सी आ गई है। वह व्यूज के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। ऐसी घटनाएं अक्सर पढ़ने-सुनने में आती हैं। रील बनाने वाले अधिकांश ऐसे ही लोग हैं। वह वीडियो बनाकर यूट्यूब, सोशल मीडिया पर डालकर व्यूज इकट्ठा करेंगे तो कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ शेखी बघारने के लिए रील बनाते हैं। किसी की धार्मिक आस्था को चोट पहुंच रही है, उन्हें इसका जरा भी ख्याल नहीं रहता है। पहले चारधाम यात्रा पर धार्मिक लोग ही जाते थे, अब हर दूसरा कंटेंट क्रिएटर रील बनाने के लिए चार धाम की यात्रा पर पहुंच रहा है। इसके कारण अनचाही भीड़ देखने को मिल रही है। इस वजह से श्रद्धा-भक्ति के भाव से धाम पर दर्शन करने जा रहे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आप केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम पर पहुंचेंगे तो वहां मौजूद लोगों के हाथ, जोड़े हुए कम बल्कि मोबाइल से वीडियो बनाते हुए ज्यादा दिखेंगे।

कुछ महीनों पहले उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में दो लड़कियां अचानक डांस करने लगती हैं। वहां इकट्ठा श्रद्धालु अवाक रह जाते हैं। बाद में उन्हें पता चलता है कि वह रील बना रही हैं। हालांकि, बाद में उनके खिलाफ मुकदमा भी लिखाया जाता है। ऐसे मामले देश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में प्राय: सुनने को मिल रहा है। अधिकतर जगह मोबाइल पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। आज के समय में मोबाइल आवश्यक हो गया है। लेकिन, लोगों को इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतनी पड़ेगी।
चारधाम यात्रा में रील बनाने को लेकर मचे बवाल के बीच भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा है कि चारोंधामों के परिसर में रील बनाने पर रोक सरकार का सही और व्यावहारिक निर्णय है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि किसी की धार्मिक आस्था को चोट न पहुंचाएं। यह रील बनाने की जगह नहीं है। सीएम पुष्कर धामी भी कई बार रील न बनाने की अपील कर चुके हैं। इसके बाद भी गाहे-बगाहे इस तरह के मामले सामने आ ही जा रहे हैं।
चारधाम के अलावा उत्तराखंड के कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं जहां वर्षभर लोगों की आवाजाही बनी रहती है। अब आए दिन रील बनाने के चक्कर में मारपीट, झगड़ा जैसी खबरें पढ़ने को मिल जा रही हैं। विडंबना यह है कि लोग पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थल के फर्क को नहीं समझ पा रहे हैं। युवाओं को यह समझना होगा कि धार्मिक स्थलों पर उनका व्यवहार संयत होना चाहिए। यहां आप पर्यटन स्थलों की तरह व्यवहार नहीं कर सकते हैं। यहां से लोगों की आस्था जुड़ी होती है। रील बनाना सही है या गलत, हम यह नहीं बता रहे हैं। लेकिन, लोगों की धार्मिक भावनाओं का आदर तो सभी को करना ही चाहिए।