तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है।
मशहूर शायर अदम गोंडवी की ये लाइनें उत्तराखंड वन विभाग पर फिट बैठती हैं। Uttarakhand Forest Fire में अब तक 1144 हेक्टेयर से अधिक जंगल जल चुके हैं। करीब 910 घटनाएं आग लगने की सामने आ चुकी हैं। 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन, हैरान करने वाली बात है कि 2024 की इस भीषण वनाग्नि में अब तक सिर्फ दो पेड़ ही जले हैं। एक गढ़वाल में और एक कुमाऊं में। जहां सबसे ज्यादा आग का असर है। यह बात वन विभाग की Uttarakhand Fire Report में कही गई है। जो कि वन विभाग की वेबसाइट पर दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, आग से किसी भी वन्य जीव को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अलबत्ता रिपोर्ट में प्रशासित, वाइल्डलाइफ वाले इलाके में जरूर 425 पेड़ों के प्रभावित होने की बात कही गई है, जहां आग से कुल प्रभावित एरिया 87.98 हेक्टेयर है, जो कि कुमाऊं और गढ़वाल रीजन की तुलना में काफी कम है।
हैरानी की बात है जब जंगलों की आग थमने का नाम नहीं ले रही है, वन विभाग आग को काबू पाने करने में हांफ रहा है, एसडीआरएफ के साथ ही एनडीआरएफ की भी मदद ली जा रही है। स्थानीय लोग भी अपने घरों, जंगलों को बचाने में जुटे हैं, वन मुख्यालय के अधिकारियों को मैदान में उतारने के बाद अब जिलाधिकारियों को भी आग की निगरानी के निर्देश सरकार ने दिए हैं, प्रदेशभर में 1,438 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। 3,983 फायर वॉचरों को तैनात किया गया है। रिपोर्ट कह रही है कि सिर्फ दो पेड़ जले हैं। अब तक गढ़वाल में 482 और कुमाऊं में 355 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं। जबकि, वन्य जीव क्षेत्र में 73 घटनाएं हुई हैं।
खुद देख लीजिए रिपोर्ट –
उत्तराखंड के जंगलों में आग… आखिर हर साल एक जैसी कहानी क्यों?
Uttarakhand Forest Fire : बुझ नहीं रही उत्तराखंड के जंगलों में लगी आगगढ़वाल में आरक्षित वन क्षेत्र में 183 और कुमाऊं आरक्षित वन क्षेत्र में 343 घटनाएं हुई हैं, जबकि गढ़वाल में सिविल एवं वन पंचायत क्षेत्र में 172 और कुमाऊं में 139 घटनाएं हो चुकी हैं। इससे गढ़वाल में 398 और कुमाऊं में 221 हेक्टेयर वन क्षेत्र में वन संपदा को नुकसान हुआ है। आग की चपेट में आकर अब तक 4 की मौत और पांच लोग घायल हो चुके हैं। उत्तरकाशी में अभी तक बाड़ाहाट रेंज से लेकर धरासू रेंज के जंगल जल रहे हैं।
फसलों के अवशेषों को जलाने पर रोक
जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने खेतों में फसल कटाई के बाद अवशेषों को जलाने पर रोक लगा दी है। निर्देश के मुताबिक शहरी निकाय अपने ठोस कूड़े को वन या वनों के आसपास नहीं जला सकेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को इस संबंध में निर्देश दिए हैं। कहा है कि इस आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि सभी जिलाधिकारी एक सप्ताह तक हर दिन वनाग्नि की निगरानी करेंगे, जबकि खेतों में फसलों की कटाई के बाद बचे अवशेषों और शहरी निकाय ठोस कूड़े को एक सप्ताह तक नहीं जला सकेंगे। प्रदेश के जंगल आग से लगातार धधक रहे हैं।
आग से झुलसी महिला की मौत
पौड़ी जिले में एक महिला जंगल की आग झुलस गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नाप भूमि में लगी आग से महिला झुलस गई थी। डीएफओ को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। बतादें कि जंगलों की आग से अब तक पांच लोगों की मौत होने की बात सामने आ रही है।
अब तक 351 मुकदमे
सरकार के निर्देश के बाद जंगल में आग लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। वन विभाग ने अब तक 351 मुकदमे दर्ज कर चुका है। इसमें 61 को नामजद किया गया है। जबकि, 290 मामले अज्ञात के खिलाफ दर्ज किए गए हैं।
जंगलों में आग लगाकर बना रहे थे वीडियो, तीन गिरफ्तार
उत्तरखंड के चमोली जिले में तीन ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया गया है जो जंगल में आग लगाकर उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किए थे। ये युवक बिहार के रहने वाले हैं। बताया जा रहा है कि लाइक, व्यू के लिए यह सब किया गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का स्वत: संज्ञान लेकर चमोली के पुलिस अधिक्षक सर्वेश पंवार ने यह कार्रवाई की है।