PM Narendra Modi शिव के अनन्य भक्त हैं। वह कई बार केदारनाथ धाम की यात्रा कर चुके हैं। पिछले साल पीएम मोदी पिथौरागढ़ जिले के सीमांत इलाके की व्यास वैली पहुंचे थे। उन्होंने यहां शिव-शक्ति की साधना की थी। पीएम की पार्वती कुंड में पूजा-पाठ की तस्वीरें दुनिया भर में वायरल हुईं। पीएम मोदी के आदि कैलाश दर्शन के बाद इस क्षेत्र को लेकर लोगों की उत्सुकता बढ़ गई है। इससे व्यास वैली के लोगों को भी उम्मीद जगी कि अब यहां धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। लोग एक लंबी यात्रा के लिए इस क्षेत्र में आएंगे और उन्हें अच्छी खासी आमदनी होगी। युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही अच्छा रोजगार मिल जाएगा।
आरोप है कि पीएम मोदी के आने के बाद व्यास वैली में पर्यटक तो बढ़ रहे हैं लेकिन स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर कम होने का खतरा बढ़ गया है। व्यास जनजाति संघर्ष समिति का कहना है कि सूरत बदलने की कोशिश अच्छी है लेकिन स्थानीय लोगों के हित दांव पर आ गए हैं। यही वजह है कि पीएम की पसंदीदा व्यास घाटी के लोग आक्रोशित हैं।
दरअसल, पीएम के आने के बाद पर्यटन विभाग इस इलाके के विकास के लिए कई योजनाएं लेकर आया। इनमें से एक है आदि कैलास, ओम पर्वत के लिए हेली दर्शन योजना। पहली हेलिकॉप्टर यात्रा 1 अप्रैल 2024 से शुरू हो चुकी है। 8 मई तक इसके ट्रायल की योजना है। इसमें तीर्थयात्रियों को हेलिकॉप्टर के जरिये आदि कैलास और ओम पर्वत के दर्शन कराए जा रहे हैं। साथ ही योजना को शीतकाल में नियमित करने की तैयारी है।
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उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड पर आरोप लग रहे हैं कि उसने इस योजना के लिए स्थानीय लोगों को भरोसे में नहीं लिया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जो विकास की योजनाएं बनाई गईं, उसमें स्थानीय लोगों के रोजगार का ध्यान नहीं रखा गया। इससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है। इसका परिणाम यह हुआ कि व्यास घाटी में स्थानीय लोग धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर हो गए हैं। बीते शुक्रवार को व्यास जनजाति संघर्ष समिति, होम स्टे संचालक और टैक्सी यूनियन ने गुंजी मनेला में जमकर प्रदर्शन किया। व्यास जनजाति संघर्ष समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह नबियाल के नेतृत्व में स्थानीय एकता जिंदाबाद और पर्यटन विभाग मुर्दाबाद के नारों के साथ रैली निकाली गई।
व्यास जनजाति संघर्ष समिति का कहना है कि सड़क से होने वाली यात्रा हेली सेवा शुरू होने से कुछ ही दिन तक सिमट जाएगी। इसका स्थानीय पर्यटन व्यवसाय पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इससे हल्द्वानी से लेकर पिथौरागढ़ और धारचूला से लेकर गुंजी तक टूर एंड ट्रैवल व्यवसाय से जुड़े स्थानीय लोग प्रभावित होंगे। बाहरी कंपनियों के आने के बाद यहां के लोगों के लिए व्यापार करना भी आसान नहीं रह जाएगा।

राजेंद्र सिंह नबियाल कहते हैं, पीएम के आने के बाद स्थानीय युवकों ने रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए बैंकों से कर्ज लेकर होमस्टे, टैक्सी और होटल व्यवसाय शुरू किए हैं। ऐसे में हेली सेवा शुरू होने से पूरे रूट के लोग रोजगार से वंचित रह जाएंगे। संघर्ष समिति का कहना है कि कुछ समय बाद यहां बाहरी लोग पूरी तरह से हावी हो जाएंगे और स्थानीय लोगों के रोजगार पर बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
लोकसभा चुनाव का किया था बहिष्कार
पहले चरण में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान में व्यास वैली के बूदी, कुटी, गर्ब्यांग, नपलच्यु, गुंजी, नाभी, रौंगकोंग गांवों के लोगों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। यहां सिर्फ 15 प्रतिशत ही मतदान हुआ। 2723 वोटरों में महज 423 ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
राजेंद्र नब्याल कहते हैं कि कुछ समय पहले पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में साफ तौर पर कहा गया था कि आदि कैलाश और ओम पर्वत दोनों ही पवित्र स्थल मोटर मार्ग से जुड़े हैं। यहां सड़कें काफी अच्छी हैं। स्थानीय टैक्सी संचालकों की मदद से यात्रियों को यात्रा कराई जा सकती है लेकिन यहां भी बाहर से एटीवी लाकर संचालित की जा रही है। पहले यहां स्थानीय लोग और ऑपरेटर्स अपनी गाड़ियों और टैक्सी ज्योलिंगकांग बेस कैंप में पार्क कर पैदल या घोड़े पर पार्वती कुंड और गौरी कुंड तक यात्रा कराते थे।
पर्यटन विभाग के साथ हुई संघर्ष समिति की बैठक में इन लोगों को भरोसा दिलाया गया था कि हेली दर्शन योजना, टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है, इससे क्षेत्र मे रोजगार के अवसर बढे़ंगे और यहां का ज्यादा प्रचार-प्रसार होगा, जिससे धारचूला में टूरिस्टों की संख्या मे वृद्धि होगी। संघर्ष समिति का आरोप है कि जिस तरह से इस योजना में बाहरी ऑपरेटर्स को शामिल किया गया है, वह यूटीडीबी के दावों की पोल खोलता है। आदि कैलाश के देव डांगर (पुजारी) हरीश कुटियाल का आरोप है कि टूरिज्म विभाग ने योजनाएं बनाते समय स्थानीय लोगों और पुजारियों से बात नहीं की। इस कारण स्थानीय लोगों में नाराजगी तो है ही, धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच रही है।