मेरा पानी उतरता देख, किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर आऊंगा…। सियासत में इन लाइनों के अलग ही मायने हैं। कुछ महीने पहले तक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (TSR) के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलबाजी कर रहे लोगों को ये अंदाजा नहीं रहा होगा कि वो इतना जोरदार कमबैक करेंगे और उनके तेवर भी इस तरह बदले होंगे। 2024 के चुनावी महासंग्राम में भाजपा की विरोधियों पर बड़ी लीड ने इस चुनाव को कुछ नीरस सा बना दिया था। अगर किसी खेल में एक टीम की जीत निश्चित नजर आ रही हो तो लोगों की दिलचस्पी थोड़ा कम हो जाती है, लेकिन जिस ताबड़तोड़ अंदाज में त्रिवेंद्र सिंह ने नई पारी की शुरूआत की है, वह कई लोगों को हैरान कर रही है।
हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट फाइनल होने के बाद से ही वह एक्टिव मोड में हैं। सुबह से लेकर देर रात तक जनसंपर्क और संगठन-कार्यकर्ताओं की बैठकों में उनकी गर्मजोशी हैरानी भरी है। कुछ लोग तो यहां तक कहने लगे हैं कि सूबे की बागडोर छोड़ने के बाद उनकी खामोशी चर्चा का विषय थी और अब लोकसभा चुनाव में उनका ताबड़तोड़ प्रचार अभियान सबका ध्यान खींच रहा है। वह मुख्यमंत्री रहने के दौरान किए गए अपने काम भी खुलकर गिनवा रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी के दस साल के कामकाज तथा तीसरे टर्म के संभावित बड़े फैसलों पर भी बेलौस बोल रहे हैं। पिछले तीन साल के दौरान जब भी उनसे सीएम का पद छोड़ने के कारणों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, कारण आपको दिल्ली जाकर पूछना होगा। मुझे पार्टी का आदेश था सो इस्तीफा दे दिया।
प्रचार के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत
बहरहाल, हरीश रावत के मैदान में न उतरने से उनके लिए मुकाबला लगभग एकतरफा दिख रहा है, बावजूद इसके त्रिवेंद्र सिंह किसी तरह की ढिलाई बदलने के पक्ष में नहीं नजर आते। चुनौती वाले इलाकों में उनका लगातार कैंपेन इसकी तस्दीक कर रहा है। वह रोड शो भी कर रहे हैं और चुनावी सभाएं भी। सोशल मीडिया में भी उनकी बढ़त नजर आती है। वर्चुअल वर्ल्ड में भी उनका अभियान लगातार रफ्तार पकड़ रहा है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के सियासी कमबैक को जानकार भी करीब से देख रहे हैं।
सीनियर जर्नलिस्ट गजेंद्र सिंह रावत कहते हैं, त्रिवेंद्र सिंह रावत का मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के 3 साल बाद कमबैक हुआ है। वह जिस दिन हटे थे, उस दिन भी कहा था कि मुझे क्यों हटाया गया, इसके बारे में जानने के लिए आपको दिल्ली जाना पड़ेगा। अब दिल्ली वालों ने भी माना है कि इस आदमी ने शायद कुछ भी गलत नहीं किया इसलिए उनको वापस लेकर आए है। इस बीच में त्रिवेंद्र सिंह ने अपने पक्ष में एक सहानुभूति भी बटोरी। लोग आज ये तुलना भी कर रहे होंगे कि त्रिवेंद्र सिंह के राज में क्या चलता था। प्रदेश की सत्ता से हटने के बाद और जो कम बैक वह कर रहे हैं ये आपको आने वाले समय में इस प्रदेश की राजनीति में बहुत बड़ा चेंज दिखाएगा।
वहीं एक और वरिष्ठ पत्रकार पवन लालचंद का कहना है कि इस लड़ाई में त्रिवेंद्र सिंह रावत उमेश कुमार को क्या जवाब देंगे यह भी देखना होगा। उमेश के सामने चैलेंज ये है कि कहां तो वो कांग्रेस का टिकट ले रहे थे और कहां स्थिति ये हो गई है कि तीसरे-चौथे नंबर की लड़ाई में कौन रहेगा। अगर बीएसपी मजबूती से लड़ेगी तो भाजपा का फायदा और कांग्रेस का नुकसान करेगी। उमेश का नुकसान करेगी। तीनों के वोट आपस में बांटेंगे। अगर उमेश इस होड़ में चौथे नंबर पर चले जाते तो जो उन्होंने खानपुर और हरिद्वार के कुछ दूसरे इलाकों में अपनी रोबिनहुड की जो इमेज बना रखी है, उसका क्या होगा। देहात के इलाके में आप चॉपर लेकर के उतर जाते हैं, क्रिकेट के स्टार ले आते हैं, फिल्म स्टार ले आते हैं तो एक आकर्षण बन जाता है। ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत जिस तरह 5 लाख पार जीत का दावा कर रहे हैं और अगर ऐसा कुछ वो कर जाते हैं तो उमेश कुमार की राजनीति का भी एक तरह से बहुत संकरा रास्ता शुरू होने वाला है, मेरी इस पर भी नजर है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला का मानना है कि हरिद्वार में वीरेंद्र रावत को कांग्रेस के कैडर वोट का फायदा मिलेगा। वह दूसरे नंबर पर बने रह सकते हैं। निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार के बारे में वह कहते हैं कि उन पर से लोगों का भरोसा डगमगाया है। वह चौथे से पांचवें स्थान पर आ सकते हैं।
बता दें कि हरिद्वार से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का मुख्य मुकाबला पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र सिंह रावत से है। बसपा से जमील अहमद ने भी मैदान में ताल ठोकी है। खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस से टिकट पाने की उनकी तमाम कोशिशों पर हरीश रावत ने ‘वीटो’ लगा दिया। उमेश कुमार की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ तस्वीरें वायरल हो गई थीं। मीडिया सर्किल में तो ऐसी चर्चा रही कि हरीश रावत ने पार्टी नेतृत्व को दो टूक कह दिया था कि अगर आप एक हाथ से उमेश को टिकट देते हैं तो दूसरे हाथ से उन्हें जहर दे दें। इसके बाद उमेश की कांग्रेस से टिकट पाने की संभावना खत्म हो गई।
हरिद्वार लोकसभा से प्रत्याशी
त्रिवेंद्र सिंह रावत (भाजपा), वीरेंद्र रावत (कांग्रेस), जमील अहमद (बसपा), मोहन सिंह असवाल (उत्तराखंड क्रांति दल), बलबीर सिंह भंडारी (उत्तराखंड समानता पार्टी), ललित कुमार (पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक), सुरेश पाल (भारतीय राष्ट्रीय एकता दल)
उमेश कुमार (निर्दलीय), अकरम हुसैन (निर्दलीय), अवनीश कुमार (निर्दलीय), आशीष ध्यानी (निर्दलीय), कर्ण सिंह सैनी (निर्दलीय), पवन कश्यप (निर्दलीय), विजय कुमार (निर्दलीय)
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तराखंड में अपनी पहली रैली रुद्रपुर में कर चुके हैं। माना जा रहा है कि वह हरिद्वार या ऋषिकेश में एक और रैली कर सकते हैं। श्रीनगर में भी उनकी एक रैली रखे जाने की बात हो रही है। आने वाले कुछ दिनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज प्रचार के लिए उत्तराखंड में होंगे। आखिरी दौर में प्रचार के काफी तेज होने की संभावना है।