प्रो. एच. सी. पुरोहित
डीन, स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, दून यूनिवर्सिटी
उत्तराखंड में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (Global Investors Summit) के दूसरे आयोजन का आगाज होने वाला है। इन्वेस्टमेंट की दृष्टि से देखें तो उत्तराखंड में बहुत संभावनाएं हैं। सबसे बड़ा फायदा क्लाइमेटिक कंडीशन का है। हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर सेक्टर का लाभ उस समय मिलता है, जब देश के अन्य भागों में नहीं होता है। इसको हम कैसे आगे बढ़ा सकते हैं इस पर काम करने की जरूरत है। इस सेक्टर में जिस प्रोडक्ट की ज्यादा डिमांड है, उसके हिसाब से प्रोसेसिंग यूनिट को डिस्ट्रिक्ट वाइज स्थापित करें। प्रोसेसिंग के लिए यदि स्थानीय युवाओं को कंपनियां ही प्रशिक्षण देंगी तो स्थानीय स्तर पर रोजगार भी पैदा होगा और पलायन भी रुकेगा। यदि कोई मल्टीनेशनल कंपनी आगे आती है तो हमें एक कंडीशन लगानी चाहिए कि स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देना होगा और जहां पर भी जिस प्रोडक्ट की उत्पादकता अधिक मात्रा में होती है वहीं प्लांट लगाया जाएगा। कम लागत पर यदि उत्पादन अधिक होगा तो समाज, उपभोक्ता और इन्वेस्टर का भी फायदा होगा इस राज्य को भी फायदा होगा।
दूसरा उत्तराखंड में मेडिसिनल प्लांट की प्रचुरता है। लेकिन स्थानीय स्तर पर उन आयुर्वेदिक प्लांट की जानकारी लोगों को बहुत कम है। इसे बढ़ाने के लिए आम लोगों को आयुर्वेद या जड़ी बूटी के बारे में प्रशिक्षण देना होगा, क्योंकि जड़ी बूटियों की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा है। इसमें खर्चा भी कम है, जगह भी कम लेते हैं। उससे पॉल्यूशन भी नहीं होता है। इनकी प्रोसेसिंग यूनिट बहुत छोटी होती है। ऐसे में आयुर्वेदिक कंपनियां यदि उत्तराखंड में इन्वेस्टमेंट लेकर आती है तो उनकी इंडस्ट्री ऐसी जगह पर लोकेट हो, जहां पर मेडिसिनल प्लांट उत्पन्न होते हैं।
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इसके अलावा उत्तराखंड में फिल्म इंडस्ट्री बढ़ सकती है। हिमालय का क्षेत्र है, हर प्रकार की जियोग्राफी है, नदियां हैं, माउंटेन पीक्स हैं, बुग्याल हैं। बहुत अच्छे हरे-भरे जंगल हैं, जो फिल्म शूटिंग की दृष्टि से काफी अच्छी और शांत जगह हैं। उत्तराखंड को बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का भी अवार्ड मिला है। इस एरिया में और काम करने की जरूरत है। जरूरत इस बात की भी है कि युवाओं को कैमरा हैंडलिंग और वीडियोग्राफी में प्रशिक्षण दिया जाए। खासकर एडिटिंग में प्रशिक्षण दिया जाए तो यहां एडिटिंग की सुविधा होने से बड़ी संख्या में प्रोड्यूसर्स उत्तराखंड का रुख कर सकते हैं।
उत्तराखंड का सबसे अहम कॉम्पोनेंट टूरिज्म को लेकर है। इस वर्ष 56 लाख के करीब लोगों ने चारधाम यात्रा की। हरिद्वार में तो बारहमासी लोग हैं। हर महीने दो-दो बार का स्नान होता है। मसूरी, नैनीताल के अलावा कई ऐसे डेस्टीनेशंस हैं जहां पर टूरिस्ट बड़ी संख्या में आते हैं। मानसखंड परिपथ भी विकसित हो रहा है। एक दर्जन से भी ज्यादा मंदिर उसमें कवर होंगे। उत्तराखंड में कई और भी ऐसी जगह हैं। माउंटेनियरिंग, एडवेंचर टूरिज्म को विकसित किया जा सकता है। इतने अधिक टूरिस्ट के लिए जो सर्विस प्रोवाइडर्स हैं, उनके प्रशिक्षण का कोई आॅर्गेनाइज सिस्टम नहीं है, इस पर सबसे ज्यादा काम करना होगा। हमारी इतनी केयरिंग कैपेसिटी नहीं है। आगे और भी टूरिस्ट बढ़ेंगे, जब मानस परिपथ भी विकसित होगा, आदि कैलाश के भी दर्शन यहीं से किए जाएंगे। 56 लाख लोग चारधाम के दर्शन करके जा रहे हैं। आप समझिए कि हमारी जनसंख्या का आधा भाग 6 महीने में अतिरिक्त आ रहा है। इतने प्रेशर को झेलने के लिए ट्रेंड वर्क्ड फोर्स चाहिए, इसलिए प्रशिक्षण की सबसे ज्यादा जरूरत है। चाहे बस चलाने वाला हो, गाइड हो, टैक्सी चलाने वाला हो, होटल चलाने वाले हों, हर व्यक्ति को प्रशिक्षण की आवश्यकता है। ताकि लोग टूरिस्ट से बिहेव करना सीखें और टूरिस्ट अच्छी याद लेकर यहां से जाए और अधिक दिनों तक रुके। महीनों तक टूरिस्ट का स्टे हो। जब टूरिस्ट लंबे समय तक रुकेगा तो उससे इकोनॉमी अपने आप ग्रोथ करेगी।