पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से रक्षा कवच सुदर्शन चक्र का एलान किया। यह दुश्मन की हर चाल को नाकाम तो करेगा ही साथ ही कई गुना तेजी से वार भी करेगा। खास बात यह है कि यह कवच देश में ही विकसित किया जाएगा। यानी मेक इन इंडिया होगा। अगले दस साल में देश को पूरी तरह कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत सुदर्शन चक्र मिशन लॉन्च करेगा। सुदर्शन चक्र दरअसल एक पावरफुल वेपन सिस्टम होगा, जो देश के रक्षा कवच का काम करेगा। यह अहम सामरिक स्थलों ही नहीं, सिविल इलाकों के ऊपर भी रक्षा ढाल की तरह काम करेगा। अगले 10 सालों के भीतर ये स्वदेसी प्लेटफॉर्म तैयार होगा। पीएम मोदी ने कहा, ये न केवल सुरक्षा चक्र का काम करेगा बल्कि दुश्मन के हमले नाकाम कर पलटवार भी करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगले 10 साल यानी 2035 तक देश के प्रमुख स्थलों, सामरिक और नागरिक क्षेत्रों और धार्मिक केंद्रों को टेक्नोलॉजी के नए प्लेटफॉर्म से सुरक्षा का कवच दिया जाएगा।
अगले दशक में, 2035 तक, हम अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार, सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। भगवान श्री कृष्ण के ज्ञान और पराक्रम से प्रेरित होकर, हमने सुदर्शन चक्र का मार्ग चुना है। इसी भावना के साथ, राष्ट्र शीघ्र ही सुदर्शन चक्र मिशन पर कार्य करेगा।
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) August 15, 2025
भारत का आयरन डोम?
आखिर क्या होगा यह सुदर्शन चक्र? क्या यह भारत का आयरन डोम होगा? या उससे आगे की चीज होगा? पीएम मोदी ने अपने भाषण में इसका काफी हद तक इशारा दिया है। पीएम मोदी ने कहा भारत युद्ध के हर नए तौर-तरीके से निपटने में समृद्ध है। हमने ऑपरेशन सिंदूर में टेक्नॉलजी की महारत दिखा दी। पाकिस्तान में हमारे सैन्य ठिकाने, एयरबेस, हमारे आस्था के केंद्रों, नागरिकों पर मिसाइल और ड्रोन से अनगिनत मात्रा में वार किए गए। लेकिन उनके हर हमले को हमारे जांबाजों और टेक्नॉलजी ने तिनके की तरह बिखेर दिया। रत्ती भर नुकसान नहीं कर पाए। युद्ध के मैदान में टेक्नॉलजी का विस्तार हो रहा है। मैंने एक संकल्प लिया है। आपका आशीर्वाद चाहिए। आने वाले 10 साल में 2035 तक राष्ट्र के सभी महत्वपूर्ण स्थलों, जिसमें सामरिक के साथ सिविलियन में शामिल हैं, उन्हें टेक्नॉलजी के नए प्लैटफॉर्म द्वारा पूरी तरह सुरक्षा का कवच दिया जाएगा। यह सुरक्षा का कवच का लगातार विस्तार होता जाए। देश का हर नागरिक सुरक्षित महसूस करे। किसी की भी टेक्नॉलजी हमारे पर वार करने आ जाए, हमारी टेक्नॉलजी उससे बेहतर सिद्ध हो। 2035 तक मैं राष्ट्रीय सुरक्षा कवच का विस्तार करना चाहता हूं। मजबूती देना चाहता हूं। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा पाकर उनकी राह को चुना है।
जानिए सुदर्शन चक्र के बारे में …
सुदर्शन चक्र, भगवान विष्णु का केवल एक अस्त्र नहीं, बल्कि इसे भगवान् विष्णु का अंश भी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में सुदर्शन चक्र ने अयोध्या के राजकुमार शत्रुघ्न के रूप में जन्म लिया था तथा मूल रूप से अवतार महिष्मति नरेश विश्वसम्राट श्री कार्तवीर्य अर्जुन के रूप में लिया। इसके अलावा शस्त्र के रूप में यह धर्म, न्याय और चेतना की प्रतीक शक्ति है। इसकी गति इतनी तीव्र है कि यह समय से भी तेज मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति कैसे हुई? इसके रहस्य क्या हैं और क्यों यह आज भी ध्यान, साधना और सुरक्षा का प्रतीक बना हुआ है? पौराणिक कथा के अनुसार, जब संसार में अधर्म बढ़ा, तब भगवान विष्णु को एक ऐसा दिव्य अस्त्र चाहिए था जो अजेय हो। महर्षि विश्वकर्मा ने इसे बनाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना की। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया, जिसे उन्होंने अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से उत्पन्न किया था। इसे बाद में विश्वकर्मा द्वारा आकार दिया गया। शास्त्रों के अनुसार, सुदर्शन चक्र की गति इतनी तीव्र है कि यह पलक झपकते शत्रु का संहार कर देता है। यह 24 तीखे किनारों से युक्त होता है और घूमते हुए कभी रुकता नहीं। यह चक्र जिसे निशाना बनाता है, उसे काटकर लौट आता है।
पीएम मोदी ने जो बताया है उससे माना जा रहा है कि यह भारत का आयरन डोम होगा। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों से लेकर पंजाब-राजस्थान-गुजरात तक सीमावर्ती इलाकों में ये डिफेंस सिस्टम काम करेगा। ऑपरेशन सिंदूर में एस 400 ने पाकिस्तान के हर वार को नाकाम किया था। भारत का लक्ष्य अब इससे आगे की देसी तकनीक पर काम करने का है। देश के महत्वपूर्ण सैन्य संस्थान, रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन से लेकर पुल-सुरंग तक ये अहम डिफेंस नेटवर्क तैयार होगा। इस सुरक्षा कवच लगातार विस्तार किया जाएगा ताकि देश का हर नागरिक सुरक्षित महसूस करे। ये नया सुरक्षा कवच ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में कदम माना जा रहा है।