Research … दो दशक पहले ऐसे बहुत से लोग थे जिन्हें दर्जनों लोगों के फोन नंबर याद रहते थे। अब की स्थिति यह है कि बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें अपना दूसरा मोबाइल नंबर याद नहीं हैं। यहां तक की घरवालों के नंबर भी वह याद नहीं कर सके हैं। यह सब हर हाथ में मोबाइल आने के बाद हुआ है। लोगों की डायरी रखने की आदत खत्म हो गई है। एक समय इसमें सैकड़ों लोगों के नंबर लिखे होते थे। अब जमाना कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का आ गया है। आप कुछ भी पूछो, झट से जवाब मिल जाता है। आजकल बच्चे होमवर्क तक करने में इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। ऑफिस-घर हर जगह इसके उपभोक्ता बढ़ गए हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि यह आपको भुलक्कड़ बना रहा है। एक शोध में सामने आया है कि चैटजीपीटी या इसी तरह की अन्य एआई एप का का इस्तेमाल करने वालों की दिगाम के काम करने की क्षमता 55 फीसदी तक घट सकती है।
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चैटजीपीटी इस्तेमाल करने वाले 83 फीसद लोग कुछ ही मिनटों में यह भूल गए कि उन्होंने क्या लिखा था। यह Research मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) ने किया है। यह शोध चार माह तक किया गया। इसमें यह बात निकलकर आई कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता से हमारे संज्ञानात्मक बोध यानी सोचने-समझने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित किया है। शोध के मुताबिक, एआई के बिना काम करने वालों की तुलना में इसे इस्तेमाल करने वालों के मष्तिष्क की गतिविधियों में तारतम्यता 55 फीसदी घट जाती है। एआई इस्तेमाल करने वालों का दिमाग इस कदर इसका गुलाम बन जाता है कि शायद ही कोई अपनी लिखी एक पंक्ति को सही से याद रख पाए। शोध के दौरान चैटजीपीटी जैसे टूल की मदद न लेने वाले 95 फीसदी लोगों को अच्छी तरह याद था कि उन्होंने क्या लिखा।
47 फीसदी तक घटी दिमाग में संचार की सक्रियता
एमआईटी ने यह शोध विशेष तौर पर चैटजीपीटी इस्तेमाल करने वालों पर किया। बस चार माह में जुटाए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि मष्तिक तंत्रिका की गतिविधियां 79 से घटकर 42 हो गई। दिमाग में संचार की सक्रियता 47 फीसदी घट गई। शोध में पाया गया कि एआई उपयोग करने वालों की याददाश्त पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ा और उनकी सोच में रचनात्मकता का स्तर भी नगण्य हो गया।
सहायक नहीं बन रही कमजोरी
चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने वालों से Research के दौरान खुद से कुछ लिखने के लिए कहा गया तो वह एक लाइन भी लिखने में असहाय नजर आए। अध्ययन के मुताबिक, चैटजीपीटी का इस्तेमाल शुरू करने के साथ ही दिमाग की सक्रियता में कमी आने लगती है और कुछ ही हफ्तों में यह प्रौद्योगिकी लोगों के लिए सहायक बनने के बजाय उनकी कमजोरी बन जाती है। एआई की जगह गूगल का इस्तेमाल फिर भी बहुत ज्यादा बेहतर है। शोध के दौरान गूगल की मदद लेने वाले सिर्फ 11 फीसदी लोग ही यह भूले कि उन्होंने क्या लिखा था।
सावधानी से करें इस्तेमाल
शोधकर्ताओं का कहना है कि अपना 80% समय स्वतंत्र रूप से सोचने में बिताएं। केवल 20% हिस्सा तथ्यों की जांच या सुधारों के लिए एआई की मदद से पूरा करें। अगर आप पूरा काम एआई की मदद से करना चाहते हैं तो यह आपके लिए आने वाले समय में काफी खतरनाक साबित हो सकता है।