Uttarakhand की जलवायु कीवी फल के उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। राज्य की धामी सरकार की योजना है कि चीन, न्यूजीलैंड और इटली की तर्ज पर कीवी का उत्पादन कर उसका निर्यात किया जाए। अभी देश में हिमाचल और अरुणाचल प्रदेश कीवी उत्पादन में सबसे आगे हैं। ये देश पेशेवर तरीके से कीवी की बागबानी करते हैं। किसानों को प्रशिक्षित करते हैं। पैकेजिंग, निर्यात में भी मदद करते हैं। उत्तराखंड सरकार की योजना भी कुछ ऐसी ही है। दरअसल, राज्य गठन के बाद से ही कीवी उत्पादन पर कोई खास पहल नहीं की गई थी। यही कारण है सब चीजें अनुकूल होने के बाद भी उत्तराखंड कीवी उत्पादन में पिछड़ा रहा। इसी साल उत्तराखंड सरकार ने कीवी उत्पादन के लिए नई नीति लागू की है। इसके तहत किसानों को 70 फीसदी सब्सिडी दिए जाने का भी प्रावधान है। नीतिकारों का मानना है कि एक बार कीवी की बागबानी शुरू हो जाए उसके बाद किसानों को फायदा होने लगेगा। फिर सरकार को विशेष प्रयास की जरूरत नहीं होगी। नई नीति के तहत पांच साल में 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में कीवी उत्पादन की योजना बनाई गई है। अनोखे स्वाद के साथ सेहत के फायदेमंद कीवी की पिछले कुछ वर्षों में देश में काफी मांग बढ़ी है।
घरेलू उत्पादन से चार गुना अधिक का आयात
भारत में कीवी का उत्पादन खपत के अनुरूप नहीं है। जिससे चीन, न्यूजीलैंड व इटली से कीवी का आयात किया जाता है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में भारत ने घरेलू उत्पादन से चार गुना अधिक कीवी का आयात किया। कीवी फल को खाने के अलावा जूस, आचार, कैंडी समेत उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है। अरुणाचल प्रदेश कीवी उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है।
एक बगीचा तैयार करने की लागत 12 लाख
एक एकड़ जमीन पर कीवी का बगीचा तैयार करने में 12 लाख खर्च होने का अनुमान है। इसमें जमीन, पौध सामग्री, गड्ढा खोदने, पौध संरक्षण के उर्वरक व रसायन का सारा खर्च शामिल है। यदि कोई किसान एक एकड़ में कीवी का बगीचा तैयार करता है तो प्रदेश सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
इन क्षेत्रों में होगा उत्पादन
देहरादून जिले के चकराता, कालसी, रायपुर, उत्तरकाशी जिले के मोरी, डुंडा, भटवाड़ी, पुरोला, चिन्यालीसौड़, नौगांव, पौड़ी के कल्जीखाल, कोट, खिसू, पोखड़ा, नैनीडांडा, बीरोंखाल, रिखणीखाल, टिहरी जिले के चंबा, धौलधार, भिलंगना, प्रतापनगर, कीर्तिनगर, जाखणीधार, रुद्रप्रयाग जिले में जखोली, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ, चमोली जिले में दशोली, जोशीमठ, पोखरी, घाट, देवाल, कर्णप्रयाग, गैरसैंण, नारायणबगड़, थराली, नैनीताल जिले में रामगढ़, ओखलकांडा, धारी, भीमताल, बेतालघाट, अल्मोड़ा जिले में हवालबाग, ताकुला, लमगड़ा, धौलादेवी, ताड़ीखेत, द्वाराघाट, सल्ट, पिथौरागढ़ जिले में बिण, मूनाकोट, कनालीछीना, डीडीघाट, बेरीनाग, गंगोलीघाट, मुनस्यारी, बागेश्वर जिले में कपकोट, गरुड़, चंपावत जिले में लोहाघाट, पाटी, बाराकोट विकासखंड में कीवी का उत्पादन किया जाएगा।
पांच मादा पौधे के साथ एक नर पौधा जरूरी
कीवी के नर व मादा दोनों पेड़ अलग-अलग होते हैं। ऐसे में खेती के दौरान 5 मादा पौधों के साथ एक नर पौधा लगाना आवश्यक है। तभी इसमें परागण प्रक्रिया हो पाएगी और सफल रूप से कीवी उत्पादन होगा। अब अधिकतर कलमी पौधे चलन में हैं, इनमें 3 से 4 साल में उत्पादन शुरू हो जाता है। दूसरी ओर अगर पौधे रोपण कर लगाये जाते हैं, तो इनमें 6 से 7 साल का समय लग सकता है। ऐसे में वह सलाह देते हैं कि किसानों को कलमी पौधे प्रयोग में लाने चाहिए।
बंदर और लंगूर नहीं खाते कीवी
कीवी का बाहरी हिस्सा रोंएदार होने और स्वाद खट्टा होने से इसे बंदरों और लंगूरों से बचाने की आवश्यकता नहीं होती। वहीं इसके औषधीय गुणों के चलते फल की बाजार में मांग बनी रहती है। फल का प्रसंस्करण कर इसके उत्पाद तैयार कर भी काश्तकार बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं।
कीवी के औषधीय गुण
कीवी मानव की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के साथ ही ब्लड प्रेशर, कब्ज, आंख संबंधी रोगों में लाभकारी बताया गया है। इसके साथ ही यह त्वचा को सुंदर बनाने और वजन को सामान्य करने में भी मददगार होता है। डेंगू, मलेरिया जैसे रोगों में चिकित्सकों की ओर से कीवी के फल के सेवन की सलाह दी जाती है।
दुनिया के शीर्ष 5 कीवी उत्पादक देश
- चीन
न्यूज़ीलैंड
इटली
ग्रीस
ईरान
2024 में दुनिया में लगभग 4.43 मिलियन टन कीवी का उत्पादन हुआ। चीन शीर्ष उत्पादक रहा, जिसने अकेले 2.4 मिलियन टन से अधिक उत्पादन किया। इससे पता चलता है कि वैश्विक कीवी उत्पादन में चीन की बहुत बड़ी भूमिका है।