हिमालयी लाइकेन : शरीर में जेनेटिक बदलावों की वजह से कोशिकाएं खुद को अनियंत्रित तरीके से विभाजित करने लगती हैं। इस बदलाव की वजह से कोशिकाओं पर से नियंत्रण हट जाता है। इस कारण शरीर में ट्यूमर बनते हैं। कई बार ट्यूमर शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। ईएमटी (एपिथेलियल मेजेंनकायमल ट्रांजिशन) की वजह से ट्यूमर फैलने लगते हैं और कैंसर में तब्दील हो जाते हैं। कुमाऊ विश्वविद्यालय में जो शोध हुआ है उसमें सामने आया है कि हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाले कई लाइकेन (कवक और शैवाल का मिश्रण) ट्यूमर के कैंसर में बदलने से रोकने में बेहद कारगर हैं। बतादें कि ईएमटी (एपिथेलियल मेजेंनकायमल ट्रांजिशन) की वजह से ट्यूमर फैलने लगते हैं और कैंसर में तब्दील हो जाते हैं।
कुमाऊं विवि के रसायन विज्ञान और बायो टेक्नोलॉजी विभाग के प्रो. डॉ. पैनी जोशी और असिस्टेंट प्रो. डॉ. संतोष कुमार उपाध्याय ने यह शोध किया है। बताया कि कई लाइकेन में कोशिकाओं के अनियंत्रित विभाजन और ट्यूमर को कैंसर बनने से रोकने की क्षमता मिली है। शरीर में कैंसर को फैलने से रोकने में भी ये मददगार हैं। मीडिया से बातचीत में डॉ. संतोष ने बताया कि ईएमटी ट्यूमर से कैंसर बनने की एक प्रक्रिया है। ट्यूमर और कैंसर पर लाइकेन के प्रभाव का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी को भेज गया। वहां से मंजूरी मिलने के बाद डॉ. पैनी जोशी के नेतृत्व में शोध शुरू किया गया।
डॉ. संतोष बताते हैं कि कैंसर के इलाज में सेल के लगातार फैलने और दवाओं के काम नहीं करने से बाधा आती है। सेल अगर एक जगह मिलते हैं तो उनका ऑपरेशन संभव है, लेकिन फैलने से इनका पता नहीं चलता है। लाइकेन ईएमटी प्रक्रिया को रोक देते हैं। इस वजह से यह आगे नहीं फैलता है। इनसे कोशिकाओं का अनियंत्रित विभाजन और कैंसर का फैलना बंद होने लगता है।
ये हैं कैंसर रोधी लाइकेन
हिमालय क्षेत्र में मिलने वाले पारमोट्रेमा, रेटिकुलेटम, एवरनिएस्ट्रम, रामलीना, असनिया, लोबारिया आदि में ट्यूमर को कैंसर बनने से रोकने की क्षमता मिली है। ये कैंसर को फैलने से भी रोकते हैं। लाइकेन में 95 से 99 फीसदी कवक और एक से पांच फीसदी के बीच शैवाल होते हैं।