Accident In Uttarakhand : शराब की बोतल से रातें रंगीन करने वाले खुद और दूसरों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में जिन हादसों में लोग अपनी जानें गंवा रहे हैं उसमें अधिकांश मामले ड्रंक एंड ड्राइव के हैं। आंकड़े तो इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि कार्रवाई हो रही है लेकिन चिंताजनक स्थिति यह है कि हादसों पर लगाम नहीं लग रही है। वर्ष 2025 के शुरुआती तीन महीनों यानी जनवरी से मार्च की बात करें तो अब तक 239 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कुल मौतों में 87 फीसदी मैदानी इलाकों में हुई है। 239 में 209 लोग देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में अपनी जान गंवाए हैं।
दूसरी ओर एक आंकड़ा यह है, जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक गढ़वाल के मंडल के सभी जिलों में शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 1971 और रैश ड्राइविंग पर 1406 चालान किए गए हैं। इसके अलावा इसके बाद भी सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं, कुमाऊं मंडल के सभी जिलों में जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 377 और रैश ड्राइविंग पर 289 चालान किए गए हैं। यानी, नियमों को तोड़ने में पहाड़ी इलाके के लोगों से ज्यादा मैदानी लोग आगे हैं। यही वजह है कि यहां पर मौतों का आंकड़ा इतना भयावह है। एक बात गौर करने वाली है, शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में पुलिस ने पिछले तीन महीने में प्रदेश भर में कुल 2348 चालान किए। इसमें से अकेले देहरादून में 1319 चालान काटे गए। यानी, प्रदेश के अन्य बारह जिलों में जितने चालान हुए उससे ज्यादा अकेले देहरादून में हुए।
काली साबित हो रही रात
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अधिकांश हादसे रात में ही हो रहे हैं। इसका बड़ा कारण रात में शराब पीकर गाड़ी चलाना है। लोग शराब रात रंगीन करने के लिए पी रहे हैं। लेकिन, यह उनके लिए काली रात साबित हो रही है। ऐसे लोगों की गलती का खामियाजा आम लोग उठा रहे हैं। जो इनकी वजह से हादसे का शिकार हो रहे हैं। पुलिस के सामने चुनौती है कि इसपर लगाम कैसे लगाएं।
बीते साल 11 नवंबर को देहरादून के ओएनजीसी चौक पर हुए हादसे की यादें अभी लोगों के जेहन से उतरी नहीं हैं। इनोवा कार पीछे से एक कंटेनर से टकराने के बाद पेड़ से जा भिड़ी थी। उस समय कार की रफ्तार 150 किलोमीटर प्रति घंटे थी। इसमें छह लोगों की मौत हो गई थी। हादसा इतना विभत्स था कि एक शव का सिर धड़ से अलग हो गया था। यह हादसा रैश ड्राइविंग के कारण हुई थी। इसी तरह मार्च 2025 को राजपुर रोड पर साईं मंदिर के पास तेज रफ्तार कार ने चार मजदूरों को कुचल दिया था। इसी तरह 24 मार्च को ही लच्छीवाला टोल प्लाजा पर डंपर ने तीन गाड़ियों को टक्कर मार दी। इससे कार में सवार दो लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह कुछ दिन पहले रात ढ़ाई बजे राजपुर रोड स्थित ग्रेट वेल्यू तिराहे पर तीन बाइक सवार बूथ से टकरा गए, हादसे में तीनों लोगों की मौत हो गई। इसमें दो युवा हाल ही में अग्निवीर में चयनित हुए थे।
उत्तराखंड में सड़क हादसे
उत्तराखंड में सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता ही रहा है। उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट पर मौजूद डाटा ही इसकी गवाही देता है। 2005 से लेकर 2022 तक का डाटा बताता है कि 2005 से कोई भी एक साल ऐसा नहीं रहा, जब 1000 से कम सड़क दुर्घटनाएं हुई हों। इनमें से भी गंभीर सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा 600 से 900 के बीच रहा है। राज्य बनने के बाद से 2001 से अब तक 20 हजार लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है। इस साल की ही बात करें तो जनवरी से अक्टूबर के बीच ही 1148 रोड एक्सीडेंट हो चुके हैं और इन हादसों में 851 लोगों की मौत हो चुकी है। अब एक तर्क यहां पर ये भी दिया जा सकता है कि एक्सीडेंट सिर्फ उत्तराखंड में ही थोड़े होते हैं। और बात भी सही है। पूरे देश में एक्सीडेंट होते हैं लेकिन उत्तराखंडी होने के नाते तब हमारी चिंता बढ़ जाती है, जब ये नेशनल एवरेज से भी ज्यादा हो जाते हैं।
मौत के मामले देश के औसत मामलों से ज्यादा
रोड हादसों पर भारत सरकार की रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड में 2021 के मुकाबले 2022 में सड़क हादसों में 27.07 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2022 में हर 100 हादसों में 62 लोगों ने जान गंवाई। 100 एक्सीडेंट्स में लोगों की मौत होने के मामले में उत्तराखंड का एवरेज 62.2 है. जो 38.05 के नेशनल एवरेज से काफी ज्यादा है। राज्य में 641 ऐसे क्षेत्र चिन्हित हैं जो दुर्घटना संभावित हैं और 44 ऐसे हैं, जहां ब्लैक स्पॉट है। ब्लैक स्पॉट यानी करीब 500 मीटर की वो जगह जहां तीन सालो में पांच दुर्घटनाएं ऐसी होती हैं, जिनमें ज्यादा मृत्यु और गंभीर रूप से लोग घायल होते हैं। ये ब्लैक स्पॉट लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। राज्य में दुर्घटना संभावित स्थलों की बात करें तो सबसे ज्यादा नैनीताल में 90 स्थान दुर्घटना संभावित स्थल हैं। वहीं, सबसे कम 14 दुर्घटना संभावित स्थल रुद्रप्रयाग जिले में हैं। देहरादून में 42, उत्तरकाशी 41, टिहरी 34, पौड़ी 61, चमोली 24 और यही स्थिति दूसरे जिलों की है।