इस वित्तीय वर्ष में Uttarakhand सरकार शराब बेचकर पांच हजार करोड़ से ज्यादा का राजस्व अर्जित करेगी। प्रदेश की कैबिनेट ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। इसके तहत अगले वित्तीय वर्ष के लिए 5060 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में फलों से शराब बनाने की फैक्ट्री लगाने वालों को 15 साल तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। साथ ही धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती ठेकों को लाइसेंस नहीं मिलेगा। ठेकों से जुड़ीं उप दुकानों और मेट्रो शराब बिक्री की व्यवस्था भी खत्म कर दी गई है। किसी रेटिंग होने पर उसका प्रावधान भी किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर पर एमआरपी लागू होगी, जिससे उपभोक्ता हितों की रक्षा होगी। सरकार ने जारी वित्तीय वर्ष के 4439 करोड़ के सापेक्ष 4000 करोड़ का राजस्व वसूला है। यह नीति एक अप्रैल से लागू होगी।
इसी के साथ उत्तराखंड में एक अप्रैल से शराब की कीमतें बढ़ना तय है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि शराब कंपनियां अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत अधिक कीमत नहीं बढ़ा सकती, लेकिन राजस्व लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ बढ़ोतरी जरूर होगी। आबकारी विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ का बड़ा लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के मुकाबले 621 करोड़ रुपये (लगभग 14 फीसदी) अधिक है।
एमआरपी पर ही बिकेगी शराब
नई नीति में धार्मिक क्षेत्रों के महत्त्व को ध्यान में रखकर वहां ठेकों का लाइसेंस बंद करने का निर्णय लिया है। शराब की बिक्री और नियंत्रित करने के लिए उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को भी समाप्त किया है। ठेकों के साथ डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी शराब एमआरपी पर ही बिकेगी। पर्वतीय क्षेत्रों में वाइन टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को बढ़ावा दिया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों के कृषकों व बागवानों को अपनी उपज के लिए उपयुक्त बाजार न मिलने से नुकसान उठाना पड़ता था, लेकिन अब राज्य में उत्पादित फलों से वाइन तैयार करने वाली इकाइयों (वाइनरी) को अगले 15 सालों तक आबकारी शुल्क इत्यादि से मुक्त रखने का प्रावधान किया है। इस कदम से किसानों को नया बाजार और आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) में प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
थोक मदिरा लाइसेंस केवल उत्तराखंड के निवासियों को
नई आबकारी नीति में थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड के निवासियों को जारी किए जाएंगे। माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। आवंटन प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने का दावा है, जिसके तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी।
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