Close Menu
तीरंदाज़तीरंदाज़
    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest Dribbble Tumblr LinkedIn WhatsApp Reddit Telegram Snapchat RSS
    अराउंड उत्तराखंड
    • टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में अग्निवीरों की होगी सीधी तैनाती
    • Uttarakhand के धार्मिक स्थलों में धारण क्षमता के अनुरूप ही दिया जाएगा प्रवेश
    • Uttarakhand में और सख्त होगा धर्मांतरण कानून
    • Mann ki Baat… पांच साल में 200 से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स : पीएम मोदी
    • मनसा देवी मंदिर में भगदड़ में छह श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल
    • त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार में हैलीपोर्ट के बारे में सीएम धामी से मांगी जानकारी
    • उत्तराखंड में सुदृढ़ और सुरक्षित सड़क नेटवर्क के लिए केंद्र सरकार का प्रयास सराहनीय: Trivendra Singh Rawat
    • वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए धामी सरकार ने कसी कमर
    • ‘जानलेवा सिस्टम’, दम तोड़ती उम्मीद और टूट चुका भाई
    • Oh My Pigeons! छोटा सा कबूतर, खतरा बड़ा!
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube WhatsApp Telegram LinkedIn
    Tuesday, July 29
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    तीरंदाज़तीरंदाज़
    Home»एडीटर स्पेशल»Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?
    एडीटर स्पेशल

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    महकते गुलाब की बगिया किसे अच्छी नहीं लगती। कभी सुरज की पहली किरण को किसी गुलाब के फूल पर पड़ते देखिए...यकीन मानिये वो पल कुछ अलग ही होता है। गुलाब की एक खास प्रजाति है डैमस्क रोज। ये फूल देखने में जितना खूबसूरत लगता है, इसका व्यावसायिक उपयोग भी उतनी ही ज्यादा है।
    Arjun Singh RawatBy Arjun Singh RawatFebruary 5, 2025Updated:March 5, 2025No Comments
    Share now Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    Share now
    Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn

    गुलाब की सुगंधित किस्मों में खास जगह रखने वाले डैमस्क गुलाब की परफ्यूमरी उद्योग में बहुत डिमांड है। इसका तेल बहुत महंगा है। प्राकृतिक तौर पर आर्गेनिक स्टेट Uttarakhand में होने वाले डैमस्क गुलाब से निकलने वाले रोज ऑयल और रोज वाटर का तो क्या ही कहने। उत्तराखंड की ठंडी जलवायु डैमस्क गुलाब के लिए बहुत उपयुक्त है। यही वजह है कि संगध पौधा केंद्र यानी कैप की मदद से पर्वतीय जिलों में बहुत से किसान इसकी खेती कर रहे हैं।

    यह भी पढ़ें : पहाड़ों पर नाच रहे मोर, फरवरी में अमरूद के पेड़ फलों से लदे
    मिसालें खोजने के लिए आपको कहीं जाना नहीं पड़ता, मिसालें आपके आसपास ही होती हैं। क्या गुलाब की खेती से भी इतना कमाया जा सकता है कि परिवार की गुजर बसर हो सके, इसका जवाब है ‘हां’। ये कहानी मैं आपके लिए लाया हूं जोशीमठ के मेरंग, सुनील और परसारी गांव से…। इन गांवों में जब मैं गया तो मैंने देखा कि लोगों ने गुलाब को आय का जरिया बना लिया है। जोशीमठ के मेरंग में गुलाब की खेती करने वाले उमराव सिंह बताते हैं, मैं छोटे कास्तकारों से भी फूल खरीदता हूं। इससे हमारे पास 2000 लीटर तक गुलाब जल निकलता है। अभी हमारे पास 12 बायर्स है, जो बाहर भी गुलाब जल को बेचते हैं। एक तो भिवंडी में है, वह सिंगापुर बेचता है। अल्मोड़ा में एक शख्स है, जो जर्मनी की कंपनी को बेचता है।

    कुछ समय पहले हम अपने गुलाब जल को कन्नौज ले गए थे। वहां के बायर्स ने कहा, यह गुलाब जल कहां तैयार करते हो, हमने कहा- जोशीमठ में…। उन्होंने तुरंत कहा, इसका तेल लाओ, हम उसका 17 से 20 लाख रुपये तक दे देंगे। हम जो गुलाब जल निकालते हैं, उसमें कोई छेड़खानी नहीं करते, कोई केमिकल नहीं है और जो भी गुलाब है, पूरा ऑर्गेनिक है, ऑर्गेनिक खाद से तैयार है। उमराव सिंह कहते हैं, अभी इससे मेरा रोजगार भी ठीक चल रहा है। साल 2000 में मेरे पास कुछ नहीं था। अभी मेरे पास अपना मकान है। इससे ही मैंने सबकुछ किया। दो बच्चों को पढ़ाया, लिखाया। अभी मेरे दोनों बेटे सरकारी नौकरी पर हैं। उमराव सिंह बताते हैं कि सगंध पौधा केंद्र सेलाकुईं की टीम ने उन्हें गुलाब की खेती के लिए रीचआउट किया। उन्होंने ही गुलाब जल निकालने की यूनिट भी दिलवाई।

    परसारी गांव में ही स्वयं सहायता समूह बनाकर गुलाब जल तैयार कर रहीं रीता रावत बताती हैं कि मेरे समूह का नाम जय नरसिंह देवता है। मैं 2016 से गुलाब की खेती कर रही हूं और मैं गुलाब जल बनाती हूं और मार्केट में बेचती हूं। हमारे समूह में 10 लेडीज हैं। हम एक साथ गुलाब की खेती करते हैं। गुलाब जल निकालते हैं और इसे मार्केट में बेचते हैं। हमारा गुलाब जल जोशीमठ मार्केट में जाता है। इसके अलावा औली और बद्रीनाथ में भी हम इसे भेजते हैं। जहां से डिमांड आती है, वहां हम गुलाब जल भेज देते हैं।


    भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी से रिटायर्ड आत्माराम घिल्डियाल सुनील गांव में रहते हैं। वह यहां अपनी पत्नी के साथ मिलकर गुलाब की खेती करते हैं। साल 2012 से गुलाब की खेती कर रहे आत्माराम बताते हैं, मैंने देखा कि यहां जोशीमठ के आर्मी एरिया में गुलाब अच्छे होते हैं। तभी से मेरा गुलाब की खेती करने का सपना था। गुलाब की खेती में मेरा साथ मेरी धर्म पत्नी भी देती हैं। वह भी सेवानिवृत्त हैं। हम दोनों मिलकर गुलाब की खेती करते हैं और हमारा अच्छा उत्पादन हो जाता है। गुलाब की खेती बहुत बढ़िया काम है। इसमें एक बार गुलाब के पौधे लगा दिए तो वो कभी खत्म नहीं होते। उसमें हमेशा फूल आते रहते हैं। यह बहुत फायदे का धंधा है। इस क्षेत्र में यह किसानों के लिए वरदान है। उत्तराखंड की जलवायु में गुलाब की खेती बहुत बढ़िया होती है।

    ‘कैप’ ने दिखाई स्वरोजगार की राह
    इन सभी किसानों में एक बात कॉमन है, कैप की मदद। सगंध पौधा केंद्र ने पर्वतीय इलाकों में बड़ी संख्या में किसानों को गुलाब की खेती से जोड़ा है। किसानों को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने की कैप की कोशिशों को तब पंख लगे, जब जोशीमठ जैसे दुर्गम इलाके में लोगों ने डैमस्क गुलाब की खेती को अपनाया। छोटे कोशिश से शुरू हुआ ये सिलसिला आज किसानों को बड़ा फायदा पहुंचा रहा है।
    कैप ने किसानों को डैमस्क गुलाब की खेती के साथ-साथ रोज ऑयल और रोज वाटर निकालने का भी प्रशिक्षण दिया। उन्हें तेल और गुलाब जल निकालने के लिए 20 किलोग्राम क्षमता वाले मिनी आसवन संयंत्र फ्री मुहैया कराए। आज किसान गुलाब जल और रोज ऑयल की खुद पैकेजिंग कर उसे बेच रहे हैं। जोशीमठ तो डैमस्क गुलाब की खेती के लिए मिसाल बन गया है। यहां जितने मन-जतन से किसान गुलाब की खेती कर रहे हैं, महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप भी उतने ही दिल से इस काम में जुटे हैं। देश में उत्पादन के मुकाबले गुलाब के तेल की बाजार में बहुत खपत है, जिसे दूसरे देशों से आयात किया जाता है। इसकी व्यापक खेती से देश गुलाब के तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकता है।

    खर्चा कम, मुनाफा ज्यादा
    डैमस्क गुलाब की खेती हर लिहाज से फायदे का सौदा है। इसकी कलम के पौध तैयार कर अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है। एक बार लगा दो तो 10-12 साल तक इसमें फूल आते हैं। खेत की मेड़ और बागीचों में लगाकर भी गुलाब की खेती की जा सकती है। इसे जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते। डैमस्क गुलाब पारंपरिक फसलों की तुलना में तीन गुना फायदा देता है। यानी खर्चा कम, मुनाफा ज्यादा।
    कैप के रोज क्लस्टर
    कैप ने वर्तमान में पिथौरागढ़ जिले में नारायण आश्रम, जयकोट, पश्ती, सोसा, हिमखोला, पश्मा, अल्मोड़ा जिले में ताकुला, बीना, पनेरगांव, लोहना और थापला, टिहरी में अंजनीसैंण, धारपयांकोटी और धारकोट, रुद्रप्रयाग में ऊखीमठ और गिरिया, देहरादून में चकराता, चमोली में परसारी, औली, मेरंग, द्विंग-तपोण, जोशीमठ, थराली और उत्तरकाशी के सरांश में डैमस्क गुलाब के क्लस्टर विकसित किए हैं।

    अतुल्य उत्तराखंड गुलाब की खेती स्पेशल स्टोरी
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Pinterest Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram Follow on LinkedIn
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Pinterest Telegram LinkedIn
    Arjun Singh Rawat
    • Website

    पत्रकारिता का लंबा करियर। एजेंसी,टीवी, अखबार, मैग्जीन, रेडियो और डिजिटल मीडिया का अनुभव। राष्ट्रीय मीडिया में 15 साल काम करने के बाद पहाड़ों का रुख। पहाड़ के मुद्दों पर खुलकर बोलने का दम। जमीन पर काम करने का जज़्बा और जुनून आज भी वैसा ही, जैसा पहले दिन था।

    Related Posts

    Oh My Pigeons! छोटा सा कबूतर, खतरा बड़ा!

    July 15, 2025 एडीटर स्पेशल By teerandaj9 Mins Read1K
    Read More

    सीएम धामी का गोद लिया गांव सारकोट, तब और अब कितने बदले हालात!

    June 11, 2025 एडीटर स्पेशल By Arjun Singh Rawat7 Mins Read506
    Read More

    उत्तराखंड में चाय…आह से वाह कब!

    June 7, 2025 एडीटर स्पेशल By teerandaj11 Mins Read63
    Read More
    Leave A Reply Cancel Reply

    अतुल्य उत्तराखंड


    सभी पत्रिका पढ़ें »

    Top Posts

    Delhi Election Result… दिल्ली में 27 साल बाद खिला कमल, केजरीवाल-मनीष सिसोदिया हारे

    February 8, 202513K

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202512K

    Delhi Election Result : दिल्ली में पहाड़ की धमक, मोहन सिंह बिष्ट और रविंदर सिंह नेगी बड़े अंतर से जीते

    February 8, 202512K

    UCC In Uttarakhand : 26 मार्च 2010 के बाद शादी हुई है तो करा लें रजिस्ट्रेशन… नहीं तो जेब करनी होगी ढीली

    January 27, 202511K
    हमारे बारे में

    पहाड़ों से पहाड़ों की बात। मीडिया के परिवर्तनकारी दौर में जमीनी हकीकत को उसके वास्तविक स्वरूप में सामने रखना एक चुनौती है। लेकिन तीरंदाज.कॉम इस प्रयास के साथ सामने आया है कि हम जमीनी कहानियों को सामने लाएंगे। पहाड़ों पर रहकर पहाड़ों की बात करेंगे. पहाड़ों की चुनौतियों, समस्याओं को जनता के सामने रखने का प्रयास करेंगे। उत्तराखंड में सबकुछ गलत ही हो रहा है, हम ऐसा नहीं मानते, हम वो सब भी दिखाएंगे जो एकल, सामूहिक प्रयासों से बेहतर हो रहा है। यह प्रयास उत्तराखंड की सही तस्वीर सामने रखने का है।

    एक्सक्लूसिव

    Dehradun Basmati Rice: कंकरीट के जंगल में खो गया वजूद!

    July 15, 2025

    EXCLUSIVE: Munsiyari के जिस रेडियो प्रोजेक्ट का पीएम मोदी ने किया शिलान्यास, उसमें हो रहा ‘खेल’ !

    November 14, 2024

    Inspirational Stories …मेहनत की महक से जिंदगी गुलजार

    August 10, 2024
    एडीटर स्पेशल

    Uttarakhand : ये गुलाब कहां का है ?

    February 5, 202512K

    Digital Arrest : ठगी का हाईटेक जाल… यहां समझिए A TO Z और बचने के उपाय

    November 16, 20249K

    ‘विकास का नहीं, संसाधनों के दोहन का मॉडल कहिये…’

    October 26, 20237K
    तीरंदाज़
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Pinterest LinkedIn WhatsApp Telegram
    • होम
    • स्पेशल
    • PURE पॉलिटिक्स
    • बातों-बातों में
    • दुनिया भर की
    • ओपिनियन
    • तीरंदाज LIVE
    • About Us
    • Atuly Uttaraakhand Emagazine
    • Terms and Conditions
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
    © 2025 Teerandaj All rights reserved.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.