बद्रीनाथ मार्ग पर 55 क्रॉनिक भूस्खलन जोन (लगातार होने वाले/गंभीर) की पहचान की गई है। इन भुस्खलन जोन की पहचान उत्तराखंड लैंड स्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर (यूएलएसएमएमसी) ने की है। बतादें कि बारिश के सीजन में बद्रीनाथ, केदारनाथ समेत उत्तराखंड के कई इलाकों में भुस्खलन हुए थे। इसमें कई लोगों की जान गई थी तो तमाम लोग जख्मी हुए थे। इसके बाद यूएलएसएमएमसी ने बदरीनाथ मार्ग पर भूस्खलन की दृष्टि से सर्वे का काम बरसात के बाद शुरू किया था।
टीम ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें भूस्खलन का स्थान, उसका क्षेत्रफल समेत अन्य तकनीकी जानकारी का उल्लेख किया गया है। किन स्थानों पर पहले भूस्खलन पहले रिपोर्ट है, कहां पर उसका उपचार किया गया है, इसका भी जिक्र रिपोर्ट में है। जहां पर उपचार हुआ है, लेकिन उसमें सुधार की जरूरत है इसे भी रिपोर्ट में लिखा गया है।
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आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग एनएच को देगा रिपोर्ट
सर्वे रिपोर्ट के बाद अब आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग इस रिपोर्ट को एनएच को देगा। इसके बाद मरम्मत का काम शुरू होगा। बताया जा रहा है कि इसे लेकर जल्द ही शासन स्तर पर एक बैठक भी की जाएगी।
30 नए भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित
मीडिया से बातचीत में आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास के सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि कोट उत्तराखंड लैंड स्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर ने बदरीनाथ मार्ग पर भूस्खलन क्षेत्रों को विस्तृत सर्वे किया है। इसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी जा ही है, जिससे उपचार किया जा सके। जल्द ही मामले में एक बैठक भी बुलाई जाएगी।
चारधाम यात्रियों को हर बार झेलनी पड़ती है मुसीबत
बतादें कि उत्तराखंड में क्रोनिक लैंडस्लाइड जोन नासूर बनते जा रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कतें चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को झेलनी पड़ती हैं। कई बार तो लैंडस्लाइड के कारण कई-कई घंटे रास्ता नहीं खुलता है। सबसे मुश्किल बात ये है कि बारिश के बाद नए कॉनिक जोन तैयार हो जाते हैं।