जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर के पर्यावरणविद् चिंतित हैं। वैसे तो इसका असर पूरी दुनिया में दिखने लगा है लेकिन, पहाड़ी क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। वायुमंडल में कई सूक्ष्म तत्व हैं जो जीवन के लिए संकटकारी हैं। इनमें से एक है एरोसोल (Aerosols)। यह वायुमंडल में पाए जाने वाले सूक्ष्म कण हैं जो मौसम और जलवायु को प्रभावित करते हैं। चिंता की बात यह है कि हिमालयी क्षेत्रों में यह मानक से अधिक पाया गया है। वैज्ञानिक इसे लेकर चिंतित हैं। वायुमंडलीय एरोसोल मौसम और जलवायु अध्ययन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज), दून विश्वविद्यालय और भारतीय एरोसोल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संघ (आइएएसटीए) का संयुक्त चार दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन उत्तराखंड में एरोसोल के प्रभाव पर मंथन किया गया। सम्मेलन में देश-विदेश के 250 से अधिक वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया
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कोहरा, धुंध या धूल में एरोसोल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। सम्मेलन में बताया गया कि एरोसोल का हिमालयी क्षेत्र में काफी महत्व है। हिमालय के तलहटी क्षेत्र में एरोसोल लगातार उच्च स्तर को पार कर रहा हैं। जिसका प्रभाव हिमनदों, जलवायु चक्रों, पारिस्थितिकी और सामाजिक क्षेत्र में पड़ रहा है। सम्मेलन में योजना बनाकर एरोसोल को कम करने की अपील नीति नियंताओं से की गई।
एरोसोल विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर ऐतिहासिक पहलु
सम्मेलन में हिस्सा ले रहे मियामी विवि अमेरिका के प्रो. प्रतीम बिस्वास ने एरोसोल विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर ऐतिहासिक पहलुओं से लेकर भविष्य में अवसरों तक पर बात की। दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि सर्दियों में शहरों में गंभीर प्रदूषण का सामना करना पड़ता हैं। खासकर उत्तर भारतीय क्षेत्र में एरोसोल प्रदूषण का एक बड़ा कारण है।
एरोसोल से जुड़ी कुछ बातें
एरोसोल मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एरोसोल जलवायु पर भी असर डालते हैं। हल्के रंग के एरोसोल धूप को परावर्तित करते हैं। जिससे ठंडक होती है। वहीं, गहरे रंग के एरोसोल सूरज की रोशनी को सोख लेते हैं और गर्मी पैदा करते हैं। एरोसोल के कारण धुंध छा सकती है और दृश्यता कम हो सकती है। बादलों में एरोसोल की मात्रा ज़्यादा होने पर, बादल ज़्यादा चमकीले हो जाते हैं और सूरज की गर्मी को ज़्यादा परावर्तित करते हैं। इससे पृथ्वी का तापमान कम होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमानों के अनुसार, कण प्रदूषण हर साल लगभग 7 मिलियन असामयिक मौतों का कारण बनता है।
एरोसोल के बारे में जानें…
हमारा वायुमंडल मुख्यतः गैसों से बना है – वायुमंडल का लगभग 78% भाग नाइट्रोजन (N2) है और 21% ऑक्सीजन (O2) है बाकी भाग अन्य गैसों से बना है। इन गैसों के अलावा, हमारे वायुमंडल में बहुत छोटी तरल बूंदें और ठोस कण भी होते हैं, जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर (PM) के रूप में जाना जाता है । ये कण मानव स्वास्थ्य और जलवायु में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन, इतने छोटे होते हैं कि जब आप अपने आस-पास की हवा को देखते हैं, तो आप आमतौर पर उन्हें अपनी नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं।