Dehradun Car Accident : ओएनजीसी इलाके में 11 नवंबर की रात हुए हादसे का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने धामी सरकार से जवाब भी मांगा है। इसके बाद माना जा रहा है कि मामले में जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो सकती है। 11 नवंबर की रात मौका वारदात को देखने वाला कोई व्यक्ति उस हादसे को जीवन भर नहीं भूल सकता। छह युवाओं की दर्दनाक मौत। दो के सिर धड़ से अलग थे। इसके बाद प्रदेश में रोड सेफ्टी को लेकर बहुत बातें हुईं। रात में हूटर बजातीं पुलिस की गाड़ियां लोगों का ध्यान खींचती हैं। मगर क्या यह काफी है, ऐसे हादसों को रोकने के लिए। ऐसे हादसों के लिए कभी किसी पर जिम्मेदारी तय नहीं हो पाती। इसे नियती मान ली जाती है।
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प्रदेश अभी हाल ही में मरचूला हादसे का दर्द झेल चुका है। इसमें 38 लोगों की मौत हुई थी। इसके कुछ दिनों बाद ही देहरादून में हुए हादसों ने लोगों को झकझोर दिया। सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी मानीटरिंग कमेटी ने मामले का संज्ञान लेते हुए शासन से कुछ सवाल किए हैं। पूछा गया है कि आखिर हादसे के बाद शासन के स्तर से क्या कदम उठाए गए। इस हादसे के पीछे क्या वजह रही। रोड सेफ्टी कमेटी ने ऐसे तमाम पहलुओं पर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। शासन ने परिवहन विभाग को बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
मीडिया से बातचीत में आरटीओ प्रवर्तन शैलेश तिवारी ने बताया कि घटना की जांच की जा रही है। घटना के पीछे के कारणों की पड़ताल करने के साथ ही सुझावों को भी रिपोर्ट में शामिल किया जा रहा है। ताकि, शहर में ऐसे हादसों से बचा जा सके। 15 दिसंबर तक रिपोर्ट भेजनी है।
वैज्ञानिक तरीके से हो रही जांच
घटना की जांच हरियाणा का जेपी इंस्टीट्यूट भी कर रहा है। वह बेहद वैज्ञानिक तरीके से जांच कर रिपोर्ट तैयार कर रहा है। विशेषज्ञ रिपोर्ट के सामने आने के बाद घटना के कारणों का पता लगाया जा सकेगा। गत बुधवार को टीम मौके पर पहुंची और क्षतिग्रस्त वाहन की जांच की।
तय नहीं होती जिम्मेदारी
चार नवंबर की सुबह करीब साढ़े सात बजे अल्मोड़ा में मरचूला के पास एक बस खाई में गिर गई। हादसे में 38 लोगों की मौत हो गई। बस ओवर लोड थी। बस फिट भी नहीं थी। बताया जा रहा है कि कमानी टूटने से हादसा हुआ। कमानी दो ही दशा में टूट सकती है। या तो बस बहुत ही ओवर लोड हो या बस काफी पुरानी हो। जानकार बताते हैं कि टूटी सड़कों पर चलते-चलते वाहन जल्द कबाड़ में तब्दील होते हैं। इसका असर कमानी सहित अन्य पुर्जों पर पड़ता है। कुल मिलाकर 18 दिनों बाद भी किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। बस कुछ लोगों को निलंबित कर दिया गया है। यही हाल हर हादसे के समय होता है। इससे पहले भी हुए बड़े हादसों के बाद भी किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई नहीं की गई थी। न ही कोई योजना बनाई गई, जो बनाई भी गई उसपर अमल नहीं किया गया।