12 अप्रैल से Chardham Yatra 2024 के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ। पहले दिन रिकॉर्ड संख्या में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हुए। हालत यह तक हो गई कि उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट क्रैश हो गई। जहां ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा था वहां लंबी कतारें लगी रहीं। इन सबके बावजूद पिछले वर्ष की तुलना में इस बार रिकॉर्ड आठ लाख कम तीर्थयात्री पहुंचे। जबकि, प्रदेश सरकार की ओर से दावा 80 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने का किया गया था। साथ ही प्रचार भी तुलनात्मक रूप से ज्यादा हुआ था। लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कारण रहा कि श्रद्धालु कम आए। 17 नवंबर को 9:07 बजे बद्रीविशाल का कपाट बंद होने के साथ चारधाम यात्रा संपन्न हुई। कपाट बंद होने के मौके पर धाम में पहुंचे लगभग 10 हजार श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ के दर्शन किए।
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राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (यूएसडीएमए) के आंकड़ों के मुताबिक, 14 नवंबर तक 4767062 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए थे। अंतिम आंकड़े आने के बाद यह संख्या 48 लाख के पार पहुंच सकती है। पिछली बार तीर्थयात्रियों की संख्या 56 लाख के पार थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछली बार के मुकाबले इस बार कंपाट कम समय तक खुला रहा। मसलन, 2023 में केदारनाथ धाम का कपाट 25 अप्रैल को खुल गया था। बंद 15 नवंबर को हुआ था। 205 दिन कपाट खुला रहा। वहीं,इस बार 10 मई को केदारनाथ धाम का कपाट खुला था। तीन नवंबर को बंद हुआ। 178 दिन कपाट खुला रहा। यानी, दर्शन के दिन 27 दिन कम मिले। इसे एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। इसी तरह बद्रीविशाल का कपाट 2023 में 27 अप्रैल को खुला था। बंद 18 नवंबर को हुआ था। इस बार यह 12 मई को खुला और 17 नवंबर को बंद हो गया। 2023 में 206 दिन कपाट खुला था तो 2024 में 190 दिन। यानी, पिछली बार की तुलना में 16 दिन कम कपाट खुला रहा।

यमुनोत्री के कपाट भी वर्ष 2023 में 22 अप्रैल से 15 नवंबर तक खुले थे। इस बार दस मई से तीन नवंबर तक खुला रहा। पिछली बार श्रद्धालुओं को जहां 208 दिन दर्शन के लिए मिले थे तो वहीं इस बार 178 दिन ही मिले। यानी, पूरे एक महीने कम। इसी तरह गंगोत्री धाम की बात करें तो यहां भी पिछले साल के मुकाबले 30 दिन कम कपाट खुले। 2023 में 207 दिन तो 2024 में महज 177 दिन भक्तों को दर्शन करने को मिला। यानी,पूरे 30 दिन कम समय।
आपदा के कारण भी कम हुए श्रद्धालु
इन सबके अलावा इस बार आपदा भी कई बार आई। कई इलाकों में बादल फटने की घटनाएं हुईं। इससे चारधाम यात्रा प्रभावित हुई। चारधाम जाने वाले कई राजमार्ग व राष्ट्रीय मार्ग क्षतिग्रस्त हुए इस कारण कई दिनों तक आवागमन प्रभावित रहा। साथ ही इस बार उत्तराखंड में बारिश भी खूब हुई। मानसून जाते-जाते देवभूमि पर खासा मेहरबान रहा। इस वजह से कई सड़कें धंस गईं। इन सब कारणों से चारधाम यात्रा प्रभावित रही। खराब मौसम की वजह से हलीसेवा भी कई दिनों तक ठप रही। 31 जुलाई की रात केदारनाथ में दो जगह बादल फटने से यात्रा काफी दिन तक प्रभावित रही। पैदल मार्ग तो 26 जगह क्षतिग्रस्त हो गया था। 16 स्थान पूरी तरह बह गए थे।
हजारों तीर्थयात्री फंसे थे
भारी बारिश और बादल फंटने की घटना में हजारों तीर्थयात्री फंस गए थे। उन्हें रेस्क्यू करने के लिए सेना का हेलिकॉप्टर लगाया गया था। हफ्तों चले अभियान के बाद उन्हें निकाला जा सका था।
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पांच लाख से ज्यादा वाहन पहुंचे
वर्ष 2024 में चारधाम यात्रा के दौरान पहाड़ों पर 537431 वाहन पहुंचे। इस वजह से कई जगह जाम की समस्या भी रही। वाहनों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। 2023 में 5,68,459 वाहन धामों के समीप पहुंचे थे। तब बदरीनाथ धाम की यात्रा में 2,39,550 वाहन, केदारनाथ धाम की यात्रा में 99,182 वाहन, गंगोत्री धाम में 95,238 वाहन, यमुनोत्री धाम में 75,453 वाहन और हेमकुंड साहिब के लिए 59,036 वाहनों का आवागमन हुआ था। वहीं, इस बार राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार 31 अक्टूबर तक, बदरीनाथ धाम में 1,46,113, केदारनाथ धाम में 186901, गंगोत्री धाम में 87634, यमुनोत्री धाम में 72041 और हेमकुंड साहिब में 25937 वाहन पहुंचे थे। अंतिम आंकड़े आने तक यह संख्या बढ़ सकती है। इस हिसाब से इस बार पिछली बार की अपेक्षा वाहन भी कम हुए हैं। हालांकि, इसे अच्छा ही माना जा रहा है। क्यों कि वाहनों की बढ़ती संख्या को लेकर पर्यावरणविद् कई बार चेता चुके थे। उनके मुताबिक, बार-बार आ रही आपदा के पीछे वादियों में शोरशराबा भी एक वजह है। दरअसल, पहले बड़ी गाड़ी में 30-40 लोग एक साथ जाते थे। लेकिन, अब छोटी-छोटी गाड़ियों में दो-तीन लोग चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं। यही वजह है कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट ने इसे रेगुलेट करने को कहा है कि अगर इतनी बड़ी संख्या में वाहन सतोपंथ ग्लेशियर तक जाएंगे तो आपदा आएगी ही।
261 तीर्थयात्रियों ने गंवाई जान

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक, चारधाम यात्रा 2024 में कुल 261 तीर्थयात्रियों ने अपनी जानें गंवाईं। इनमें से 249 तीर्थयात्रियों की मौत खराब स्वास्थ्य के कारण हुई। स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते जान गंवाने वाले चारधाम श्रद्धालुओं की संख्या इस बार पिछली बार के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। पिछले साल यह संख्या 242 थी। मृतकों में सबसे अधिक संख्या उन श्रद्धालुओं की रही जो हेलीकॉप्टर के जरिए दर्शन करने पहुंचे थे। दरअसल, तीर्थयात्री प्रतिकूल मौसम को सहन नहीं कर पाए, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। हवाई सेवा के जरिये मिनटों में निचले इलाकों से 3000 मीटर से अधिक उंचाई पर स्थित मंदिरों में पहुंचने से श्रद्धालु अचानक कम तापमान के क्षेत्र में आ जाते हैं और कई बार वे इसे झेल नहीं पाते। श्रद्धालुओं की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी और ह्रदयाघात जैसी वजहें सामने आई है। वहीं, आपदा में 12 की मौत हुई है, तीन घायल हुए हैं। 20 तीर्थयात्री लापता हैं।