Bus Accident: कल सुबह 9.00 बजे की बात है, मैं काशीपुर से देहरादून लौट रहा था, हरिद्वार से कुछ आगे ही पहुंचा था…छोटे भाई आशू (ललित) का फोन आया भैय्या हमारे गांव से आ रही बस (Bus Accident) कूपी-सारड़ बैंड से नीचे गिर गई है। दीपू (भतीजा जगदीप) भी उस बस में था, हमारे गांव सिरखेत-बिरखेत के कई और लोग बस में थे। बस इतनी ही सूचना के बाद मन कई आशंकाओं से घिर गया। कूपी-सारड़ बैंड हमेशा डराता है। तुरंत जितने लोगों के नंबर फोन में थे, मिलाने शुरू किए। सभी ने एक ही बात कही, अभी कुछ नहीं कह सकते, हम पहुंच रहे हैं। फिर चाचा के बेटे मिंटू ने खबर दी कि भाई लोग कह रहे हैं,कैजुएल्टी ज्यादा है। बाकी कुछ नहीं पता। देहरादून तक आते-आते कई लोगों को फोन कर चुका था, तभी रघुबीर सिंह बिष्ट भाई का फोन आया, बड़ा हादसा हो गया है हमारे क्षेत्र में…तुम कहां हो। मैंने कहा भाई जी, बस देहरादून पहुंच रहा हूं लेकिन मेरे गांव और आस-पास के बहुत सारे लोग हैं। भगवान रक्षा करे। रघुबीर भाई ने कहा, तैयार हो जाओ, चलते हैं। रास्ते में पता कर लेंगे। बस, सामान रखा और उल्टे पैर मरचूला के लिए निकल गया। तब तक खबर आ गई थी कि 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। 28 लोग स्पॉट पर ही जान गंवा चुके थे और बहुत सारे लोगों ने रामनगर पहुंचने तक दम तोड़ दिया।
बिरखेत से पाला चाचा (दिलवर सिंह), मनोज उसकी वाइफ चारू, अनीता दीदी के बेटा-बेटी आदित्य और रश्मि नहीं रहे। पाला चाचा की बेटी वैष्णवी को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर किया गया और मनोज की 3 साल की मासूम बेटी को एम्स ऋषिकेश। दीपू, गांव के दो और बच्चे सूरज, प्रदीप जख्मी हालत में काशीपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं।
सुबह खबर मिलते ही छोटा भाई, पापा, ताऊजी, उनके बच्चे सब रामनगर पहुंच गए थे। इस दौरान रामनगर में गणेश भाई (गणेश रावत) ने काफी मदद की। दीपू के लिए कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा से कृष्णा अस्पताल को फोन भी कराया। फिर सब दीपू को लेकर कृष्णा अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले हम भी देहरादून से कृष्णा अस्पताल पहुंचे, वहां अस्पताल प्रशासन का रवैया बहुत खराब था, कैबिनेट मंत्री की बात को भी गंभीरता से नहीं लिया। लिहाजा हमने दीपू को तुरंत उजाला अस्पताल ले जाना बेहतर समझा। प्रदीप आईसीयू में है। सूरज को भी शाम को रामनगर से कृष्णा अस्पताल ले आए हैं। दोनों पान सिंह चाचा के बेटे हैं।
इसके बाद हम सीधा मरचूला पहुंचे। रामनगर अस्पताल में सीएम पुष्कर सिंह धामी जी का रूट लगा हुआ था, इसलिए वहां रुके नहीं। मरचूला पहुंचने पर पुल पार करते ही सबसे पहली नजर नीचे बने हैलीपैड पर गई। लगा सीएम आ सकते हैं, तैयारी की गई है। गेस्ट हाउस में मारे गए लोगों का पोस्ट मार्टम चल रहा था। एक-एक कर शव परिजनों को सौंपे जा रहे थे। प्रशासनिक अधिकारी नाम, पता दुरुस्त करने में बिजी थे। कानूनगो, पटवारी, तहसीलदार, पुलिस, एलआईयू और एसडीएम, सभी की जद्दोजहद इस बात पर थी कि सूची में नाम एक जैसे हों, बार-बार मिलान कर रहे थे। जब मैंने पूछा, आपके पास आधिकारिक आंकड़ा कितना है तो बताया गया, यहां 28 लोगों के शवों का पोस्टमार्टम चल रहा है। बाकी लोगों को रामनगर रेफर किया गया, उनमें से 8 की मौत हो गई है और 26 अन्य घायल हैं।
मोर्चरी के बाहर परिजन बदहवास थे। बात करना चाहता था लेकिन हिम्मत नहीं हुई। मनोज की मां लगातार रो रही थी और लोग ढांढस बंधा रहे थे, पोती बची है, उसके लिए हौसला रखो। पाला चाचा के परिवार से तो बात करने की हिम्मत भी नहीं हुई। क्या मस्त इंसान थे, हमेशा हंसकर मिलते थे। बराथ-किनाथ से सुबह चलने वाली यह हमारे रूट की इकलौती बस है। बराथ, बराथ मल्ला,किनाथ, किनाथ तल्ला, बिरखेत, सिरखेत, दिगोली, उटिड़ा मल्ला, देवलाड, मंगरस्यूं, परसोली, सैंडली, पाताल और कई सारे गांव। गौलीखाल तक इस रूट पर पड़ने वाले लगभग हर गांव से कोई न कोई इस हादसे में हताहत हुआ है। मरचूला में कई लोग ऐसे थे, जिनका कोई परिजन इस हादसे का शिकार नहीं हुआ लेकिन सुबह से पहले राहत कार्यों में जुटे रहे और फिर शाम को परिजनों को ढांढस बंधाते नजर आए।
इस दौरान कुछ लोगों ने खुलकर इस रूट की अव्यवस्थाओं पर बोला…
वीडियो देख सकते हैं –
मरचूला बस हादसे में स्थानीय लोगों ने खराब सड़कों और प्रशासन के रवैये पर उठाए सवाल। मरचूला गेस्ट हाउस में पोस्ट मार्टम के दौरान जब मैंने लोगों से घटना के बारे में पूछा तो लोग फट पड़े…। #BusAccident pic.twitter.com/GAtsoe4Y1m
— Arjun Rawat (@teerandajarjun) November 5, 2024
आदित्य रावत (16), रश्मि रावत (20), विशाल रावत (20), दिपांशु बलोदी (24), सलोनी (22), नीरज ध्यानी (16), विनायक मैंदोलिया (17), आयुष मैंदोलिया (19), मनोज रावत (35), चारू रावत (34), रवि भारद्वाज (36), मीना देवी (23), मानसी (18), बनवारी लाल (35), गिरीश ढौंडियाल (35), आरव (5), प्रवीण सिंह (25), प्रवीण रावत (32) और भी कई नाम हैं…। जरा इन सबकी उम्र पर गौर कीजिए…। क्या ये उम्र इस तरह चले जाने की थी। दीवाली की खुशियां परिवार के साथ बांटकर लौट रहे थे, कोई पढ़ता था, कोई जॉब करता था। एक झटके में कितने परिवारों का हंसता-खेलता आंगन सूना हो गया।
मन में एक ही बात बार-बार आ रही थी, काश ये लोग बस मिस कर जाते। काश, कहीं पुलिस ने बैरिकेड पर ओवरलोड बस को रोक लिया होता। काश ड्राइवर ने मना कर दिया होता मेरी 42 सीटर बस है, 62 लोगों को नहीं बैठा सकता। काश, सड़क की हालत ठीक होती तो बस में वो खराबी नहीं आती, जिसकी वजह से हादसा हुआ। काश, इन बच्चों को मां-बाप ने एक दिन के लिए और रोक लिया होता। अनीता दीदी के बच्चे आदित्य और रश्मि कितने खुश मन से दीवाली मनाने आए होंगे, अब दोनों नहीं रहे। क्यों जाने दिया, काश एक दिन रुकने के लिए कह दिया होता। विनायक का चेहरा मुझे बार-बार याद आ रहा है, दिगोली के पंडित जी के बेटे को पिछले साल देखा था, पूजा-पाठ करने लगा था। बड़ा प्यारा बच्चा था। नीरज, विशाल पॉलीटेक्निक कर रहे थे। पातल के आयुष के पिता की गौलीखाल में दुकान है, जब भी गांव जाना होता, उनकी दुकान से कुछ न कुछ खरीदना होता ही था। बड़ा अपनापन है। हर कोई अपना लग रहा था, जब पोस्ट मार्टम के बाद शव को ले जाने के लिए आवाज लग रही थी, यकीन मानिये कलेजा चिर रहा था।
लौटते समय रामनगर में भर्ती 17 साल के आयुष से मिला, पॉलीटेक्निक कर रहा है, इस हादसे में अपने ताऊ के बेटे को खो दिया है। लेकिन घायल होने के बाद भी राहत-कार्य में जुटे रहे आयुष की तस्वीरें सबने देखीं।
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वीडियो – हीरो है 17 साल का आयुष
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घटना की जानकारी मिलने के बाद तेजी से राहत-बचाव कार्य के निर्देश दिए। दोषियों पर एक्शन की बात भी कही, दिल्ली से रामनगर पहुंचे, काश सीएम धामी घटनास्थल पर पहुंचकर हताहतों के परिजनों को दिलासा देते। राज्य के मुखिया होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वह जाते पीड़ित परिवारों से मिलते। न जाने किसकी सलाह पर उन्होंने खुद को रामनगर अस्पताल तक सीमित कर लिया।
रघुबीर भाई का इस हादसे में कोई अपना नहीं था, फिर भी जिस तरह वो देहरादून से मरचूला के लिए तुरंत दौड़े, उससे लगता है, कितना प्यार है उन्हें अपने क्षेत्र से। हर एक से मिलकर ढांढस बंधा रहे थे। वहां लगभग हर एक को जानते थे। हर बात की जानकारी ली। रामनगर काशीपुर में डॉक्टरों से काफी देर तक बात की।
इस हादसे का दुखद पहलू यह भी है कि मारे गए लोगों की देह को कई परिजन गांव नहीं ले गए। कहने लगे गांव में इतने लोग भी नहीं हैं कि तीन-तीन, चार-चार अर्थियों को कंधा देकर नीचे नदी तक ले जा सकें। आसपास के गांव के लोग आते भी तो हर गांव में कोई न कोई हताहत हुआ है, कैसे आएंगे। लिहाजा कुछ ने वहीं से हरिद्वार का रुख कर लिया। कुछ काशीपुर और पीरूमदारा, रामनगर आ गए।
आज सुबह हरिद्वार में हमारे गांव के लोगों का अंतिम संस्कार किया गया और मेरे मन में अब भी एक ही बात चल रही है… काश।
जानकारी के लिए – बराथ-किनाथ से गौलीखाल का इलाका नैनीडांडा ब्लॉक में आता है और इसके बाद सल्ट क्षेत्र लगता है। जहां हादसा हुआ, वह सल्ट का इलाका है और अल्मोड़ा जिले में पड़ता है। इस घटना में हताहत हुए सभी लोग पौड़ी जिले नैनीडांडा ब्लॉक की धुमाकोट तहसील के रहने वाले हैं।