Uttarakhand मानवाधिकार आयोग ने शिक्षकों की धोखाधड़ी के मामले की एसआईटी जांच कराने और वहीं दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रभारी निदेशक मुकुल सती द्वारा नौकरी के साथ B.Ed पाठ्यक्रम संस्थागत डिग्री हासिल करने की जांच नहीं करने के मामले में 5 नवंबर 2024 तक प्रमुख सचिव शिक्षा से जवाब तलब किया है। बतादें कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल 31 जनवरी 2019 को शासन से मामले की जांच की सिफारिश कर चुके हैं।
पूर्व शिक्षा महानिदेशक उत्तराखंड बंशीधर तिवारी द्वारा सचिव शिक्षा को पत्र लिखकर अवगत भी कराया गया है कि मुकुल सती के मामले की विजिलेंस अथवा एसआईटी जांच कराई जाना शिक्षा में महानिदेशालय स्तर से संभव नहीं है क्योंकि मुकुल सती प्रथम संवर्ग के शिक्षा अधिकारी हैं। इसलिए मामले को शासन को प्रेषित कर दिया गया है ।
बतादें कि मानवाधिकार आयोग में एक याचिका दायर करके माध्यमिक शिक्षा विभाग पर दोहरा मापदंड अपनाए जाने की शिकायत की गई है। इसमें कहा गया है कि उत्तराखंड के इंटरमीडिएट स्तर तक के सभी शिक्षकों द्वारा धोखाधड़ी करके नौकरी करने के मामले कि राज्य सरकार द्वारा एसआईटी जांच कराई जा रही है। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य के माध्यमिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षा अधिकारियों को अनुचित संरक्षण दिया जा रहा है और सारे सबूत और दस्तावेज होने के बाद भी राज्य सरकार उत्तराखंड राज्य में धोखाधड़ी से नौकरी कर रहे शिक्षा अधिकारियों को बचाने में लगी हुई है।
शिकायत में मुख्य आरोप लगाया गया कि वर्ष 1989/ 90 में हल्द्वानी के हरिदत्त नित्यानंद इंटरमीडिएट कॉलेज हल्द्वानी के एक शिक्षक मुकुल कुमार सती द्वारा हल्द्वानी में नौकरी करते हुए नौकरी के साथ-साथ हल्द्वानी से 100 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा B.Ed कॉलेज में संस्थागत छात्र के रूप में प्रवेश लेकर B.Ed पाठ्यक्रम की संस्थागत डिग्री हासिल करने का फर्जीवाड़ा किया है । वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नैनीताल द्वारा 31 जनवरी 2019 को इस मामले की जांच करने के निर्देश पुलिस मुख्यालय के माध्यम से राज्य सरकार को दिए गए लेकिन मुकुल कुमार सती को शिक्षा विभाग के अधिकारी बचाने में लगे हैं ।
इस पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने प्रमुख सचिव शिक्षा को नोटिस जारी करते हुए 5 नवंबर 2024 तक आयोग के समक्ष जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं । नैनीताल के सामाजिक कार्यकर्ताओं और उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी दिनेश थुवाल ने यह शिकायत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी पत्र भेजकर की है। उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग द्वारा इस प्रकरण की कार्रवाई से शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव का स्पष्टीकरण तलब किए जाने से विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है ।