Report : पिछले दस वर्षों में हीटवेव का प्रकोप बढ़ गया। इसकी मार बुजुर्गों-बच्चों पर पड़ी ही है साथ ही कृषि को भी अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 2023 में ही ज्यादा गर्मी के कारण दुनिया में श्रम उत्पादकता में भारी कमी आई है। इससे 2023 में करीब 71.9 अरब डालर का संभावित नुकसान हुआ है। साथ ही 181 अरब काम के घंटे खत्म हो गए। इस रिपोर्ट में देशवार बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रात में बढ़ा तापमान लोगों की सेहत पर नकारात्मक असर डाल रहा है।
रिपोर्ट में भारत के बारे में बताया गया है कि 1990 से 1999 के मुकाबले पिछले दस वर्षों में गर्मी का प्रकोप बढ़ा है। इससे शिशुओं को 47 फीसदी और बुजुर्गों के लिए 58 फीसदी अधिक हीटवेव के दिन देखे गए हैं। इससे इनकी स्वास्थ्य संबंधी तकलीफें बढ़ गईं। ये बातें हाल ही में आई द लैंसेट काउंटडाउन की एक नई रिपोर्ट है।
स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट की यह आठवीं सालाना रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन इब्ल्यूएचओ और विश्व मौसम विज्ञान संगठन डब्ल्यूएमओ सहित दुनियाभर के 57 शैक्षणिक संस्थानों और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के 122 विशेषज्ञों ने तैयार की है। जलवायु परिवर्तन का स्वास्थ्य पर प्रभाव बताने वाली यह रिपोर्ट कई गंभीर चुनौतियों की ओर इशारा कर रही है।
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देश में जलवायु परिवर्तन मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों के लिए भी अनुकूल स्थिति बना रहा। 2010 से 2023 तक देश के तटवर्ती इलाकों में ऐसी स्थितियां बनी जो हैजा फैलने के लिए अनुकूल थी। यह पिछले दशक के मुकाबले 23 फीसदी अधिक थी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 21 करोड़ लोग तटवर्ती इलाकों के 100 किलोमीटर की परिधि में रहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जल्द ही कोई कदम नहीं उठाए गए तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
जीवाश्म ईधन का कम हो इस्तेमाल
रिपोर्ट के कई लेखकों ने भारत सरकार और कंपनियों से कम जीवाश्म ईधन के इस्तेमाल की अपील की है। इनका कहना है कि जीवाश्म ईधन का जलना पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। इसके कारण दमा, दिल की बीमारियां पैर पसार रही हैं। साथ ही कई अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की मुसीबत बढ़ा रही है। रिपोर्ट में सौर एनर्जी के प्रयोग पर बल दिया गया है।
ठंड के दिन कम, बढ़ रहे गर्मी के दिन
दुनिया भर में, गर्म दिन लगातार और अधिक गर्म होते जा रहे हैं, जबकि हम कम ठंडे दिनों का अनुभव कर रहे हैं। जुलाई 2023 में, पृथ्वी ने लगातार चार दिनों तक सबसे गर्म दिन का अपना रिकॉर्ड तोड़ दिया या उसकी बराबरी कर ली। वैज्ञानिक कहते हैं, यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय रूप से कमी नहीं की गई, तो सदी के मध्य तक अधिकांश क्षेत्रों में दैनिक उच्च और निम्न तापमान में कम से कम 5 डिग्री फारेनहाइट की वृद्धि होगी, जो सदी के अंत तक 10 डिग्री फ़ारेनहाइट तक बढ़ जाएगी। यह हमारी पृथ्वी के लिए अच्छा नहीं है।