सदियों से उत्तराखंड की पहचान धार्मिक-आध्यात्मिक नगरी के रूप में रही है। देश में सर्वाधिक धार्मिक पर्यटन के मामले में हम शीर्ष में शामिल हैं। लेकिन, अब युवा इसके साथ कुछ नया जोड़ रहे हैं। यह है पैराग्लाइडिंग (Paragliding)। यानी, अब उत्तराखंड को साहसिक पर्यटन का हब बनाने की कवायद हो रही है। धामी सरकार युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रही है। उत्तराखंड में कई ऐसी जगहें हैं जो साहसिक पर्यटन के लिए बेहद मुफीद हैं।
संगीता रावत…उत्तरकाशी जिले में सांकरी के पास सौड़ गांव की हैं। वह पैराग्लाइडिंग सीख रही हैं। हजारों फीट की ऊंचाई से छलांग लगाना उन्हें पसंद है। वह अपनी बैच की अकेली महिला हैं। अच्छी बात यह है कि वह सोलो फ्लाई सीख चुकी हैं। महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं। लेकिन, उत्तराखंड जैसे राज्य में पैराग्लाइडिंग सीखकर उसमें करिअर बनाने की बात कम ही सुनने को मिलती है। इससे पता चलता है कि युवा परंपरागत कामों के अलावा नया सोच रहे हैं, उन्हें कर भी रहे हैं। संगीता उत्तरकाशी में ही एक एडवेंचर टूरिज्म कंपनी चलाती हैं। वह कहती हैं कि पैराग्लाइडिंग से साहसिक पर्यटक को नई ऊंचाई मिलेगी। साथ ही युवाओं के लिए रोजगार बढ़ेगा।
दरअसल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की साहसिक पर्यटन में खासी दिलचस्पी है। उन्हीं के निर्देश के बाद उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने युवाओं को निशुल्क पैराग्लाइडिंग का कोर्स करा रहा है। अब क 700 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। संगीता रावत इन्हीं में से एक हैं।
नैनीताल के भीमताल और देहरादून में मालदेवता जैसे कुछ स्थानों पर पैराग्लाइडिंग पर्यटन बढ़ रहा है। नई संभावनाओं को देखते हुए पर्यटन विभाग न सिर्फ इसके लिए नए स्पॉट तलाश रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रहा है। इस तरह साहसिक पयर्टन में अपने कौशल के जरिए युवा ना सिर्फ अपना रोजगार, स्वरोजगार कर सकेंगे। पर्यटन विभाग को उम्मीद है कि यह उत्तराखंड में पर्यटन को बूम देगा।
टिहरी में कुल 15 बैच में युवाओं को बेसिक से लेकर गाइडेड पैराग्लाडिंग के पांच अलग – अलग कोर्स कराए जा रहे हैं। पयर्टन विभाग इसमें प्रशिक्षण, रहने, खाने की सुविधा निशुल्क दे रहा है। विभाग ने प्रथम चरण में 741 युवाओं को प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 124 महिलाएं शामिल हैं। कुछ युवा तो अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें से एक हैं भीमताल के ही भरत जोशी। वह दिल्ली में एक अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे।
भरत जोशी बताते हैं कि वो वर्षों से वापस अपना घर लौटना चाहते थे। लेकिन, यहां पर क्या करें इस कारण वह निर्णय नहीं ले पा रहे थे। पैराग्लाइडिंग कोर्स की जानकारी मिलते ही उन्होंने कंपनी को बाय-बाय बोलकर आ गए अपनी जन्म भूमि में। वह बताते हैं, वो अब तक टिहरी झील के ऊपर कई प्रशिक्षण उड़ानें भर चुके हैं। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वो भीमताल लौट आएंगे। फिर इसी से संबंधित अपना काम शुरू करेंगे।
चमोली के कुनौल गांव निवासी दिनेश सिंह भी पैराग्लाइडिंग कोर्स कर रहे हें। दिनेश सिंह मई जून और सितंबर में दो अलग कोर्स पूरा कर चुके हैं, फरवरी तक वो प्रशिक्षण पूरा कर लाइसेंस लेकर व्यावसायिक उड़ान के लिए तैयार हो जांएगे। दिनेश के साथ उनके गांव के तीन अन्य युवा भी प्रशिक्षण ले रहे हैं। दिनेश बताते हैं कि सरकार रहने खाने से लेकर प्रशिक्षण तक निशुल्क दे रही है। वह भी भविष्य को लेकर बेहद आशान्वित हैं।
उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए युवाओं को पैराग्लाइडिंग, वाईट वाटर राफ्टिंग, माउंटेनियरिंग जैसे साहसिक खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
हमारा प्रयास है कि अगले कुछ सालों में उत्तराखंड के पास इस क्षेत्र में पर्याप्त प्रशिक्षित मानव संसाधन हो, ताकि उत्तराखण्ड में साहसिक पर्यटन ना सिर्फ फूले फले बले, बल्कि यह सुरक्षित भी हो।
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री