Uttarakhand News : यह खबर वाकई डराने वाली है। साथ ही चौंका भी रही है। कोरोना काल के दौरान पैरोल पर बाहर आए पांच सौ से ज्यादा कैदी जेलों में वापस नहीं लौटे। यह लोग खुले में घूम रहे हैं। ताज्जूब की बात यह है कि इन कैदियों को जेल प्रशासन भूल चुका है। कुछ दिनों पहले जब यह मामला प्रकाश में आया तो आनन-फानन पुलिस प्रशासन को इस बाबत अवगत कराया गया। डॉ. नीलेश आनंद भरणे, आईजी कानून-व्यवस्था का कहना है कि जेल से छूटने के बाद सरेंडर न करने वालों में 81 कैदी ऐसे हैं जिन्हें दोषी करार दिया जा चुका है। बाकी विचाराधीन हैं। उनका कहना है कि जेल प्रशासन के साथ ही हम लोग भी इन्हें पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे कैदियों पर इनाम भी घोषित किया जाएगा।
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बतादें कि कोरोना काल में जेल से बहुत से कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था। वायरस के प्रकोप से जेल को सुरक्षित करने के लिए यह कदम एहतियातन उठाया गया था। उस समय जेल प्रशासन पैरोल देते समय बहुत अधिक उदारता बरता। इसके परिणम स्वरूप कई खूंखार यानी हत्या, बलात्कार, डकैती के आरोप में सजा काट रहे कैदियों को भी पैरोल मिल गई थी। इस बात को तीन वर्ष से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। लेकिन इनमें से पांच सौ से अधिक कैदी जेलों में वापस नहीं आए।
यहां तक तो बात समझ में रही है। लेकिन, जेल प्रशासन तीन वर्षों से ज्यादा समय तक इस बात को भुलाए रहा, यह समझ से परे है। जब मामला प्रकाश में आया तो राज्य के जेलों में कर्ताधर्ता पुलिस प्रशासन को इस मामले से अवगत कराया। कहा है कि इन्हें ढूंढ़ कर वापस जेल भेजा जाए। दरअसल, मामला सामने आने के बाद जब जेल प्रशासन ने तहकीकात कराई तो पता चला के राज्य के विभिन्न जेलों से पैरोल पर छूटे पांच से अधिक कैदी फरार हैं। इनका कुछ पता नहीं चल रहा है। डॉ. नीलेश आनंद भरणे, आईजी कानून-व्यवस्था ने भी इस बात की पुष्टि की है कि 500 से अधिक कैदी फरारी काट रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस इन कैदियों की तलाश में लगी है। जल्द ही सफलता मिलेगी। कुछ कैदियों पर इनाम भी घोषित किया जाएगा।
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हालांकि, हाल फिलहाल राज्य में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है जिसमें पैरोल पर छूटे कैदी की संलिप्तता सामने आई हो। लेकिन, इतनी बड़ी संख्या में अपराधियों का बाहर रहना कानून व्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है।
उत्तराखंड में कुल 11 कारागार
प्रदेश में कुल 11 जेलें हैं। इनमें एक केंद्रीय। सात जिला जेल, दो उप-जेल, एक खुली जेल है। इन जेलों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता 3,741 है। हालांकि, इन जेलों में सात हजार से ज्यादा कैदी बंद हैं। यानी, क्षमता से दो गुना।
चार जेलों से ही 255 कैदी फरार
हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा व सितारगंज की जेल से ही पैरोल पर बाहर आए 255 बदमाश फरार हैं। जेल प्रशासन के नोटिस के बाद भी इनकी वापसी नहीं हुई है। बदमाशों की तलाश के लिए जेल प्रशासन अब पुलिस की मदद लेने जा रहा है। पुलिस को फरार हुए बदमाशों की सूची सौंपी दी गई है। बाकी जेलों में बंद कैदियों की सूची में जेल प्रशासन ने जिला प्रशासन को भेज दी है। बताया जा रहा है इनकी तलाश में पुलिस ने शुरू कर दी है। इन सबके बीच जेल प्रशासन की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
पैरोल क्या होती है?
जब कैदी अपनी सजा का बड़ा हिस्सा जेल में काट लेता है और उसका व्यवहार अच्छा है तो उसे जेल से अस्थायी रूप से लिए मुक्त किया जाता है। यह समय एक निश्चित अवधि के लिए होता है। इसे जरूरी होने पर बढ़ाया भी जा सकता है। लेकिन, इसके लिए ठोस कारण होने चाहिए। पैरोल किसी भी तरह के अपराधी को मिल सकती है। अगर कोर्ट में केस चल रहा है तो कोर्ट पैरोल देती है। सजायाफ्ता अपराधी को जेल प्रशासन पैरोल देता है। कहा जाता है कि पैरोल मिलना जितना कठिन है, उससे कहीं ज्यादा कठिन है, पैरोल और इसके नियम व शर्तों का पालन करना।
- पैरोल की शर्तें
- नियमित रूप से पर्यवेक्षण अधिकारी को रिपोर्ट करना
- निर्धारित क्षेत्र में रहना और बिना अनुमति के बाहर न जाना
- रोजगार की स्थिति में परिवर्तन के बारे में पर्यवेक्षण अधिकारी को तुरंत सूचित करना
- कोई बंदूक या अन्य हथियार न रखना
- अपने निवास, संपत्ति और स्वयं की कानून प्रवर्तन तलाशी के लिए सहमत होना , और
- कानून न तोड़ना।
- पैरोल की विशेष शर्तें
- उपचार के लिए प्रस्तुत होना और नशीली दवाओं या अल्कोहल के लिए यादृच्छिक परीक्षण
- पीड़ित से संपर्क न करना या निर्दिष्ट व्यक्तियों से मेलजोल न रखना
- इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के लिए प्रस्तुत करना
- परामर्श या क्रोध प्रबंधन में भाग लेना
- जुआ नहीं
- व्यावसायिक सेवाओं का उपयोग करना, या
- पोर्नोग्राफी या यौन रूप से स्पष्ट सामग्री न देखें।