Kedarnath Landslide… विदाई की बेला में भी मानसून उत्तराखंड पर खासा मेहरबान है। अब यह परेशानी का सबब बनता जा रहा है। इस कारण बुधवार सुबह 8.30 बजे से केदारनाथ पैदल यात्रा सोनप्रयाग से ही रोक दी गई। बताया जा रहा है कि बारिश से भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। इस कारण जिला प्रशासन भी अतिरिक्त सावधानी रख रहा है।
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पिछले दो महीनों में केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भूस्खलन व अतिवृष्टि से तीर्थयात्री व स्थानीय समेत 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 लापता हैं। बतादें कि सोनप्रयाग से केदारनाथ तक हाईवे और पैदल मार्ग भूस्खलन की दृष्टि से अति संवेदनशील है। बारिश के मौसम में यह मार्ग और खतरनाक हो जाता है।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर बीते 21 जुलाई को तड़के चार बजे चीरबासा में भारी भूस्खलन की चपेट में आने से तीन यात्रियों की मौत हो गई थी। इस दौरान पहाड़ी से बड़े-बड़े बोल्डर और टनों मलबा गिरा था, जिससे पांच यात्री घायल भी हो गए थे। इसके बाद 31 जुलाई की देर शाम को भी भीमबली से लिनचोली के बीच अतिवृष्टि से हजारों यात्री फंस गए थे। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड सहित स्थानीय लोगों के द्वारा 13 हजार से अधिक लोगों का रेस्क्यू किया गया था।
एक वर्ष बाद भी नहीं चला 13 लोगों का पता
2 अगस्त 2023 की रात्रि को रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर गौरीकुंड डाट पुल के समीप पहाड़ी से भारी भूस्खलन से तीन कच्ची दुकानें मलबे में बहकर मंदाकिनी नदी में समा गईं थीं। इन दुकानों में रुके 23 लोग भी हादसे का शिकार हो गए थे, जिसमें 10 के शव तो मिल गए थे, पर 13 का आज तक पता नहीं लग पाया है।
आस्था को डिगा नहीं पाईं मुश्किलें
बाबा भोलेनाथ के दर्शन की राह में तमाम बाधाओं के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ती गई। चारधाम यात्रा के इस सीजन में अब तक करीब साढ़े ग्यारह लाख श्रद्धालु केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं। यह सिलसिला अब तक जारी है।