ICMR RESEARCH : यह अध्ययन आपको चौंका सकता है। कामकाज करने वालों को राहत देने वाला और बेरोजगार युवकों के लिए चिंताजनक है। अध्ययन के मुताबिक, अगले दस वर्षों में बेरोजगारों में हार्ट अटैक का जोखिम सबसे ज्यादा होगा। कामकाजी लोगों में बेरोजगारों की अपेक्षा कम खतरे होंगे। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और दिल्ली एम्स की ओर से संयुक्त रूप से किए गए शोध में यह बात सामने आई है। यह गैर प्रयोगशाला अध्ययन है। अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा है। यह अध्ययन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है।
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गैर प्रयोगशाला जोखिम चार्ट
देश में पहली बार गैर प्रयोगशाला जोखिम चार्ट का इस्तेमाल करते हुए आईसीएमआर और दिल्ली एम्स के शोधकर्ताओं ने युवा आबादी में हृदय संबंधी बीमारियों (सीवीडी) का जोखिम पता लगाया है। इसके अनुसार, देश की करीब 15 फीसदी आबादी अगले 10 साल में हृदय संबंधी रोगों की चपेट में आ सकती है। हालांकि, राहत की बात यह भी है कि देश की 85 फीसदी आबादी इस जोखिम से बाहर रहेगी।
युवाओं में बढ़े हार्ट अटैक के खतरे
इन दिनों सोशल मीडिया चलते-फिरते युवाओं को हार्ट अटैक आने के वीडियो से भरे पड़े हैं। ऐसे समय यह अध्ययन सामने आया है। कोरोना आने के बाद कहा जा रहा है कि ऐसे मामले में तेजी देखी गई है। कई लोग कोरोना टीकाकरण पर सवाल खड़े कर रहे हैं। जबकि आईसीएमआर अलग-अलग अध्ययनों में इन चर्चाओं का खंडन करते हुए लोगों की जीवनशैली में आए बदलावों को मुख्य कारण बता रहा है।
4480 लोगों पर किया गया अध्ययन
पहली बार भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के गैर प्रयोगशाला चार्ट का इस्तेमाल करते हुए इस तरह का शोध किया गया है। शोध में 40 वर्ष से 69 वर्ष के 4480 लोगों को शामिल किया गया। इनमें से 50 फीसदी 40 से 49 वर्ष की आयु बाते हैं। शोधकांओं के अनुसार, 4,480 लोगों में पुरुष 2328 (52%) व 2152 महिलाएं शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बंगलूरू स्थित आईसीएमआर के राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान व अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. प्रशांत माथुर कहते हैं कि हृदय संबंधी बीमारियां भारत में आम हैं। उच्च जोखिम वाले लोगों का जल्द से जल्द पता लगाकर इलाज कराना जरूरी है।
बेरोजगारों में जोखिम गंभीर
अध्ययन में हृदय संबंधी बीमारियों का अगले दस वर्षों में बहुत कम 84.9, मध्यम 14.4 और सबसे ज्यादा जोखिम का स्तर 0.7 पाया गया। अध्ययन में 348 बेरोजगार भी शामिल किए गए। जिनमें अगले दस साल में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा पाया गया। जबकि, काम काज करने वालों में यह स्तर मध्यम स्तर पर पाया गया।
शहरों में रहने वालों पर ज्यादा संकट
अध्ययनकर्ताओं ने शहरी और ग्रामीण आबादी के आधार पर भी आकलन किया है। इसके मुताबिक, शहरों में रहने वालों लोगों को हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा है। अध्ययन में मुताबिक, करीब 17.5 फीसदी शहरी आबादी में हार्ट अटैक का खतरा गंभीर श्रेणी में है। जबकि, ग्रामीण इलाकों में रहने वालों में यह स्तर 13.8 फीसदी पाया गया।
मधुमेह रोगियों को रहना होगा सावधान
अध्ययन के मुताबिक, मधुमेह से ग्रस्त लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शोध में बताया गया है कि जिन लोगों का खाली पेट शुगर का स्तर अनियंत्रित रहता है उन्हें हृदय संबंधी रोगों के होने की संभावना 25 फीसदी होती है। यानी ऐसा हर चौथा मधुमेह रोगी जोखिम में है। इसके अलावा मोटापे से परेशान लोगों में यह खतरा 18 प्रतिशत है। यानी मोटापे से ग्रस्त 100 लोगों में से 18 लोगों को हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बना रहता है। अध्ययन में ऐसे मरीजों को सलाह दी गई है वह शुगर को नियंत्रित रखें। ऐसे लोगों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत होती है। उन्हें समय समय पर जांचें करा लेनी चाहिए।