Uttarakhand High Court ने कहा कि डीएम देहरादून ने वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या में कानूनी गलती की है। साथ ही हाईकोर्ट ने कब्जाधारक को एक हफ्ते के भीतर संपत्ति खाली करने का आदेश दिया। डीएम से कहा कि किसी भी हालत में आदेश का पालन कराएं। मामला 70 वर्षीय बुजुर्ग नीना खन्ना और उनकी भतीजी वनिता खन्ना बाली से जुड़े संपत्ति विवाद का है। न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकल पीठ ने देहरादून के जिलाधिकारी के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें उन्होंने यह कहते हुए बेदखली आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया कि मामला संपत्ति विवाद का है।
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इसके बाद याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जिलाधिकारी ने उत्तराखंड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2011 के प्रावधानों की व्याख्या करने में कानूनी गलती की है। इसके बाद हाईकोर्ट ने बाली को एक सप्ताह के भीतर संपत्ति खाली करने का निर्देश दिया है। ऐसा न करने पर डीएम देहरादून से कहा है कि तीन दिन के भीतर आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएं।
नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण एवं कल्याण नियम 2011 के तहत जिला मजिस्ट्रेट पर वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। इस मामले में चाली ने बुजुर्ग खन्ना की संपत्ति पर अतिक्रमण किया और दावा किया कि यह संयुक्त संपत्ति है जो उन्हें विरासत में मिली है। हालांकि, खन्ना ने तर्क दिया कि बाली की मां ने विरासत में मिली संपत्ति में अपना हिस्सा बेच दिया था और मामले को भरण पोषण न्यायाधिकरण ले आई। जहां से मामला दूसरे अपीलीय प्राधिकारी जिला मजिस्ट्रेट के पास स्थानांतरित कर दिया गया। निचली अदालत ने यह कहते हुए बेदखली आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया कि यह एक संपत्ति विवाद है। इस आदेश को बुजुर्ग ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।